सोमवार, 4 मई 2020

विदुषी एवं समाज सेवी चित्रा घोष


   बैरिस्टर शरद चंद्र बोस की पुत्री 
   नेताजी सुभाष चन्द्र बोस  की भतीजी 


विदुषी  एवं समाज सेवी चित्रा घोष
अपने घर में साक्षात्कार के दौरान पुरानी यादों के पन्ने पलटते हुए 
प्रश्न, नेताजी के बारे में जानने के लिए आप बहुत प्रयास रत रही है,इसमें आपको सफलता क्यों नहीं मिली?
उत्तर, जब तक सरकार इच्छुक नहीं होगी , फाईल खोली नहीं जाएगी तब तक आप कैसे जान सकेंगे उनके बारे में।

प्रश्न, आपने इस बाबत बात तो की होगी?
उत्तर, हमने बहुत बार पत्र लिखे फाईल खोलने के लिए ,ये तो खबर आ गई कि पी एमो को पत्र मिला लेकिन पत्र का जवाब नहीं मिला। 

प्रश्न, आपने व्यक्तिगत तौर पर उनसे सवाल किया कि क्या वजह है फाईल सार्वजनिक न करने की?
उत्तर, उनका कहना है कि हमारे संबंध खराब हो जायेगे।

प्रश्न, आपने मोदी जी से भी इस बारे में बात की है उनका क्या कहना है?
उत्तर,  मोदी जी बहुत कम बोलते है, वो चुपचाप हमारी बात सुनते रहे। एक ही बात बोली की समय आने पर इसे सार्वजनिक करेगे। हमें लगता है कि शायद  वे चुनाव के समय इसे सार्वजनिक करे।

प्रश्न, परिवार के किसी व्यक्ति के बारे में पता न चले ये बहुत ही कष्टकारी होता है,  नेताजी की रहस्यमई मौत के बारे में जानने के लिए उनकी  बेटी भी आपके साथ इस मुहिम में सहयोग करती होगी।
उत्तर, जब नेताजी का प्लेन दुर्घटनाग्रस्त हुआ तब वो बहुत छोटी थी। जर्मनी में रहने के कारण उसको अपने पिताजी की महानता के बारे में इतना नहीं पता जितना की हम लोगो को। इसलिए उसने जानने का उतना प्रयास भी नहीं किया।  दूसरी बात कि वो जर्मन में ज्यादा रही अतः जर्मनी ज्यादा भारतीय कम। उनकी बेटी के तीन बच्चे वे भी कुछ खास नहीं जानते।

प्रश्न, आपको नेता जी की मृत्यु के बारे में क्या लगता है?
उत्तर, सबने कहा कि उनकी मृत्यु हवाई जहाज के दुर्घटना ग्रस्त होने के कारण हुई है, लेकिन अखबार में प्रकाशित हुआ कि उन्हें रशिया में देखा गया कभी ये खबर उड़ी की वे साइबेरिया ले जाए गए। हम जानना चाहते है कि उनकी स्वाभाविक मृत्यु हुई  है या उन्हें मारा गया।
प्रश्न, वैसे आपको क्या लगता है उनके मारने में किस देश का  हाथ है?
उत्तर, हमें चाइना के ऊपर शक होता है।

प्रश्न, अक्सर नेहरू जी पर आरोप लगाया जाता है कि नेताजी को मरवाने में उनका हाथ है, आपका क्या विचार है?
उत्तर, हमें इस पर विश्वास नहीं होता। नेताजी और नेहरू जी के बहुत अच्छे रिश्ते थे। गांधी जी को हम लोग देवता तुल्य मानते थे।इंदिरा गांधी भी हम लोगो के घर  बहुत बार आयी है।

प्रश्न,  नेताजी की कोई बात जो आपको अभी तक याद है ?
उत्तर, उन्हें दार्जिलिंग बहुत पसंद था । वहां हम लोगो का घर था। जब इस्टर की छुट्टियां होती तो हम लोग वहां रहते वो हम लोगो के साथ खेलते भी थे और पिताजी (बैरिस्टर शरद चंद्र बोस) के साथ राजनीतिक योजनाएं भी बनाते थे।

प्रश्न, उनकी कोई और याद?
उत्तर,  प्लेन दुर्घटना ग्रस्त होने के पहले उन्होंने मेरे पिताजी को एक पत्र लिखा कि जिस तरह आप मेरा ख्याल रखते है या मुझे प्यार करते है वैसे ही एमिली को  दीजिएगा। मेरे पिताजी ने मेरे भाइयों से पूछा कि तुम लोग उनसे मिलते हो, उन्होंने कहा नहीं, फिर पूछा कि वो तुम लोगो से मिलती है इस पर भी ना सुनकर पिताजी गंभीर हो गए और बिना कुछ बोले चले गए।







शनिवार, 2 मई 2020

"THE WAKE" : R.K. HANDA.

"THE WAKE" : R.K. HANDA.: आर के हांडा , डायरेक्टर जनरल ऑफ पोलिस सिक्किम (अवकाश प्राप्त ) भाजपा प्रत्याशी ,बैरकपुर R.K. HANDA ,EX DGP ,  दार्जिलिंग में  प्रभाव...

शुक्रवार, 1 मई 2020

"THE WAKE" : प्रोफेसर, समाजसेवी, कवि प्रभामई सामंत राय

"THE WAKE" : प्रोफेसर, समाजसेवी, कवि प्रभामई सामंत राय: प्रश्न, उड़ीसा से वियतनाम का सफ़र और नौकरी कैसे संभव हुआ?  उत्तर,  मै वियतनाम,  भारतीय सरकार की तरफ से नहीं गई थी बल्कि मेर...

"THE WAKE" : प्रख्यात चित्रकार वसीम कपूर

"THE WAKE" : प्रख्यात चित्रकार वसीम कपूर:   कलाकार वसीम कपूर   जिस तरह से बेजान  तस्वीरो  में प्राण फूँकते  है,   अपनी पेंटिंग्स के माध्यम से समाज के ज्वलंत विषयों को  बखूबी उठाते...

"THE WAKE" : डाक्टर कुंवर बेचैन , प्रतिष्ठित ,लोकप्रिय कवि

"THE WAKE" : डाक्टर कुंवर बेचैन , प्रतिष्ठित ,लोकप्रिय कवि:  ३१. ८. २०१८  प्रश्न, आप अभी अभी मॉरीशस में  तीन दिनों के लिए ११ वे विश्व हिंदी सम्मलेन  का हिस्सा बने ,क्या आप बता सकते है की इस तरह ...

डाक्टर कुंवर बेचैन , प्रतिष्ठित ,लोकप्रिय कवि

 ३१. ८. २०१८ 

प्रश्न, आप अभी अभी मॉरीशस में  तीन दिनों के लिए ११ वे विश्व हिंदी सम्मलेन  का हिस्सा बने ,क्या आप बता सकते है की इस तरह के आयोजन हिंदी के प्रचार -प्रसार में कितने सार्थक होते है ? 
उत्तर, इस तरह के आयोजन हिंदी के प्रचार -प्रसार में  हमेशा ही सार्थक होते है , क्योंकि देश -विदेश से  अनेक लोग इस तरह के सम्मलेन में भाग लेने आते है वे अपने देश में जाकर हिंदी का प्रचार करते है जो की हमारे देश के लिए सम्मान की  बात है।  दूसरी अहम बात की किसी दूसरे देश में इस तरह का आयोजन जब किया जाता है तो वहां महीनों से तैयारी  चलती है  जिस दिन से ये तैयारी  आरम्भ होती है उसी दिन से हिंदी का प्रचार -प्रसार आरम्भ हो जाता है।  हम लोग भी जब उस देश में पहुंचते है तो हिंदी की धूम देखकर हम सबका मन खुश हो जाता है। 

प्रश्न ,आप अब तक कितनी बार मॉरीशस गए है और तब से अब तक क्या परिवर्तन आये है ?
उत्तर ,मॉरीशस मै अनेक बार गया हूँ लेकिन   सबसे पहली बार १९८४ में गया था एक चार्टर प्लेन भर कर लोग भारत से   गए थे।  उसमे ,कवि ,लेखक, पत्रकार, राजनीतिज्ञ आदि थे ,सबने उस यात्रा का बहुत आनंद उठाया।  प्लेन में ही कवि सम्मलेन हुआ मैंने भी वही बैठे -बैठे कविता लिखी और सबको सुनाई ," नीचे बादल ऊपर हम " दूसरे दिन ये पंक्तियाँ मॉरीशस के प्रत्येक अख़बार की मुख्य  खबर  बनी।  बड़ा ही उल्लास पूर्ण आयोजन था। उस समय हम बीस दिन रहे थे तब होटल में ठहराने का चलन नहीं था।   हम लोग वहां के स्थानीय भारतीय समुदाय के लोगो यहाँ ठहरे थे। इस तरह से हमने मॉरिशस को अंदर से समझा  जिन घरों में मै रुका वे  लोग शुद्ध हिंदी बोलते  थे  ये देखकर बड़ी सुखद अनुभूति हुयी। 2018 में होटल में ठहराया गया।  बड़ा ही  व्यस्त कार्यक्रम था ,कब तीन दिन गुजर गए पता ही नहीं चला। बाहर से आये लोगो को देखने सुनने और समझने का मौका मिला अनेक देशों  के लोगो  ने हिस्सा लिया था वे हिंदी में ही बात करते। हिंदी समुदाय के लोगो में मानसिक आदर्श देखने को मिला।  वे वापस अपने देश जाकर हिंदी का ही प्रचार करेंगे। अतः अगर हिंदी को विश्व भाषा बनाना है तो इस तरह के आयोजन अत्यंत आवश्यक है। 

प्रश्न , कुछ लोगो का कहना है कि  वहां के प्रधानमंत्री ने अंग्रेजी  में भाषण दिया  जो की  उचित  नहीं था ?
उत्तर, जिन लोगो को जानकारी नहीं है वे ही इस तरह की बात करते है।  मै अब तक २२ देशों के हिंदी कार्यक्रमों में जा चुका हूँ ,वहां के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री अपने देश की भाषा बोलते है। हमारे यहाँ भी जब कोई विदेश से आता है तो हम सब भी अपने ही देश की भाषा बोलते है। मॉरिशस की ऑफिशियल भाषा अंग्रेजी है और बोलचाल की भाषा  क्रेयोल है।  लगता है लोगो ने ध्यान नहीं दिया क्योकि जब प्रधानमंत्री आये तो उन्होंने सबसे पहले हिंदी में नमस्कार किया ,उसके बाद उन्होंने अपना  वक्तव्य  अंग्रेजी में दिया मगर   बीच -बीच में अनेक वाक्य हिंदी में भी थे।  हम सबको उनके इस प्रयास की सराहना करनी चाहिए।   दूसरी बात की वो जो भी बोलते उसका अनुवाद संग -संग हिंदी में हो रहा था। भारत से जो नेता गए उन्होंने हिंदी में ही अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया।  ऐसी बातें सुनकर मुझे लगता है की लोगो को अपना दृष्टिकोण सकारात्मक रखना चाहिए क्योंकि एक सकारात्मक सोच ही आपको सफलता के पायदान पर ले जा सकती है। 

प्रश्न , क्या हिंदी भाषा अपना स्वरूप बदल रही है , जैसे की हिंदी की जगह हिंगलिश का चलन बढ़ रहा है ? 
उत्तर ,जिस भाषा का विकास होता है उसे ही बेहतर माना जाता है  और किसी भी भाषा को  विकास के लिए  दूसरी भाषा के शब्दों  अंगीकार करना ही पड़ता है। अंग्रेजी भाषा में भी बहुत से शब्द दूसरी भाषाओँ के है। अंग्रेजों ने जहाँ -जहाँ शासन किया उन्होंने वहा के शब्दों को अपनी भाषा में सम्मिलित किया इसी लिए उसका विकास भी हुआ ।  हिंदी  में भी उर्दू के शब्द बहुत है।  अगर ये कहा जाये की अब कोई शुद्ध हिंदी नहीं बोलता तो आजकल न शुद्ध हिंदी बोलने वाले मिलेंगे न सुनने वाले। जो शब्द आसानी से जुबान पर चढ़ जाये उसे ही बोला जाता है।  लौह पथ गामिनी जैसे शब्द प्रचलित  नहीं हो सकते। वैसे भी बोलचाल की भाषा अलग होती है और लिखने की अलग।  बोलने में   सारी भाषाओँ के शब्दों को समेट कर बोला जाता है .

प्रश्न,  अन्य  देशों की तुलना में  मॉरिशस का उद्घाटन समारोह  कैसा          रहा ?
उत्तर, मॉरिशस  उद्घाटन समारोह बहुत ही भव्य था किन्तु  पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी के निधन के कारण उसे शांति से मनाया गया. कविसम्मेलन को काव्यांजलि के नाम से सम्बोधित किया गया।  सभी कवियों ने काव्य पाठ से पहले अटल जी को श्रद्धांजलि स्वरूप कविता की चार-छह पंक्तियाँ उनकी कर्मठता और जीवन को समर्पित की।  शोर -गुल न करके सादगी की बानगी देते हुए कवियों ने अपनी गरिमा रखी। विदेशों की तुलना में  एक ही अंतर   कि इस बार अटल जी का निधन हो गया। 

प्रश्न , इस सम्मेलन में आपको क्या नई बात देखने को मिली ?
उत्तर ,वहां छोटे -छोटे अनेक कक्ष बनाये गए थे जिनमे गोष्ठिया आयोजित की जाती, चूँकि लोग ज्यादा थे और सबके विषय भी अलग थे अतः किसी को पता ही नहीं चलता की कहाँ क्या हो रहा है।  लेकिन समापन समारोह के समय समस्त कार्यक्रमों की रिपोर्ट पेश की गयी  जिसमें प्रत्येक गोष्ठी से सम्बंधित विषय और उसमे भाग लेने वालों के नाम बताये गए यहां तक की निष्कर्ष क्या निकला उस पर भी चर्चा हुयी। तीन दिनों का निचोड़ पेश किया गया और आगे क्या करना है और उनपर क्या  निर्णय   लिए गए वो भी बताएं गए।  बहुत सी ज्ञानवर्धक बातें सुनने को मिली जिन्हे सुनकर मन प्रफ्फुलित हो गया। 
प्रश्न , आप अपने और अपने साहित्य के बारे में कुछ बतायें ?
उत्तर ,मै बहुत संघर्षों से निकला हूँ , मेरा नजरिया सकारात्मक है। मै कमियों पर ध्यान नहीं देता जब तक की वे जानबूझकर न की जाये। व्यवहारिकता मेरी पूंजी है।  मेरा मानना है कि सोच का क्षितिज विस्तृत होना चाहिए। १६ वर्ष की आयु से मै मंचो पर जाने लगा था।  मेरी अबतक ३५ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। २१ लोगो ने मेरे अंडर में पी एच् डी की है जबकि २२ लोग मेरी गजलों कविताओं पर पी एच् डी  कर रहे है।   

मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

प्रख्यात चित्रकार वसीम कपूर


 कलाकार वसीम कपूर   जिस तरह से बेजान  तस्वीरो  में प्राण फूँकते  है,  अपनी पेंटिंग्स के माध्यम से समाज के ज्वलंत विषयों को  बखूबी उठाते  है ..... ये एक विलक्षण प्रतिभा का स्वामी ही कर सकता है 
 इस हुनर ने आपको  देश  में  ही नहीं अपितु  -विदेश में भी नाम सम्मान और पहचान दी है-
      




प्रश्न, आप पश्चिम बंगाल की सी एम ममता बनर्जी के बारे में क्या सोचते है ?
उत्तर, ममता जी तूफान बन कर आयी थी, उन्होंने बहुत संघर्ष से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की कुर्सी  पाई थी, किन्तु आज वो वही गलतियां कर रही है जो किसी समय लेफ्ट पार्टी ने की थी।  सीपीएम भी धीरे -धीरे जनता से दूर होती गयी, उसके कैडर अब कही दिखते नहीं । ममता जी भी जनता से दूर जा रही है। 

प्रश्न, क्या ममता जी भाजपा को ला रही है ?
उत्तर , बिलकुल ला रही है ठीक वैसे ही जैसे सीपीएम टीएमसी को लायी थी।  देखिये , वकीलों की जिस तरह से हावड़ा कोर्ट परिसर में पिटाई हुयी क्या वो सही था।  जय श्री राम का नारा लगाने  वालों को गिरफ्तार कर लिया जाये या  उन्हें मारा - पीटा जाए क्या ये ठीक है।  परिणाम जय श्रीराम का नारा बंगाल की राजनीती का टर्निंग प्वाइंट बना।   एक बुजुर्ग मरीज को डाक्टर नहीं बचा पाया, २०० लोग गाड़ियों में भरकर आते है और डाक्टरों के साथ मार -  पीट करते है जिसमे एक डाक्टर को इतना मारा जाता है की वो जिंदगी मौत की लड़ाई लड़ रहा है। इसके बाद डॉक्टर्स   सुरक्षा को लेकर धरने पर बैठे  तो ममता जी वहां पहुंच जाती है, समस्या सुलझाने की जगह  उनको मेडिकल परिसर से  निकाल देने की धमकी देती है।  परिणाम ये  हड़ताल  बंगाल से निकल कर पूरे देश में पहुंच गयी  और ममता  जी  के अड़ियल स्वभाव की चर्चा भी सर्वत्र होने लगी। सबसे बड़ी बात की जिस तरह से छोटी - छोटी  बात पर ममता जी अपना आपा खो देती है  ये उनकी छवि को  ख़राब कर रहा है।  उनकी तुनक मिजाजी और अदूरदर्शिता के  एक नहीं अनेकों उदाहरण है। 

प्रश्न, आप किस प्रकार की अदूरदर्शिता की बात कर रहे है?
उत्तर, डाक्टरों की मांग सिर्फ सुरक्षा को लेकर थी जिसे 2मिनट में सुलझाया जा सकता था लेकिन ममता जी अपने इगो के चलते उन्हें धमकाने पहुंच गई। उस समय उनकी जो बॉडी लैंग्वेज थीं वो मुख्यमंत्री की गरिमा के खिलाफ थी।  उन्होंने डाक्टरों को निकाल देने की बात की मगर  वो ये भूल गई की वो इतने डाक्टर कहां से लाएगी जो मरीजों का इलाज कर सके।
प्रश्न, ममता जी  कहती है उनका  भ्रष्टाचार से कोई नाता नहीं है आप का इस बारे में क्या कहना है ?
उत्तर, उनका कहना है कि उनका नारडा - शारदा से कोई लेना देना नहीं  है मगर वो पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के  ऊपर  भ्रष्टाचार के आरोप लगने पर  उनके साथ मेट्रो के सामने 10 दिन तक पुलिस और पार्टी के नेताओं के साथ  धरने पर बैठी रहती है। 

प्रश्न, आप लेफ्ट से है, इसलिए  मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी से इतनी शिकायत  होना स्वाभाविक है?
उत्तर, मै किसी पार्टी का मेंबर नहीं हूं, रही बात शिकायत की तो  हमें शिकायत इसी लिए है कि वो हमारी मुख्य मंत्री है उनसे बंगाल को  बहुत सारी उम्मीदें है. उन्हें अपने को संयत रखने की आवश्यकता है लेकिन वे अपनी तुनक मिजाजी के चलते अपने लिए समस्याएं ज्यादा पैदा कर रही है बंगाल को कम देख रही है।  
प्रश्न, आजकल लोगों को  कहते हुए सुन रहे  है की बंगाल अपनी संस्कृति खो रहा है ?
उत्तर, ये हमारे सम्मुख एक ज्वलंत विषय हैं जिसके बारे में सभी को सोचना होगा क्योंकि जिस तरह के हालात चल रहे है जैसे कि  मूर्ति तोड़ना या दूसरे राजनीतिक दलों के साथ हिंसा, कतल आदि। उसे देखते हुए ये समझ लेना चाहिए कि बंगाल आज खतरनाक मोड़ पर खड़ा है अगर हम सभी नहीं चेते तो आने वाले दिनों में बंगाल अपनी पहचान ( सांस्कृतिक, साहित्यिक, रविन्द्र संगीत) खो देगा।

प्रश्न, कला की दृष्टि से आप ममता जी को कहां पाते है?
उत्तर, उन्होंने पेंटिंग बनाने का प्रशिक्षण नहीं लिया जो भी बनाया अपनी खुशी के लिए बनाया। उसमे कभी कुछ अच्छा बना तो  कभी कुछ कम अच्छा बना। उनकी पेंटिंग  तुलना की नजर से नहीं वरन पेंटिंग के प्रति उनके जुनून को देखना चाहिए।

प्रश्न, बच्चियों के प्रति बढ़ते हुए बलात्कार के बारे में आपकी राय?
उत्तर, सख्त कानून की कमी। डी एन ए टेस्ट के बाद अगर  अभियुक्त अपराधी सिद्ध हो जाता है तो उसे संग संग गोली मार देनी चाहिए। फास्ट ट्रेक कोर्ट होना चाहिए। मोदी जी को इस विषय में गंभीरता से सोचना होगा अन्यथा उनका स्लोगन " बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ से फिर रेप करवाओ बन जाएगा।

प्रश्न, आप अपनी पेंटिंग्स के लिए मशहूर है, अनेक  जाने - माने लोगो की पेंटिंग्स बना चुके है कृप्या उनके नाम बताइए? 
उत्तर, कपिल देव की पेंटिंग पेप्सी वालों ने बनवाई थी सौरभ गांगुली की पेंटिंग हर्ष नेवटिया ने, सौमित्र चटर्जी की पेंटिंग सहारा इंडिया ने। काफी लंबी सूची है हाल - फिलहाल मैंने  ईशा अंबानी और उनके पति आनंद पीरामल की पेंटिंग बनाई है। मेरे द्वारा हीरेन मुखर्जी की बनाई हुई पेंटिंग  संसद में लगी हुई है। खान अब्दुल गफ्फार की पेंटिंग विक्टोरिया मेमोरियल में ,  पर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय ज्योति बसु की पेंटिंग विधानसभा में लगी हुई है।

प्रश्न, कभी पेंटिंग ने आपकी मुश्किल बढ़ाई ?
उत्तर, मेरी बुर्के वाली पेंटिंग बहुत ही विवादास्पद रही। करीब 200 लोगो की भीड़ ने मेरे घर का घेराव कर लिया  था कि मै बुर्के के खिलाफ हूं जिसे मेरे पिताजी बहुत सलीके से समझाया कि मै बुर्के के खिलाफ नहीं अपितु बुर्का पहन कर फोटो खिचानें के खिलाफ हूं।

प्रश्न, अब तक का सबसे बड़ा सम्मान जो आपको दिया गया हो ? 
उत्तर, सम्मान तो बहुत से मिले लेकिन अभी कुछेक महीने पहले रविन्द्र भारती युनिवर्सिटी में पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा एवार्ड  "एकेडमी अवार्ड " मिला।




गुरुवार, 9 अप्रैल 2020

प्रोफेसर, समाजसेवी, कवि प्रभामई सामंत राय





प्रश्न, उड़ीसा से वियतनाम का सफ़र और नौकरी कैसे संभव हुआ? 
उत्तर,  मै वियतनाम,  भारतीय सरकार की तरफ से नहीं गई थी बल्कि मेरी सीधे नियुक्ति हुई थी। मेरा विस्तृत साक्षात्कार  कई घंटों में लिया गया। हां इसमें गीतेश जी की  इंडो - वियतनाम सौलिदेरिती कमिटी का बड़ा योगदान है।

 प्रश्न, वियतनाम की तरफ झुकाव कैसे पैदा हुआ?
उत्तर, मैंने वियतनाम का इतिहास पढ़ा वहां की महिलाओं का लिब्रेशन वार में योगदान के बारे में जाना और जाना हो ची मिन्ह के संघर्ष, त्याग के बारे में,  बस तभी से मेरे मन में वियतनाम जाकर रहने और कुछ करने की इच्छा पनपने लगी।

प्रश्न, शुरुआती दौर का कोई संस्मरण जिसने वियतनामी लोगो को समझने में मदद की।
उत्तर, मै जब वहां पहुंची तो मेरे सामने सबसे बड़ी समस्या वियतनामी भाषा समझने की थी। मुझे खाद्य - पदार्थो के न नाम मालूम न दाम। तब मैंने अपने फ्लैट के पास ही रहने वाली एक वियतनामी छात्रा से इंग्लिश में लिख कर पूछा कि अगर वो  रोजमर्रा  की खाद्य वस्तुओं के नाम और दामों के वियतनामी नाम अंग्रेजी में लिख कर दे दे तो मुझे उन्हें खरीदने में सुविधा हो जाएगी। ये कहकर मै अपने कमरे में आकर सो गई। आधा घंटा भी नहीं हुआ कि एक स्लिप जिसमें लगभग 60 - 70 वियतनामी जरूरत की वस्तुओं के नाम अंग्रेजी में लिखे हुए दरवाजे के नीचे से अंदर आ गई। तब मुझे महसूस हुआ कि ये लोग मददगार होते है। 

प्रश्न,  वैसे वियतनामियों का स्वभाव कैसा होता है?
उत्तर, सीधे, स्पष्टवादी, समय के पाबंद। मिलना - जुलना पार्टी करना बहुत पसंद है। सफाई पसंद भी बहुत होते है।

 प्रश्न,  पार्टी मतलब कैसी पार्टी?
उत्तर,  ये लोग प्रत्येक शुक्रवार को आफिस बंद होने के बाद पार्टी करते है। होटल, रेस्टोरेंट पार्क और तो और फुटपाथ को भी वे लोग पार्टी के लिए इस्तेमाल करते है। वहां  के फुटपाथ  भी काफी चौड़े होते है।सबसे अच्छी बात की रात को दो - ढाई बजे तक चलने वाली पार्टी का कोई भी कचरा दूसरे दिन सुबह  फुटपाथ , सड़क या पार्क में नहीं मिलेगा। वे लोग इस मामले में बहुत ही अनुशासन और सफाई प्रिय है। दूसरी बात कि उनकी पार्टियां शुक्र और शनिवार ही होती है रविवार वे लोग आराम और दूसरे दिन  आफिस  जाने की तैयारी करते है।

प्रश्न, उनका भोजन कैसा होता है?
उत्तर, वे लोग स्वास्थ्य के प्रति बड़े सचेत रहते है। अधिकतर  उनके खाने में उबली सब्जियां, सलाद,  फल आदि शामिल रहते है। वे लोग  स्वयं को स्लिम - ट्रिम रखने के लिए तरह -  तरह  की  पत्तियां खाते है। अगर तली - भुनी मछली खायेगे तो उसे भी पत्ते में रखकर खाएंगे क्योंकि उनका मानना है कि पत्ते  तेल की मात्रा  पेट कम करेगे। 

प्रश्न, वहां अपराध  की क्या स्थिति है?
उत्तर, वहां शादी सब अपनी मर्जी से करते है, वहां बच्चे अवैध नहीं होते और अपराधिक मानसिकता भी नहीं होती। मेरी एक मित्र को नाचने का बहुत शौक था वो रात के बारह बजे क्लब में जाती क्योंकि बारह बजे के बाद प्रवेश शुल्क नहीं लगता। वहां जाकर वो पागलों की तरह दो - तीन घंटे नाचती और मै नींबू पानी या कोल्ड ड्रिंक लेकर बैठी रहती। रात के तीन बजे अत्यंत तंग कपड़ों में वो मुझे स्कूटी चलाकर क्लब से 10 किलोमीटर दूर मेरे घर छोड़ने आती तत्पश्चात लगभग छह किलोमीटर दूर अपने घर जाती
मै उससे पूछती की सुरक्षित हूं तो? तो इसपर वो हंसती और कहती चिंता मत करो।

प्रश्न, स्वस्थ रहने के लिए वो और क्या करते है?
उत्तर, वो लोग सोना बाथ लेते है इससे उनकी त्वचा चमकदार और स्वस्थ रहती है।

प्रश्न, तुम वहां नियमित  सोना बाथ ( भाप स्नान ) करती थी?
उत्तर, नहीं मुझे बहुत शर्म लगती थी क्योंकि वियतनामी महिलाएं चुस्त - दुरुस्त छरहरे बदन वाली होती है और वो सोना बाथ ( भाप स्नान) करने जब जाती है तो सारे कपड़े खोल कर जाती है , मै दोहरे शरीर की जिसे वहां के लोग मोटा समझते है इसलिए मै हिम्मत ही नहीं कर सकी। मैंने अपनी एक दोस्त के घर में सोना बाथ लिया है। उसको लेने के बाद लगेगा की 10 - 12 किलो वजन कम हो गया।

प्रश्न, वियतनाम की और क्या विशेषता है जिसने तुम्हे बहुत प्रभावित किया हो?
उत्तर, वियतनाम में भिखारी नहीं मिलेंगे, 70 - 80 वर्षीय बुजुर्ग भी अपने आत्म सम्मान को बनाए रखने के लिए  खिलौने या छोटा मोटा सामान सड़क के किनारे बैठ कर बेंचते है।

प्रश्न, वहां के लोगों में राष्ट्रीय भावना कैसी है ?
उत्तर, वहां महीने में एक या दो बार  स्कूली बच्चों को फौजियों से मिलवाया जाता है ताकि वे उनके कार्य, मेहनत व राष्ट्र के प्रति वफादारी को समझ सके। परिणाम बच्चों में बचपन से राष्ट्रीयता कूट कूट कर भरा जाती है।




शनिवार, 21 मार्च 2020

दिलीप घोष , सांसद व् अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल

दिलीप घोष  सांसद  व् अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल 


"जब बाघ ने  जोर - जोर से पूंछ पटकना आरम्भ  किया तब उसकी पूंछ  दीवार से जा टकराई 
उसकी आवाज से अंदर वाले की नींद खुल गई.  उसने पता लगाने के लिए भीतर से ही   झाँका "


प्रश्न ,नोट बंदी  के बारे में बहुत से लोग कह रहे है की ये सही फैसला नहीं है आपकी क्या राय  हैं क्या ये कदम सफल होगा  ?
उत्तर ,ये एक अच्छा फैसला है , इससे काले धन रखने वालों के ऊपर लगाम लगेगी जैसे की बहुत से डॉक्टर के यहाँ लोग घंटो लाईन लगाते है और डॉक्टर के यहाँ पैसा कच्चे में लेते है ,नर्सिंग होम ,जमीन ,घर या स्कूल सभी जगह ये  आम बात है इन पर रोक लगेगी।  रही बात सही और गलत की तो ये समय ही बताएगा या कोई अर्थशास्त्री बता सकेगा।  जो लोग इसकी आलोचना कर रहे है इसका मतलब है वे कालाधन से जुड़े है इसी लिए इसे गलत करार दे रहे है। 

प्रश्न , पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसके विरोध में है उनके अनुसार जनता को तकलीफ हो रही है , बहुत से रोजगार बंद हो रहे है ?
प्रश्न, ममता दी अपने राज्य को ठीक से देख नहीं पा रही है , जितने  आतंकवादी बंगाल से पकडे जा रहे है उतने किसी स्टेट से नहीं पकडे जा रहे है ,    अराजक तत्व खुले आम घूम रहे है ,आम लोगो को डरा -धमका रहे है यहाँतक की उनकी नाक के नीचे नवजात बच्चों की तस्करी हो रही है ,कितने नवजात मर गए उनके कंकाल वृद्धाश्रम में पाए गए। वृद्धाश्रम में बच्चों के कंकाल कैसे पहुंचे पहले दीदी इसकी छानबीन करे तत्पश्चात केंद्र सरकार के फैसले की आलोचना करे।रही  बात   रोजगार बंद होने की तो  ये  अस्थायी  समय है। 

प्रश्न , आप संघ से है ,बहुत से लोग संघ को   बैन करने की बात करते है क्योंकि उनके अनुसार संघी   कट्टर हिन्दू वादी होते है। 
उत्तर, भारत के दो प्रधान मंत्री संघ से है ,आडवाणी जी स्वयं संघ से है. मेरा पूरा परिवार संघ से जुड़ा हुआ है संघ  से जुड़ा होना अपराध नहीं है बल्कि ये आदमी को इंसान बनाता है दुसरो की मदद करना उनके लिए सोचना ये एक संघीय कर सकता है, रही बात कट्टर हिन्दू वादी की तो ये गलत धारणा है।  संघ कभी भी किसी की मदद जाति देखकर नही करता। जो इसकी आलोचना करते है वे भारत की बर्बादी चाहते है। 

प्रश्न, पश्चिम बंगाल में भाजपा की क्या स्थिति है। 
उत्तर, आने वाले दिन  भाजपा  के ही है क्योंकि  दीदी जिस तरह से बंगाल चला रही है वो बहुत दिन नहीं चलेगा  और बंगाल की जनता भाजपा को ही विकल्प के रूप में देख रहे है।
प्रश्न, आप ने अंडमान निकोबार में प्रचारक के तौर पर कई वर्षो तक काम किया ,कोई ऐसा वाक्या जिसे आज भी याद कर मुस्कराहट आ जाती है ?
उत्तर, सुनामी जब आयी थी तब मैं अंडमान में था।  सुनामी की त्रासदी , लोगो की चीख ,पुकार,बर्बादी सब कुछ मैंने  देखा है. बहुत बुरी स्थिति थी. बिजली की लाइन कट गयी , पीने के पानी  के लिए लोग तरस रहे थे ।  लोगो को पानी मुहैया कराने के लिए सरकार ने पानी भेजा।  माईक से घोषणा हो रही थी की 'पानी आ रहा है, पानी आ रहा है।' ये सुनकर लोग भागने लगे क्योंकि पानी आ रहा है का  मतलब  सुनामी आ रही है ,तब उनको समझाया  की ये सुनामी की घोषणा नही है ये पीने का पानी वितरित हो रहा है उसकी सूचना है।  दो -चार दिन बाद माईक से फिर घोषणा हुयी कि पानी आ रहा है ,लोग बाल्टी ,कलशी लेकर सड़क पर एकत्रित हो गए तब उन्हें बताया की ये पीने का पानी नहीं बल्कि सुनामी आने की घोषणा है.

प्रश्न , आप ने सुन्दर वन में भी काफी साल बिताये है ,वँहा का कोई दिलचस्प किस्सा ?
उत्तर , सुंदरवन में पहले बाघों का बड़ा आतंक था।  उस समय  लोगो के पास घर के नाम पर झाड़-फूंस की झोपडी होती थी जहा कुछ लोग घर के अंदर और एक आदमी घर के बाहर सोता था।  एक बार सर्दी के समय एक बाघ एक झोपडी में घुस आया वहां सोया हुआ आदमी अपने को चारो तरफ से रजाई में लपेटे हुए सो रहा था। बाघ की आदत होती है ,जब वो अपने शिकार को देखता है तो पूंछ जोर- जोर से पटकता है  और शिकार को हमेशा गले से पकड़ता है, उस आदमी को देखकर उसे समझ में ही नहीं आ रहा था की उसका सर किधर है, इधर वो आदमी डर  के मारे बोल भी नहीं पा रहा था।  जब बाघ ने  जोर - जोर से पूंछ पटकना आरम्भ  किया तब उसकी पूंछ  दीवार से जा टकराई उसकी आवाज से अंदर वाले की नींद खुल गई.  उसने पता लगाने के लिए भीतर से ही   झाँका ,   बाहर बाघ  को देखकर उसने चिल्लाना शुरू किया जिससे डर कर बाघ भाग गया। 



सांसद दिलीप घोष
' द वेक' पत्रिका के प्रबंध सम्पादक मनोज त्रिवेदी के साथ
 


३०. ११. १ ६ 


सोमवार, 16 मार्च 2020

KUFFU, 'I am SO SWEET': Bholi n Drishta @ Jhakdi Fall in Gangtok

KUFFU, 'I am SO SWEET': Bholi n Drishta @ Jhakdi Fall in Gangtok: भोली और दृष्टा   बन झाकड़ी फॉल में,  दृष्टा और भोली  हम लोगों ने जब गैंगटॉक  घूमने की योजना बनायीं तो हमारे साथ  चार पैर वाले  दो पाल...

रविवार, 15 मार्च 2020

निर्माता, निर्देशक, अभिनेता अर्जुन चक्रबर्ती


व्यहवहारिक, मिलनसार, विलक्षण  प्रतिभा के धनी
कलाकार अर्जुन चक्रबर्ती 
1986 में अंकुश जैसी फिल्म से  बॉलीवुड में  पैर  जमाने वाले, नाम कमाने वाले  फिल्म कलाकार अर्जुन चक्रबर्ती  ने हिंदी और बंगाली  फिल्मों में काम किया है, " माई  कर्मा " फिल्म ने उन्हें अंतराष्ट्रीय स्तर  पर ख्याति दिलवाई  वही उनके निर्देशन में बनी  फिल्म "  टॉली  लाइट " ने उन्हे सशक्त निर्देशक के रूप में स्थापित किया।  बहुचर्चित टीवी धारावाहिक "साहब बीबी और गुलाम"  में रवीना टंडन के साथ काम कर प्रशंसा बटोरी। अर्जुन चक्रबर्ती बहुत ही सहज, सरल, विनम्र और  व्यावहारिक है.  साक्षात्कार के  दौरान आपने बहुत सी बातों  (ऑन द  रिकार्ड ,ऑफ द  रिकॉर्ड ) पर खुल कर  चर्चा की. यहां प्रस्तुत है चर्चा के कुछ अंश.... 

१ प्रश्न, पिछले पांच पुश्त से आपके परिवार ने डाक्टर के पेशे को ही अपनाया आपने ये परंपरा कैसे तोड़ी ?
उत्तर,  बस टूट गयी .. .  मै  बी एस सी का छात्र था एक दिन अचानक दोस्तों के साथ एक फिल्म को लेकर झगड़ा हो गया बस उसी दिन मैंने निर्णय लिया कि मुझे बम्बई जाकर निर्देशक बनना  है.  और जब मै ट्रेन में सफर कर रहा था तभी मैंने माधुरी पत्रिका में एक इंटरव्यू पढ़ा और उसी समय ठान लिया कि  मुझे इसी शख्स के साथ काम करना है और वो शख्स है गुलजार साहब।

२ प्रश्न, गुलजार साहब से आपकी मुलाकात कैसे हुयी ?
उत्तर,  मुंबई पहुंचने के बाद मै उनसे मिलने उन के  ऑफिस  पंहुचा तो इत्तफाक से  वो मुझे लिफ्ट में ही मिल गए और उन्होंने दूसरे दिन मिलने का समय मात्र १० मिनट का दिया किन्तु जब दूसरे दिन मै उनसे मिला तो वो १० मिनट ढाई घंटे में बदल गए।  उन्होंने मुझसे बंगाल के बारे में पूछा , रवीन्द्रनाथ टैगोर , जैनेन्द्र  जैन, महादेवी वर्मा, कृष्ण चन्दर के बारे में बात की।  जब मै चलने लगा तो वे मुझसे बोले की अपनी तनखाह तो लेते जाओ ? मैंने आश्चर्य से पूछा तनखाह किस बात की?  तब उन्होंने   कहा की तीसरे सहायक की पोस्ट छह महीने से खाली है और आज से तुम मेरे सहायक हो। 

प्रश्न, गुलजार साहब के साथ आपने कितने वर्ष कार्य किया और उनकी कौन सी अच्छाइयों को आत्म सात किया और कौन सी बात पर आपको लगता की अगर ये कमी इनके व्यक्तित्व से निकाल दी जाये तो इनका कार्य और निखर जाये ?
उत्तर,  उनके साथ रहकर मैंने बहुत कुछ सीखा।  गुलजार जी हिंदी नहीं जानते वे या तो उर्दू जानते है या इंग्लिश।  उनके साथ रहकर मैंने उर्दू सीखी।  उन्होंने सिखाया कि  गीत सिचुएशन के हिसाब से लिखना होता है, मुझे लिखने को देते जब मै लिख कर दिखाता तो कहते कम से कम शब्दों का इस्तेमाल करो. मै गुलजार साहब के साथ साढ़े चार वर्ष था चूंकि निर्देशक बनने का कीड़ा शुरू से ही मेरे अंदर था तो मैंने गुलजार साहब के साथ निर्देशन की बारीकियां  सीखी। रही बात उनकी कमजोरी की तो  उनके अंदर सिर्फ एक ही कमी है की वे आर्ट फिल्म बनाते और एक्टर कमर्शियल लेते जिसका  परिणाम पिक्चर निर्धारित समय से ज्यादा समय ले लेती और  बजट अपेक्षा से ऊपर चला जाता।

४. प्रश्न, क्या आपने भी कवितायेँ लिखी है ?
उत्तर, बंगाली भाषा में लिखी कविताओं की एक पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है, हिंदी कविताओं की पुस्तक पर काम चल रहा है तत्पश्चात अंग्रेजी में कवितायेँ प्रकाशित करवाने की सोचूंगा। 

५.  प्रश्न,  गुलजार जी ने आपको पहली बार काम किस पिक्चर में दिया तत्पश्चात आपको सफलता किन फिल्मों ने दिलाई?  
उत्तर, सबसे पहली पिक्चर अंगूर थी जिसमें मुझे संजीव कुमार के साथ एक छोटा सा रोल गुलजार साहब ने दिया । 1986 में अंकुश फिल्म में मैंने काम किया जिसे दर्शकों ने बहुत पसंद किया। लेकिन मेरा रुझान बंगाली फिल्मों की तरफ ज्यादा था इस लिए मुंबई से कोलकाता आ गया यहां पिक्चरों और टीवी धारावाहिकों में काम किया। टीवी धारावाहिक में " साहब बीबी और गुलाम " काफी लोकप्रिय हुआ। बंगाली फिल्म "  मेरा  कर्म " को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिली।

६, प्रश्न आपके द्वारा निर्देशित प्रथम फिल्म?
उत्तर, मेरे निर्देशन में पहली फिल्म टॉली लाईट थी, इसमें मेरे साथ सनी देवल एवम् मिथुन चक्रवर्ती थे।

७.  प्रश्न,  सनी देवल और मिथुन चक्रवर्ती दोनों ही बड़े कलाकार है इन लोगो ने आपसे पारिश्रमिक लिया था?
उत्तर, ये दोनों ही मेरे दोस्त है, पारिश्रमिक लेना तो दूर उल्टे मदद की थी जैसे कि इनके घर में, इनकी गाड़ी में शूटिंग करना। इन लोगो ने मेरी पूरी यूनिट को खाना भी खिलाया। बहुत ही अच्छे इंसान है।

८.  प्रश्न बॉलीवुड और टॉलीवुड में क्या अंतर है ?
उत्तर , सबसे बड़ा अंतर पैसे का है , दूसरा अंतर है नए विषय पर पिक्चर बनाना जैसे बधाई हो, अंधाधुन, आर्टिकल १५  आदि. इस मामले में   बंगाल थोड़ा पीछे है.  जिंदगी में  बहुत से इशू है जिन पर काम होना चाहिए सिर्फ नर और नारी का संपर्क ही सब कुछ नहीं है।  फैज अहमद फैज साहब की एक नज्म है, " और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा , राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा।"   
  
९.प्रश्न,  अभी आप निर्देशक के रूप में किस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे है और ये  बंगाली में है या हिंदी में ?
ऊपर ,सुपर नेचुरल पावर के ऊपर अभी हमारी  काम करने की योजना है , एक और प्रोजेक्ट दिमाग में चल रहा है।  अब सवाल आपने पूछा है की बंगाली या हिंदी में तो हमारे प्रोड्यूसर साहब  बंगाली में बनाने की सलाह दे रहे है जबकि हम चाहते है कि वो हिंदी में बने। 

१०, प्रश्न , टॉलीवुड की कौनसी बात आपको सबसे ज्यादा प्रभावित करती है और बंगाल में  बंगाली  लोग अपने कल्चर के प्रति कितना समर्पित है उस पर आपकी क्या राय है  ?
उत्तर, यहां लोग मन से मिलते है, उनमे  आत्मीयता होती है वे आपके साथ आपकी जरुरत में भी खड़े रहते है। हिंदी फिल्मों में वो काम को ज्यादा तवज्जो देते है।   रही बात कल्चर की तो  बंगाली कही खोता जा रहा है, उसकी पहचान धूमिल हो ती जा रही है वो अब अपनी जड़ों से दूर जा रहे है जबकि महाराष्ट्रियन, गुजराती , दक्षिण भारतीय, पंजाबी  आज भी अपनी संस्कृति को संजो कर सहेज कर चल रहा है। 

११ , प्रश्न  आप युवाओं को क्या सन्देश देना चाहते है ?
उत्तर , धैर्य न खोये , जो भी काम करे मन से और ईमानदारी से करे , सफलता एक दिन में नहीं मिलती उसके लिए जल्दबाजी न दिखाए।  राजनीती से दूर रहे  और  राजनीतिज्ञों के हाथ की  कठपुतली  न बने। अपनी क्षमता पहचान कर आगे बढ़े. हिंसा का हिस्सा न बने।  

विभिन्न प्रकार के  फूलों  के  गमलों से सुसज्जित
अपने   फ्लैट की छत पर  एक्टर अर्जुन चक्रबर्ती 
 द  वेक पत्रिका की संपादिका शकुन त्रिवेदी के साथ 

शुक्रवार, 13 मार्च 2020

"THE WAKE" : मायादेवी आर्यल,  म्यूजियम अधिकारी, हनुमान दरबार ...

"THE WAKE" :

मायादेवी आर्यल,  म्यूजियम अधिकारी, हनुमान दरबार  नेपाल ...
: मायादेवी आर्यल,  म्यूजियम अधिकारी, हनुमान दरबार ढोका  नेपाल  १ प्रश्न,  अभी हाल ही में आप ने हिमालय की कुछ चोटियों को नापा है...


मायादेवी आर्यल,  म्यूजियम अधिकारी, हनुमान दरबार ढोका  नेपाल 


प्रश्न,  अभी हाल ही में आप ने हिमालय की कुछ चोटियों को नापा है आपको नहीं लगता कि आप बहुत ही साहसी महिला है?
उत्तर, मैंने कभी खुद को साहसी नहीं समझा मै तो बस इतना जानती हूँ की मुझे प्राकृतिक सुंदरता बहुत आकर्षित करती है और ईश्वर ने नेपाल को इतनी खूबसूरती दी है जिसे देखने के लिए मै बार -बार कोशिश करती हूँ पहाड़ों की चोटियों के करीब जाने के लिए।  मै सबसे पहले  2010 में 15 दिन के लिए  ट्रेकिंग के लिए गई थी  जहाँ  पहाड़ों की अप्रतिम सुंदरता  ने मुझे वशीभूत कर दिया। वहां मैंने  प्राचीनतम मंदिर मुक्तिनाथ के दर्शन किए  ये  भगवान विष्णु का मंदिर है और यहां  विष्णु भगवान 
शालिग्राम  के रूप में विराजमान है ये हिन्दू और बौद्ध समुदाय के लिए बहुत ही पवित्र जगह है और नेपाल के चार धाम में से एक है।  लगभग १३ हजार फीट की ऊंचाई पर  पैगोडा शैली में बना ये मंदिर सिर्फ  नेपाल में ही नहीं पू रे विश्व  में अपनी पहचान बनाये हुए है।  यहां  प्रकृति के विभिन्न रूपों की छवि  स्वतः ही आपके मन  पर अपनी अमिट छाप छोड़ ती है। मुक्तिनाथ घाटी में मैंने बहुत सारी गुफाएं देखी। उसी दौरान सुना कि 2500 पुराना  एक बच्चे का मृत शरीर  जो भूस्खलन के कारण दब गया  था बिल्कुल सही अवस्था में मिला है  जिसे नेपाल के राष्ट्रीय अभिलेखागार में रखा गया है।  यही वजह है कि मै ऊँची चोटियों को नापने के लिए अक्सर निकल जाती हूँ। 

प्रश्न,  हा ल ही में आपने  लगभग १६००० फीट ऊँचे ऐमाडबलम  बेस केम्प तक ट्रैकिंग की, आपको डर नहीं लगा ?
उत्तर, मै नेपाल म्यूजियम में संपर्क अधिकारी हूँ।  जो लोग ट्रैकिंग करना चाहते है उनके फॉर्म पर मुझे साइन करना होता है. लगभग ३० विदेशियों का समूह एमडब्लॉम बेस केम्प तक जाने वाला था।  मेरी बेटी बहुत दिनों से ट्रेकिंग के लिए कह रही थी तो मुझे लगा कि ये सही अवसर है हम दोनों के जाने के लिए ।  रही बात डर की तो नेपालियों में  पहाड़ों पर चढ़ने का गुण  जन्मजात होता है वे ऊंचाइयों से नहीं डरते। 

३ प्रश्न ,कितने किलोमीटर रोज  पैदल चलना होता था खाने -पीने की क्या व्यवस्था रहती है, आप अपना सामान ले कर  कैसे चढ़ाई कर पाती थी ?
उत्तर, लगभग ११-१२ किलोमीटर  रोज पैदल चलना होता था। एक निश्चित दूरी के बाद  अच्छे होटल मिलते है जहाँ  रुकने की व्यवस्था  रहती है।  खाना -पीना  और विश्राम के लिए हम लोग  वहां ठहरते थे।  सामान ले जाने के लिए हमने लोडर भाड़े पर  ले लिए थे. अपने साथ सूखी मेवा और पानी रखते थे।  पहाड़ों पर चढ़ने के लिए दो डंडी का सहाराअत्यंत  आवश्यक होता है. इससे चढ़ने में सुविधा रहती है। 

४ प्रश्न, आपके पति ने आपके अकेले जाने पर ऐतराज नहीं किया ?
उत्तर, किया था ठीक वैसे ही जैसे केयरिंग हस्बेंड करते है जब हमने समझाया तो शांत हो गए। 

५प्रश्न,   इस यात्रा के दौरान आपने क्या देखा और क्या अनुभव किया?
उत्तर,   काठमांडू से लुकला तक हम प्लेन से गए वहां से नाम चे  बाजार। नामचे बाजार एक व्यावसायिक शहर है। यहां शेरपा म्यूजियम है जो नेपाल की पुरानी संस्कृति को दर्शाता है। यहीं से भाड़े पर लोडर या पिट्ठू मिलते है। एमा डबलाम बेस कैंप के रूट पर  ही सागरमाथा नेशनल पार्क है । इस नेशनलपार्क में   दूर - दूर से विदेशी सैलानी माउंट एवरेस्ट की चोटी को पास से देखने के लिए  आते है। यहां विभिन्न प्रकार के जीव और वनस्पति पाई जाती है। इनके बारे में जानना ही अनोखा अनुभव है। एम डा ब्लम चोटी नेपाल की तीन खूबसूरत चोटियों में से एक है। यहां तक पहुंचना और इसे करीब से देखना स्वर्ग से कम नहीं है। विश्व का सबसे ऊंचा होटल माउंट एवरेस्ट भी इसी रूट पर  बनाया गया है ।
लक्ष्य के करीब 

3,962m( लगभग -12998.69 फीट)
की ऊंचाई पर 
स्थित
 माउन्ट एवेरेस्ट होटल 


6 प्रश्न, नेपाल की कौनसी संस्कृति आपको बहुत प्रभावित करती है?
उत्तर, जीवित कन्या पूजन आज भी नेपाली संस्कृति का अभिन्न अंग है इस पूजन द्वारा कन्याओं को सम्मान देना स्वतः ही हमारे अंदर जन्म लेता है जिसके चलते हम लोग कन्याओं को बोझ नहीं समझते।

7  प्रश्न, आपने भारत के कई प्रदेशों का भ्रमण किया है, ऐतिहासिक इमारतें भी देखी है। नेपाल और भारत के आर्किटेक्चर  ( वास्तु शिल्प)  में आपको क्या अंतर नजर आया?
उत्तर, नेपाल  में टाउन प्लानिंग नहीं है।  आये दिन वहां ऊँची और बड़ी इमारतों का निर्माण होता रहता है जो नेपाल के भविष्य के लिए ठीक नहीं है।   नेपाल का आर्किटेक्चर भारत जैसा नहीं है। भारत के दक्षिण का वास्तु शिल्प बहुत ही सुन्दर है उनकी नक्काशी अद्भुत है। एक पत्थर को काट कर जिस तरह से मंदिरों  और मूर्तियों का निर्माण दक्षिण भारत में हुआ है वैसा नेपाल में नहीं है। एक बात जो गौर करने वाली है कि  जब कभी कोई ऐतिहासिक ईमारत सौ वर्ष पूरे कर लेती है तब उसे  यूनेस्को की तरफ से धरोहर घोषित कर दिया जाता है।  इन धरोहरों को सहेजने के लिए बीच -बीच में  इनकी मरम्मत आवश्यक होती है साथ ही हमें यह भी ध्यान रखना होता है की जिस सामग्री का उपयोग इनको बनाने में किया गया है उसी सामग्री का प्रयोग इनकी मरम्मत के दौरान करना चाहिए अन्यथा ये अपने वास्तविक स्वरूप को  खो देंगे ।  लेकिन इन नियमों की अनदेखी बहुत होती है इसका परिणाम उत्कृष्ट कलाकारी वाली इमारते  अपनी खूबसूरती को खो देती  है। 

8प्रश्न, 2015 में नेपाल में जबरदस्त भूकंप आया था जिसने भयंकर तबाही मचाई थी। जब भूकंप आया तब आप कहां थी? 
उत्तर, हनुमान ढोक दरबार पैलेस में मेरा आफिस है और उस समय  मै अपने आफिस में ही थी जब भूकंप आया।  तो  आंखों के सामने ही हमारे आफिस के सामने की बीस बिल्डिंग धाराशाई हो गई। आफिस की बिल्डिंग भी क्षतिग्रस्त हो गई ।  दिमाग शून्य में चला गया बस एक ही विचार जो फिलॉस्फी में पढ़ा गूंज रहा था " ब्रह्म सत्य, जगत मिथ्य।" जब चेतना आई तो सबसे पहले बच्चों को फोन लगाया जानने के लिए कि वे सुरक्षित है। मेरे पति का फोन आया हमलोगो की  खैरियत जानने के लिए।  चूंकि मेरे पति उस समय नेपाल में बड़े अधिकारी थे अतः उनके ऊपर जिम्मेदारी ज्यादा थी। भूकंप के चार दिन बाद मेरी उनसे मुलाकात हुई थी। और मुझे भूकंप के दूसरे ही दिन आफिस से ये जानने के लिए भेजा  गया कि कितनी इमारतें  पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गई है और कितनी इमारतें  थोड़ी बहुत मरम्मत करवाने के बाद ठीक हो जाएगी। उस समय नेपाल बहुत बुरे दौर से गुजर रहा था हर किसी की चेष्टा थी ज्यादा से ज्यादा मदद पहुंचाने की। घर - परिवार छोड़ कर सभी बचाव कार्य में लगे हुए थे।

9 प्रश्न, नेपाल की पारंपरिक खाद्य सामग्री जिसका इस्तेमाल प्रत्येक शुभ अवसर पर होता हो? 
उत्तर, नेपाल में दूध की बर्फी और सेल रोटी प्रत्येक शुभकार्य में अनिवार्य है।




ऐमाडबलम बेस कैम्प
के मार्ग में पड़ने वाली  फूल -पत्ती 

प्रकृति  को निहारते हुए  मायादेवी अर्याल