शुक्रवार, 6 मई 2011

Renowned Classical Singer Girija Devi

पद्मश्री ,पद्मभूषण एवं तानसेन आदि पुरस्कारों से सम्मानित 
ख्याति प्राप्त स्वर सम्राज्ञी गिरिजा देवी
  के  जन्म दिन  '८ मई' पर  विशेष,

प्रसन्न मुद्रा में  गिरिजा देवी  

१.आपने गायन की शिक्षा उस समय ली जबकि लडकियो को गाने के लिए  प्रोत्साहित नहीं किया जाता था .ऐसे में आपने गायकी कैसे सीखी ?
*मेरे पिताजी का गायन के प्रति रुझान था .इसलिए उन्होंने गायन की शिक्षा भी ली ,मेरी गायकी में रूचि देख कर  मुझे बढ़ावा दिया  की मै  अपने आपको इस क्षेत्र में पूर्ण प्रशिक्षित करू .
२. आपने कितने वर्ष की उम्र में गाना, गाना आरम्भ किया और आपके गायन के प्रारंभिक गुरु कौन  थे ?
* मैंने पाँच वर्ष की उम्र में गाना -गाना आरंभ कर दिया था और पंद्रह -सोलह वर्ष की उम्र तक मैंने गायकी के अनेक गुर सीख लिए थे .मेरे प्रथम गुरु थे स्वर्गीय श्री सरजू प्रसाद जी मिश्र .जिन्होंने मुझे बहुत मन से संगीत सिखाया था .दुसरे गुरु थे श्री चन्द्र मिश्र जी ,इन्होने मुझे गायन की शिक्षा  मेरी  शादी हो जाने के बाद दी .
३. उस समय गायकी का इतना रिवाज तो था नहीं ,तब क्या आपके गायन के ऊपर भी बंदिशे लगाई गयी की लड़की है कल को इसे ससुराल जाना है या कभी ससुराल   में किसी ने  आपकी संगीत के प्रति रूचि को देखकर कुछ कहा ?
* गाना तो लडकिया तब भी गाती ही थी ,भजन ,कीर्तन ,कजरी चैती आदि  हाँ मेरी माँ मुझे कभी -कभी टोकती थी लेकिन पिताजी की इच्छा के आगे चुप हो जाती थी .बाद में उन्होंने समझ लिया कि इसका जीवन ही गायन है और ये इसके  पीछे पागल हो गयी है अब इसको बोलने से कोई फायदा नहीं है . ससुराल में मेरे पति गाने के बहुत  शौक़ीन  थे उन्होंने मुझे कभी रोका- टोका नहीं. इसलिए अपने शौक को पूरा करने में हमें किसी बाधा का सामना नहीं करना पड़ा .
४. आपकी गायन के क्षेत्र में सबसे पहली उपलब्धि क्या है ?
* अट्ठारह वर्ष कि उम्र तक मैंने बहुत रियाज किया .उसके बाद १९४९ में मेरा पहला गाना  एलाहाबाद  में रेडियो भवन से प्रसारित हुआ .ये मेरे लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं था .उसके बाद  गाने का  क्रम चालू ही हो गया. अनेक देश -विदेश के कार्यक्रमों में हिस्सा लिया एवम बड़े-बड़े गायकों के साथ गाने का मौका मिला  .इन सबके साथ रहकर बहुत कुछ सीखने  को मिला. 
5. आपके जीवन का कोई ऐसा अनुभव जिसने आपके दिल पर अमिट छाप छोड़ी हो ?
*करीब २५-३० वर्ष पहले की बात है की एक बार कुछ लोग दुर्गा पूजा के अवसर पर हमे दरभंगा  लेकर गए थे .जब मै पंडाल में पहुची तो वहा एक भी सुनने वाला नहीं था सिवाय दो चार मजदूरो के जो अपने कम के सिलसिले में वहा रुके हुए थे .पहले तो मुझे बड़ा अजीब लगा .फिर मैंने देखा की सामने में शंकर भगवन का मंदिर है तथा दुर्गा जी स्वयं उस पंडाल में मौजूद है .बस मैंने उनका ध्यान करके आँखे बंद की और गाना आरंभ कर दिया .थोड़ी देर में पंडाल  खचाखच  भर गया .तभी मैंने देखा की एक दुबला पतला गौर वर्ण का ब्रह्मण हाथ में गंगाजल लिए और एक गमछा पहने और एक गमछा ओढ़े  हुए उस पंडाल में आया. मेरे पास आकर बोला की बेटी तुझे देने के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं है बस ये  गंगाजली  और  गमछा है तू इसे ले ले .मैंने कहा   कि इसे मै कैसे ले सकती हु ,ये तो आपका है .मैंने अपने पर्स से दस  रुपये   निकाले  और जैसे ही मुड़ी उन्हें देने के लिए देखा वो ब्रह्मण गायब है .बहुत खोजने का प्रयास किया लेकिन वो कही नहीं मिला.तब मुझे महसूस हुआ कि साक्षात् शंकर भगवन ही मुझे दर्शन देने के लिए आये थे .
६. आपको सब अप्पा कहते है इसका क्या मतलब है ?
* इसका मतलब कुछ भी नहीं है ,बस परिवार के एक छोटे से बच्चे ने मुझे अप्पा कहना आरम्भ कर दिया उसकी देखा -देखी दुसरे भी कहने लगे .तभी से मै जगत अप्पा बन गयी .
७.आपने जिंदगी से बहुत कुछ पाया है ,नाम , सम्मान आदि .अभी भी ऐसी कोई इच्छा  जिसे  आप पूरा करना चाहती है ?  
* मेरी इच्छा शास्त्रीय संगीत का परचम पूरे विश्व में लहराने की है .मै चाहती हु की ये यु ही बहता  जाये और लोगो को मुग्ध करता रहे .मेरा मानना है कि शास्त्रीय संगीत ऐसा ध्यान है जो लोगो के  जीवन की दिशा ही बदल देता है .
८. आपको खाना बनाने का बहुत शौक है .इतनी विविधता वाला खाना  बनाना आपने कैसे सीखा.और सबसे अधिक आपके पकाये  खाने में क्या पसंद किया जाता है ? 
* मेरे पास जो भी कोई गाना सीखने आता  मै उससे एक ही बात पूछती कि तुम्हे खाना बनाना आता है ,अगर आता है   तब तो  मै  गाना sikhaungi   वरना नहीं .इसका फायदा ये हुआ कि मुझे कई नए व्यंजन बनाने आ गए .इसके अलावा मै अपने छात्रो को खाना बनाना सिखाती भी हूँ .ठीक वैसे ही जैसे आजकल किसी भी उत्पाद को खरीदने पर कुछ न कुछ मुफ्त दिया जाता है .मेरी बनाई मलाई पाग ,खड़े भुट्टे कि सब्जी ,चुडा मटर आदि बहुत पसंद किये जाते है .


अप्पा जी का पूजा स्थल



'आत्मीय क्षण'
बेटी सुधा दत्त 'ओडिसी नृत्यांगना' के साथ   
माँ हमेशा परफेक्शन में विश्वास   करती   है ,उनका हर काम सलीके से होना चाहिए, अनुशासन उनकी जिंदगी है और वैसी ही जिंदगी जीने के लिए  हम लोगो को प्रेरित  करती है. मझे अपने बचपन की एक घटना याद है, जब मे पाँच वर्ष की थी एक दिन मै अपने मामा के साथ माँ को बिना बताये घूमने चली गई बस फिर क्या था लौट कर जो डांट पड़ी की पूछो मत, तबसे आज तक माँ को बिना बताये जाने की कभी हिम्मत ही नहीं पड़ी. दूसरी खास बात, माँ को खाना बनाने का बड़ा शौक है. कभी -कभी तो हमें लगता है की अगर माँ संगीत के  क्षेत्र  में नहीं आती तो ये किसी होटल में बहुत बड़ी शेफ (खाना बनाने वाली) होती. कही से कोई भी नए  व्यंजन की विधि मिल  भर जाये  बस माँ किचिन में ही दिखेंगी. मै जितना खाना बनाने से दूर भागती हूँ उतना ही माँ को खाना बनाने में रूचि है. इसी वजह से इतनी उम्र होने के बावजूद भी मुझे उनसे खाना ठीक से न बना पाने के लिए डांट खानी पड़ती है. अभी कुछ दिन पहले की बात है, माँ ने मुझसे कहा की आलू की टिक्की मलाई डाल कर बनाओ.  बनारस में खूब मोटी-मोटी  मलाई मिलती है माँ का मन हो गया टिक्की खाने का. अब हम परेशान  की आलू में मलाई डालेंगे तो वो सकते समय पिघल जाएँगी. हमने अपनी परेशानी माँ को बताई बस वो बिगड़ गई बोली ' तुम्हे तो कुछ भी बनाना नहीं आता, चलो हटो, हम बनायेगे' फिर क्या था उन्होंने आलू के बीच में मलाई भरकर उसे तवे पर सेंका. टिक्की सिक भी गई और मलाई पिघली भी नहीं.
एक बात मै अवश्य बताउंगी  जिसे सुनकर सबको हंसी आएँगी की माँ जब कभी विदेश जाती है तो उनके नाम का विदेशी लोग मतलब समझ नहीं पाते  और वो गिरिजा को गिरिजाघर समझ कर हमें ईसाई समझ लेते .
अप्पा जी संजय बुधिया( Managing Director of Patton Group. ) को अपने बेटे की तरह  प्यार करती है और उनके बारे में बात करते समय  बहुत  खुश हो जाती है  


संजय बुधिया   

अप्पा जी हमलोगों के परिवार का हिस्सा है उनके बिना हमारे कार्यक्रम अधूरे होते है. अगर अप्पा जी कोलकाता में है तो ऐसा हो ही नहीं सकता की वो हमारे किसी आयोजन में शामिल न हो, कितनी बार तो वो बीमार होने के बावजूद भी शामिल हुई .उनकी खास बात जो किसी को भी प्रभावित कर सकती है वो ये है कि  इतनी बड़ी शख्सियत होने के बावजूद भी दिखावा बिल्कुल नहीं करती, जैसे अगर वो किसी आयोजन में शामिल होती है तो उन्हें  खोजना पड़ता है कि वो बैठी कहा है. क्योकि वो साधारण इन्सान कि तरह कही भी आकर बैठ जाती है न ही वो किसी से किसी प्रकार कि मदद लेने कि कोशिश करती है .उनकी सादगी ,सरलता और अपनापन इसी से समझ में आता है कि अधिकतर सेलिब्रिटी उपहार लेना पसंद करती है लेकिन अप्पा जी उन लोगो में से है जो दूसरों को उपहार देने में विश्वास करती है .  मेरी  शादी कि सालगिरह पर उन्होंने मेरी पत्नी के लिए खुबसूरत सी साड़ी बहुत ही आत्मीयता के साथ भेजी.


 अपनी पत्नी मीनू बुधिया व् अप्पा जी के साथ
 जब कभी भी फ़ोन पर बात करेंगी तो पहले आशीर्वाद देंगी फिर पूरे परिवार के बारे में पूछेंगी .उनका बड़प्पन उनके व्यक्तित्व में झलकता है, उनके इसी अपनत्व से हम सभी abhibhut  है. उनके बारे में जितना भी कहा जाये कम है .संगीत  उनकी जिंदगी  है ,सादगी उनका व्यक्तित्व . उन्होंने शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में जो योगदान दिया है वो अभूतपूर्व है. इसे बचाने के लिए उन्होंने अपना   सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर  दिया .आज वो हमारे देश का गौरव है. उनके जैसी विभूति का वरदहस्त हमलोगों के साथ है ये सोचकर ही हम गौरवान्वित होते है और स्वयं को सुरक्षित महसूस करते है. 


 गिरिजा देवी जी के  जन्मदिन पर बुधिया हाउस में सम्मान करते हुए
चेयरमेन एच. पी. बुधिया एवं संजय बुधिया  









1 टिप्पणी:

  1. Hi,

    I am with a children's textbook publisher in India. Can we use your picture of Girija Devi for a book for 11-year-olds? we use pictures by different contributors and print their names in acknowledgment section of the book.

    The link to the picture is as follows:
    http://4.bp.blogspot.com/-RNcg2uY6Hv0/TcRHL6_Q0-I/AAAAAAAAAYg/gpJgn13R1r4/s1600/DSCN5729.JPG

    Thanks,
    Yukti

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