रविवार, 12 जून 2011

"VIR SAVARKAR " Dr. HARINDRA SHRIVASTAVA


                                         व्  वीर सावरकर पर शोध.....
१.भारत में बहुत से देशभक्त है ,उनमे से कितने ही शहीद हुए किन्तु आपने वीर सावरकर को ही क्यों चुना ?
* मुझे बचपने से ही पुस्तके पढने के लिए दी जाती थी ,इसलिए मैंने देश -विदेश के प्रसिद्ध लोगो के बारे में गहन अध्यन किया जैसे भगत सिंह ,चंद्रशेखर , तिलक व् नेपोलियन, मुसोलिनी, स्टालिन आदि | किन्तु जितना प्रभावशाली व् प्रेरक चरित्र वीर सावरकर का है उतना किसी का नहीं |
२. आपने सावरकर के ऊपर सीरियल बनाया लेकिन वो दिखाया नहीं गया क्यों?


डॉ. हरिंद्र श्रीवास्तव वीर सावरकर के ऊपर लिखी अपनी पुस्तक सिंह गर्जना के साथ
 
* मैंने सिर्फ सीरयल ही नहीं बनाया बल्कि उनके जीवन पर आधारित  documentary  व् फिल्म भी बनाई किन्तु तत्कालीन सरकार ने ये कहकर की "ये युवाओ को सांप्रदायिक बनाएगी एवम आतंकवाद को बढ़ावा मिलेगा" इसे दिखाने की अनुमति नहीं दी | इतना ही नहीं उस समय के  नव- निर्वाचित मंडल के अनुसार  मेरी पुस्तक " कालजयी वीर सावरकर" को ये कहकर अस्वीकार कर दिया की ये प्रकाशन के योग्य नहीं है .
३.| सीरियल बनाने के लिए आपको क्या -क्या परेशानी झेलनी पड़ी?
* मुझे जमीन-जायदाद बेचनी पड़ी .दिसम्बर के महीने में इंग्लेंड जाकर पिक्चर की  शूटिंग करनी पड़ी तकलीफे तो बहुत आई लेकिन घर वालो ने पूरा सहयोग दिया इसलिए आसानी से सब कुछ होता चला गया .
४.आपके अन्दर सावरकर को लेकर बहुत कुछ करने की इच्छा है इससे आपको ये  अवश्य लगता होगा कि आपके अन्दर एक ऐसी आग है जो आपको शांति से बैठने नहीं देती ?  
* ये जुनून ही पागलपन की निशानी है और मेरा मानना है की जब तक कोई पागल न हो तब तक कोई उसके घर को नहीं पहचानता .
५.आप ने सावरकर के ऊपर गहन अध्यन किया है लेकिन सावरकर के ऊपर जो पिक्चर बनी है उसमे आपका नाम कही नहीं है ?
*मेरी पीएचडी व् डीलिट सावरकर के ऊपर है .मैंने इसके ऊपर शोध किया है ,संवाद लेखन ,पटकथा सभी कुछ मैंने लिखा लेकिन मै उस समय दिल्ली  युनिवर्सिटी में अंग्रेजी का प्राध्यापक था इसलिए अपना नाम नही दे सकता था .
६. सावरकर के ऊपर कम करना मतलब निराशा व् उपेक्षा को अपनाना फिर भी आपने इस पर इतना कम किया क्यों ?
* मैंने इन सबकी कभी परवाह नहीं की जब सावरकर को, जिसने देश के लिए इतना कष्ट झेला उसे उपेक्षा ,घृणा, तिरस्कार मिला तो मै कौन हूँ .ये तो तभी सोच लिया था जब सावरकर से लौ लगाई थी कि जिसके अन्दर  बिजली का  नंगातार पकड़ने का साहस होगा वही इस दिशा में कार्य कर सकेगा .
७. कोई ऐसी घटना जिसने आपको बहुत मर्माहत किया हो ?
* २६ फरवरी १९६६ को जब सावरकर का  देहांत  हुआ तब इंदिरा गाँधी ने संसद में मौन इसलिए नहीं रखा क्योकि वो सांसद नहीं थे किन्तु  उसी जगह   लेनिन व् स्टालिन कि मृत्यु पर शोकसभा का आयोजन हुआ. क्यों ? क्या वे सांसद थे ?
८. विदेशो में सावरकर के प्रति क्या दृष्टिकोण है ?
*पाँच देश के विद्यार्थी  मेरे निर्देशन में पीएचडी कर रहे है "इंग्लॅण्ड, फ्रांस, हौलेंड, जर्मनी, अमेरिका |"  मर्सीलिज ,(फ्राँस) जंहा सावरकर १९१० में पानी के जहाज की छोटी सी खिड़की से कूदकर भागे थे और मर्सिलीज में पकडे गए वंहा उनके नाम से सड़क बन रही है | ब्रिटिश जिसके खिलाफ सावरकर ने आजादी की लड़ाई लड़ी वहा की संसद में १९८५ में उन्हें श्रधांजलि दी गयी वही मेरी पुस्तक का विमोचन भी हुआ और उनके ऊपर बनी हुयी पिक्चर भी दिखाई गयी | विदेश में लोग उनके साहस की सराहना मुक्त कंठ से करते है किन्तु हमारा देश उन्हें सम्मान देने से कतराता है .

अंडमान निकोबार का  काला  समुन्दर  
 ९.वीर सावरकर के जीवन की कौन सी घटनाये आपको ज्यादा मार्मिक तथा उत्साह वर्धक लगती है ?

 सेलुलर जेल में कैदी   को मारते हुए ...
 *जब सावरकर व् उनके बड़े भाई दोनों कालापानी की सजा  अंडमान  निकोबार में काट रहे थे तब उनकी पत्नियों को देखने वाला कोई भी नहीं था ऐसी  स्थिति में वे दोनों शमशान में पिंडदान खाकर व् वही सोकर अपना जीवन व्यतीत कर रही थी |  वही दूसरी ओर सावरकर अमानवीय नारकीय  परिस्थितियों में जेलर से छुपकर ग्यारह वर्ष के कारावास में बारह हज़ार ओजस्वी पंक्तिया जेल की दीवारों पर कीलों से लिखकर उन्हें कंठस्थ करते और सबेरे से पहले मिटा देते थे जिससे उन लिखी हुयी पंक्तियों को देखकर कोई उनकी शिकायंत न  कर दे  और उनकी सजा पहले से दूनी हो जाये .ये आसान बात नहीं है .बल्कि ऐसा  काम   विलक्षण  प्रतिभा के धनी लोग ही कर सकते है .




 सेलुलर जेल 


                                                  





7 टिप्‍पणियां:

  1. वीर सावरकर पर जो आपने लिखा है वो अब ओर आगे चल कर बहुत ही प्रेरणादायक होगा।
    आपको शत शत नमन

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  2. Shrivastava Sir, how shall I purchase your book "सिंह गर्जना"? I'm not getting it online anywhere. If you've a copy, please contact me on amit.stefen@gmail.com. I can pay in advance.

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