शुक्रवार, 13 मार्च 2020



मायादेवी आर्यल,  म्यूजियम अधिकारी, हनुमान दरबार ढोका  नेपाल 


प्रश्न,  अभी हाल ही में आप ने हिमालय की कुछ चोटियों को नापा है आपको नहीं लगता कि आप बहुत ही साहसी महिला है?
उत्तर, मैंने कभी खुद को साहसी नहीं समझा मै तो बस इतना जानती हूँ की मुझे प्राकृतिक सुंदरता बहुत आकर्षित करती है और ईश्वर ने नेपाल को इतनी खूबसूरती दी है जिसे देखने के लिए मै बार -बार कोशिश करती हूँ पहाड़ों की चोटियों के करीब जाने के लिए।  मै सबसे पहले  2010 में 15 दिन के लिए  ट्रेकिंग के लिए गई थी  जहाँ  पहाड़ों की अप्रतिम सुंदरता  ने मुझे वशीभूत कर दिया। वहां मैंने  प्राचीनतम मंदिर मुक्तिनाथ के दर्शन किए  ये  भगवान विष्णु का मंदिर है और यहां  विष्णु भगवान 
शालिग्राम  के रूप में विराजमान है ये हिन्दू और बौद्ध समुदाय के लिए बहुत ही पवित्र जगह है और नेपाल के चार धाम में से एक है।  लगभग १३ हजार फीट की ऊंचाई पर  पैगोडा शैली में बना ये मंदिर सिर्फ  नेपाल में ही नहीं पू रे विश्व  में अपनी पहचान बनाये हुए है।  यहां  प्रकृति के विभिन्न रूपों की छवि  स्वतः ही आपके मन  पर अपनी अमिट छाप छोड़ ती है। मुक्तिनाथ घाटी में मैंने बहुत सारी गुफाएं देखी। उसी दौरान सुना कि 2500 पुराना  एक बच्चे का मृत शरीर  जो भूस्खलन के कारण दब गया  था बिल्कुल सही अवस्था में मिला है  जिसे नेपाल के राष्ट्रीय अभिलेखागार में रखा गया है।  यही वजह है कि मै ऊँची चोटियों को नापने के लिए अक्सर निकल जाती हूँ। 

प्रश्न,  हा ल ही में आपने  लगभग १६००० फीट ऊँचे ऐमाडबलम  बेस केम्प तक ट्रैकिंग की, आपको डर नहीं लगा ?
उत्तर, मै नेपाल म्यूजियम में संपर्क अधिकारी हूँ।  जो लोग ट्रैकिंग करना चाहते है उनके फॉर्म पर मुझे साइन करना होता है. लगभग ३० विदेशियों का समूह एमडब्लॉम बेस केम्प तक जाने वाला था।  मेरी बेटी बहुत दिनों से ट्रेकिंग के लिए कह रही थी तो मुझे लगा कि ये सही अवसर है हम दोनों के जाने के लिए ।  रही बात डर की तो नेपालियों में  पहाड़ों पर चढ़ने का गुण  जन्मजात होता है वे ऊंचाइयों से नहीं डरते। 

३ प्रश्न ,कितने किलोमीटर रोज  पैदल चलना होता था खाने -पीने की क्या व्यवस्था रहती है, आप अपना सामान ले कर  कैसे चढ़ाई कर पाती थी ?
उत्तर, लगभग ११-१२ किलोमीटर  रोज पैदल चलना होता था। एक निश्चित दूरी के बाद  अच्छे होटल मिलते है जहाँ  रुकने की व्यवस्था  रहती है।  खाना -पीना  और विश्राम के लिए हम लोग  वहां ठहरते थे।  सामान ले जाने के लिए हमने लोडर भाड़े पर  ले लिए थे. अपने साथ सूखी मेवा और पानी रखते थे।  पहाड़ों पर चढ़ने के लिए दो डंडी का सहाराअत्यंत  आवश्यक होता है. इससे चढ़ने में सुविधा रहती है। 

४ प्रश्न, आपके पति ने आपके अकेले जाने पर ऐतराज नहीं किया ?
उत्तर, किया था ठीक वैसे ही जैसे केयरिंग हस्बेंड करते है जब हमने समझाया तो शांत हो गए। 

५प्रश्न,   इस यात्रा के दौरान आपने क्या देखा और क्या अनुभव किया?
उत्तर,   काठमांडू से लुकला तक हम प्लेन से गए वहां से नाम चे  बाजार। नामचे बाजार एक व्यावसायिक शहर है। यहां शेरपा म्यूजियम है जो नेपाल की पुरानी संस्कृति को दर्शाता है। यहीं से भाड़े पर लोडर या पिट्ठू मिलते है। एमा डबलाम बेस कैंप के रूट पर  ही सागरमाथा नेशनल पार्क है । इस नेशनलपार्क में   दूर - दूर से विदेशी सैलानी माउंट एवरेस्ट की चोटी को पास से देखने के लिए  आते है। यहां विभिन्न प्रकार के जीव और वनस्पति पाई जाती है। इनके बारे में जानना ही अनोखा अनुभव है। एम डा ब्लम चोटी नेपाल की तीन खूबसूरत चोटियों में से एक है। यहां तक पहुंचना और इसे करीब से देखना स्वर्ग से कम नहीं है। विश्व का सबसे ऊंचा होटल माउंट एवरेस्ट भी इसी रूट पर  बनाया गया है ।
लक्ष्य के करीब 

3,962m( लगभग -12998.69 फीट)
की ऊंचाई पर 
स्थित
 माउन्ट एवेरेस्ट होटल 


6 प्रश्न, नेपाल की कौनसी संस्कृति आपको बहुत प्रभावित करती है?
उत्तर, जीवित कन्या पूजन आज भी नेपाली संस्कृति का अभिन्न अंग है इस पूजन द्वारा कन्याओं को सम्मान देना स्वतः ही हमारे अंदर जन्म लेता है जिसके चलते हम लोग कन्याओं को बोझ नहीं समझते।

7  प्रश्न, आपने भारत के कई प्रदेशों का भ्रमण किया है, ऐतिहासिक इमारतें भी देखी है। नेपाल और भारत के आर्किटेक्चर  ( वास्तु शिल्प)  में आपको क्या अंतर नजर आया?
उत्तर, नेपाल  में टाउन प्लानिंग नहीं है।  आये दिन वहां ऊँची और बड़ी इमारतों का निर्माण होता रहता है जो नेपाल के भविष्य के लिए ठीक नहीं है।   नेपाल का आर्किटेक्चर भारत जैसा नहीं है। भारत के दक्षिण का वास्तु शिल्प बहुत ही सुन्दर है उनकी नक्काशी अद्भुत है। एक पत्थर को काट कर जिस तरह से मंदिरों  और मूर्तियों का निर्माण दक्षिण भारत में हुआ है वैसा नेपाल में नहीं है। एक बात जो गौर करने वाली है कि  जब कभी कोई ऐतिहासिक ईमारत सौ वर्ष पूरे कर लेती है तब उसे  यूनेस्को की तरफ से धरोहर घोषित कर दिया जाता है।  इन धरोहरों को सहेजने के लिए बीच -बीच में  इनकी मरम्मत आवश्यक होती है साथ ही हमें यह भी ध्यान रखना होता है की जिस सामग्री का उपयोग इनको बनाने में किया गया है उसी सामग्री का प्रयोग इनकी मरम्मत के दौरान करना चाहिए अन्यथा ये अपने वास्तविक स्वरूप को  खो देंगे ।  लेकिन इन नियमों की अनदेखी बहुत होती है इसका परिणाम उत्कृष्ट कलाकारी वाली इमारते  अपनी खूबसूरती को खो देती  है। 

8प्रश्न, 2015 में नेपाल में जबरदस्त भूकंप आया था जिसने भयंकर तबाही मचाई थी। जब भूकंप आया तब आप कहां थी? 
उत्तर, हनुमान ढोक दरबार पैलेस में मेरा आफिस है और उस समय  मै अपने आफिस में ही थी जब भूकंप आया।  तो  आंखों के सामने ही हमारे आफिस के सामने की बीस बिल्डिंग धाराशाई हो गई। आफिस की बिल्डिंग भी क्षतिग्रस्त हो गई ।  दिमाग शून्य में चला गया बस एक ही विचार जो फिलॉस्फी में पढ़ा गूंज रहा था " ब्रह्म सत्य, जगत मिथ्य।" जब चेतना आई तो सबसे पहले बच्चों को फोन लगाया जानने के लिए कि वे सुरक्षित है। मेरे पति का फोन आया हमलोगो की  खैरियत जानने के लिए।  चूंकि मेरे पति उस समय नेपाल में बड़े अधिकारी थे अतः उनके ऊपर जिम्मेदारी ज्यादा थी। भूकंप के चार दिन बाद मेरी उनसे मुलाकात हुई थी। और मुझे भूकंप के दूसरे ही दिन आफिस से ये जानने के लिए भेजा  गया कि कितनी इमारतें  पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गई है और कितनी इमारतें  थोड़ी बहुत मरम्मत करवाने के बाद ठीक हो जाएगी। उस समय नेपाल बहुत बुरे दौर से गुजर रहा था हर किसी की चेष्टा थी ज्यादा से ज्यादा मदद पहुंचाने की। घर - परिवार छोड़ कर सभी बचाव कार्य में लगे हुए थे।

9 प्रश्न, नेपाल की पारंपरिक खाद्य सामग्री जिसका इस्तेमाल प्रत्येक शुभ अवसर पर होता हो? 
उत्तर, नेपाल में दूध की बर्फी और सेल रोटी प्रत्येक शुभकार्य में अनिवार्य है।




ऐमाडबलम बेस कैम्प
के मार्ग में पड़ने वाली  फूल -पत्ती 

प्रकृति  को निहारते हुए  मायादेवी अर्याल 




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