इतिहास के आईने में बंगाल .....
१. डा. विधानचंद्र राय 'मुख्य मंत्री बंगाल (१९४७-६२) के समय में भयंकर अकाल पड़ा था .
२. "बंगला कांग्रेस से अजय कुमार मुख़र्जी १९६७ में मुख्य मंत्री बने .
३. १९६७ में नाक्साल्बरी गाँव से विद्रोह आरम्भ हुआ जिसका चारू मजुमदार व् कानू सान्याल (सिपिआइअम ) ने नेतृत्व किया .किन्तु उस समय की बंगाल सरकार ने इस सख्ती से दबा दिया .
४. १९६९ के चुनाव में सी पी एम बड़ी पार्टी के रूप में उभरी .अजय कुमार मुख़र्जी को फिर से मुख्य मंत्री बना दिया गया .१६ मार्च १९७० में उन्होंने इस्तीफा दे दिया और बंगाल में प्रेसिडेंट रूल लागु कर दिया गया .
५. सिद्धार्थ शंकर राय (कांग्रेस १९७२-१९७७ )१९७२ में मुख्यमंत्री बने ,मुख्य विपक्षी दल सी पी आई एम ने शपथ समारोह का बहिष्कार किया ये कहते हुए की चुनाव में धांधली हुयी है .
६.१९७५ ,में इंदिरा गाँधी ने पुरे देश में इमरजेंसी लागु कर दी .१९७५-१९७७ तक पुलिस व् नक्सलियो के बीच में में जबरदस्त हिंसा .
७. १९७७ के चुनाव में सी पी एम ने २४३ सीट जीत कर विशाल जीत दर्ज की .स्व. ज्योति बासु मुख्य मंत्री बने .१९७७-२०००.
८. २००० से अभी तक बुद्धदेब भट्टाचार्य मुख्यमंत्री के रूप में अभी तक शासन की कमान सम्हाले हुए है .
सी पी एम की कुछ भूले जिसने त्रिनमुल कांग्रेस के अस्तित्व को रौशनी दी .
१. सिंगुर : पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के सिंगुर ग्राम में टाटा नैनो कार के कारखाने को लगाने की योजना को अमली जमा पहनाने के लिए बंगाल सरकार ने ९९७ एकर जमीन किसानो से खरीदना चाही जिसका जमीन मालिको ने विरोध किया उनके इस आन्दोलन में त्रिनमुल कांग्रेस की अध्यक्षा ममता बनर्जी ने साथ दिया . अंत में रतन टाटा को सिंगुर छोड़ कर गुजरात जाना पड़ा .
२. १४ मार्च २००७ में बंगाल सरकार ने स्पेशल इकोनोमिक जोन (सेज) इंडोनेशिया में रहने वाले सलीम ग्रुप के साथ मिलकर केमिकल हब बनाने की योजना को वास्तविक रूप देने के लिए १०.००० एकर जमीन किसानो से खरीदने की कोशिश की जिसका विरोध बड़े पैमाने पर हुआ .इस विरोध को दबाने के लिए ३,००० की संख्या में पुलिस फ़ोर्स उतारी गयी जिसमे जम कर हिंसा हुयी १४ लोगो की मौत हो गयी ७० के लगभग लोग घायल हो गए .इसने वामपंथियो की छवि को बहुत जायदा ख़राब कर दिया .अंत में इस योजना को भी ठन्डे बस्ते में ड़ाल दिया गया .
३. १९४८-१९६२ में पश्चिम बंगाल उद्योगों की नगरी कहा जाता था .बंगाल के प्रथम मुख्यमंत्री विधानचंद्र राय ने बड़े बड़े उद्योग ,दुर्गापुर, आसनसोल ,कल्याणी ,howrah और कोलक़ता में लगवाये थे .१९६० -७० के दशक में उद्योगों की संख्या कम होने लगी जिसका कारण नक्सली हिंसा ,बंगलादेश युद्ध व् सी पी एम की नीतिया बताई जाती है.
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