शनिवार, 21 मार्च 2020

दिलीप घोष , सांसद व् अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल

दिलीप घोष  सांसद  व् अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल 


"जब बाघ ने  जोर - जोर से पूंछ पटकना आरम्भ  किया तब उसकी पूंछ  दीवार से जा टकराई 
उसकी आवाज से अंदर वाले की नींद खुल गई.  उसने पता लगाने के लिए भीतर से ही   झाँका "


प्रश्न ,नोट बंदी  के बारे में बहुत से लोग कह रहे है की ये सही फैसला नहीं है आपकी क्या राय  हैं क्या ये कदम सफल होगा  ?
उत्तर ,ये एक अच्छा फैसला है , इससे काले धन रखने वालों के ऊपर लगाम लगेगी जैसे की बहुत से डॉक्टर के यहाँ लोग घंटो लाईन लगाते है और डॉक्टर के यहाँ पैसा कच्चे में लेते है ,नर्सिंग होम ,जमीन ,घर या स्कूल सभी जगह ये  आम बात है इन पर रोक लगेगी।  रही बात सही और गलत की तो ये समय ही बताएगा या कोई अर्थशास्त्री बता सकेगा।  जो लोग इसकी आलोचना कर रहे है इसका मतलब है वे कालाधन से जुड़े है इसी लिए इसे गलत करार दे रहे है। 

प्रश्न , पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसके विरोध में है उनके अनुसार जनता को तकलीफ हो रही है , बहुत से रोजगार बंद हो रहे है ?
प्रश्न, ममता दी अपने राज्य को ठीक से देख नहीं पा रही है , जितने  आतंकवादी बंगाल से पकडे जा रहे है उतने किसी स्टेट से नहीं पकडे जा रहे है ,    अराजक तत्व खुले आम घूम रहे है ,आम लोगो को डरा -धमका रहे है यहाँतक की उनकी नाक के नीचे नवजात बच्चों की तस्करी हो रही है ,कितने नवजात मर गए उनके कंकाल वृद्धाश्रम में पाए गए। वृद्धाश्रम में बच्चों के कंकाल कैसे पहुंचे पहले दीदी इसकी छानबीन करे तत्पश्चात केंद्र सरकार के फैसले की आलोचना करे।रही  बात   रोजगार बंद होने की तो  ये  अस्थायी  समय है। 

प्रश्न , आप संघ से है ,बहुत से लोग संघ को   बैन करने की बात करते है क्योंकि उनके अनुसार संघी   कट्टर हिन्दू वादी होते है। 
उत्तर, भारत के दो प्रधान मंत्री संघ से है ,आडवाणी जी स्वयं संघ से है. मेरा पूरा परिवार संघ से जुड़ा हुआ है संघ  से जुड़ा होना अपराध नहीं है बल्कि ये आदमी को इंसान बनाता है दुसरो की मदद करना उनके लिए सोचना ये एक संघीय कर सकता है, रही बात कट्टर हिन्दू वादी की तो ये गलत धारणा है।  संघ कभी भी किसी की मदद जाति देखकर नही करता। जो इसकी आलोचना करते है वे भारत की बर्बादी चाहते है। 

प्रश्न, पश्चिम बंगाल में भाजपा की क्या स्थिति है। 
उत्तर, आने वाले दिन  भाजपा  के ही है क्योंकि  दीदी जिस तरह से बंगाल चला रही है वो बहुत दिन नहीं चलेगा  और बंगाल की जनता भाजपा को ही विकल्प के रूप में देख रहे है।
प्रश्न, आप ने अंडमान निकोबार में प्रचारक के तौर पर कई वर्षो तक काम किया ,कोई ऐसा वाक्या जिसे आज भी याद कर मुस्कराहट आ जाती है ?
उत्तर, सुनामी जब आयी थी तब मैं अंडमान में था।  सुनामी की त्रासदी , लोगो की चीख ,पुकार,बर्बादी सब कुछ मैंने  देखा है. बहुत बुरी स्थिति थी. बिजली की लाइन कट गयी , पीने के पानी  के लिए लोग तरस रहे थे ।  लोगो को पानी मुहैया कराने के लिए सरकार ने पानी भेजा।  माईक से घोषणा हो रही थी की 'पानी आ रहा है, पानी आ रहा है।' ये सुनकर लोग भागने लगे क्योंकि पानी आ रहा है का  मतलब  सुनामी आ रही है ,तब उनको समझाया  की ये सुनामी की घोषणा नही है ये पीने का पानी वितरित हो रहा है उसकी सूचना है।  दो -चार दिन बाद माईक से फिर घोषणा हुयी कि पानी आ रहा है ,लोग बाल्टी ,कलशी लेकर सड़क पर एकत्रित हो गए तब उन्हें बताया की ये पीने का पानी नहीं बल्कि सुनामी आने की घोषणा है.

प्रश्न , आप ने सुन्दर वन में भी काफी साल बिताये है ,वँहा का कोई दिलचस्प किस्सा ?
उत्तर , सुंदरवन में पहले बाघों का बड़ा आतंक था।  उस समय  लोगो के पास घर के नाम पर झाड़-फूंस की झोपडी होती थी जहा कुछ लोग घर के अंदर और एक आदमी घर के बाहर सोता था।  एक बार सर्दी के समय एक बाघ एक झोपडी में घुस आया वहां सोया हुआ आदमी अपने को चारो तरफ से रजाई में लपेटे हुए सो रहा था। बाघ की आदत होती है ,जब वो अपने शिकार को देखता है तो पूंछ जोर- जोर से पटकता है  और शिकार को हमेशा गले से पकड़ता है, उस आदमी को देखकर उसे समझ में ही नहीं आ रहा था की उसका सर किधर है, इधर वो आदमी डर  के मारे बोल भी नहीं पा रहा था।  जब बाघ ने  जोर - जोर से पूंछ पटकना आरम्भ  किया तब उसकी पूंछ  दीवार से जा टकराई उसकी आवाज से अंदर वाले की नींद खुल गई.  उसने पता लगाने के लिए भीतर से ही   झाँका ,   बाहर बाघ  को देखकर उसने चिल्लाना शुरू किया जिससे डर कर बाघ भाग गया। 



सांसद दिलीप घोष
' द वेक' पत्रिका के प्रबंध सम्पादक मनोज त्रिवेदी के साथ
 


३०. ११. १ ६ 


सोमवार, 16 मार्च 2020

KUFFU, 'I am SO SWEET': Bholi n Drishta @ Jhakdi Fall in Gangtok

KUFFU, 'I am SO SWEET': Bholi n Drishta @ Jhakdi Fall in Gangtok: भोली और दृष्टा   बन झाकड़ी फॉल में,  दृष्टा और भोली  हम लोगों ने जब गैंगटॉक  घूमने की योजना बनायीं तो हमारे साथ  चार पैर वाले  दो पाल...

रविवार, 15 मार्च 2020

निर्माता, निर्देशक, अभिनेता अर्जुन चक्रबर्ती


व्यहवहारिक, मिलनसार, विलक्षण  प्रतिभा के धनी
कलाकार अर्जुन चक्रबर्ती 
1986 में अंकुश जैसी फिल्म से  बॉलीवुड में  पैर  जमाने वाले, नाम कमाने वाले  फिल्म कलाकार अर्जुन चक्रबर्ती  ने हिंदी और बंगाली  फिल्मों में काम किया है, " माई  कर्मा " फिल्म ने उन्हें अंतराष्ट्रीय स्तर  पर ख्याति दिलवाई  वही उनके निर्देशन में बनी  फिल्म "  टॉली  लाइट " ने उन्हे सशक्त निर्देशक के रूप में स्थापित किया।  बहुचर्चित टीवी धारावाहिक "साहब बीबी और गुलाम"  में रवीना टंडन के साथ काम कर प्रशंसा बटोरी। अर्जुन चक्रबर्ती बहुत ही सहज, सरल, विनम्र और  व्यावहारिक है.  साक्षात्कार के  दौरान आपने बहुत सी बातों  (ऑन द  रिकार्ड ,ऑफ द  रिकॉर्ड ) पर खुल कर  चर्चा की. यहां प्रस्तुत है चर्चा के कुछ अंश.... 

१ प्रश्न, पिछले पांच पुश्त से आपके परिवार ने डाक्टर के पेशे को ही अपनाया आपने ये परंपरा कैसे तोड़ी ?
उत्तर,  बस टूट गयी .. .  मै  बी एस सी का छात्र था एक दिन अचानक दोस्तों के साथ एक फिल्म को लेकर झगड़ा हो गया बस उसी दिन मैंने निर्णय लिया कि मुझे बम्बई जाकर निर्देशक बनना  है.  और जब मै ट्रेन में सफर कर रहा था तभी मैंने माधुरी पत्रिका में एक इंटरव्यू पढ़ा और उसी समय ठान लिया कि  मुझे इसी शख्स के साथ काम करना है और वो शख्स है गुलजार साहब।

२ प्रश्न, गुलजार साहब से आपकी मुलाकात कैसे हुयी ?
उत्तर,  मुंबई पहुंचने के बाद मै उनसे मिलने उन के  ऑफिस  पंहुचा तो इत्तफाक से  वो मुझे लिफ्ट में ही मिल गए और उन्होंने दूसरे दिन मिलने का समय मात्र १० मिनट का दिया किन्तु जब दूसरे दिन मै उनसे मिला तो वो १० मिनट ढाई घंटे में बदल गए।  उन्होंने मुझसे बंगाल के बारे में पूछा , रवीन्द्रनाथ टैगोर , जैनेन्द्र  जैन, महादेवी वर्मा, कृष्ण चन्दर के बारे में बात की।  जब मै चलने लगा तो वे मुझसे बोले की अपनी तनखाह तो लेते जाओ ? मैंने आश्चर्य से पूछा तनखाह किस बात की?  तब उन्होंने   कहा की तीसरे सहायक की पोस्ट छह महीने से खाली है और आज से तुम मेरे सहायक हो। 

प्रश्न, गुलजार साहब के साथ आपने कितने वर्ष कार्य किया और उनकी कौन सी अच्छाइयों को आत्म सात किया और कौन सी बात पर आपको लगता की अगर ये कमी इनके व्यक्तित्व से निकाल दी जाये तो इनका कार्य और निखर जाये ?
उत्तर,  उनके साथ रहकर मैंने बहुत कुछ सीखा।  गुलजार जी हिंदी नहीं जानते वे या तो उर्दू जानते है या इंग्लिश।  उनके साथ रहकर मैंने उर्दू सीखी।  उन्होंने सिखाया कि  गीत सिचुएशन के हिसाब से लिखना होता है, मुझे लिखने को देते जब मै लिख कर दिखाता तो कहते कम से कम शब्दों का इस्तेमाल करो. मै गुलजार साहब के साथ साढ़े चार वर्ष था चूंकि निर्देशक बनने का कीड़ा शुरू से ही मेरे अंदर था तो मैंने गुलजार साहब के साथ निर्देशन की बारीकियां  सीखी। रही बात उनकी कमजोरी की तो  उनके अंदर सिर्फ एक ही कमी है की वे आर्ट फिल्म बनाते और एक्टर कमर्शियल लेते जिसका  परिणाम पिक्चर निर्धारित समय से ज्यादा समय ले लेती और  बजट अपेक्षा से ऊपर चला जाता।

४. प्रश्न, क्या आपने भी कवितायेँ लिखी है ?
उत्तर, बंगाली भाषा में लिखी कविताओं की एक पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है, हिंदी कविताओं की पुस्तक पर काम चल रहा है तत्पश्चात अंग्रेजी में कवितायेँ प्रकाशित करवाने की सोचूंगा। 

५.  प्रश्न,  गुलजार जी ने आपको पहली बार काम किस पिक्चर में दिया तत्पश्चात आपको सफलता किन फिल्मों ने दिलाई?  
उत्तर, सबसे पहली पिक्चर अंगूर थी जिसमें मुझे संजीव कुमार के साथ एक छोटा सा रोल गुलजार साहब ने दिया । 1986 में अंकुश फिल्म में मैंने काम किया जिसे दर्शकों ने बहुत पसंद किया। लेकिन मेरा रुझान बंगाली फिल्मों की तरफ ज्यादा था इस लिए मुंबई से कोलकाता आ गया यहां पिक्चरों और टीवी धारावाहिकों में काम किया। टीवी धारावाहिक में " साहब बीबी और गुलाम " काफी लोकप्रिय हुआ। बंगाली फिल्म "  मेरा  कर्म " को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिली।

६, प्रश्न आपके द्वारा निर्देशित प्रथम फिल्म?
उत्तर, मेरे निर्देशन में पहली फिल्म टॉली लाईट थी, इसमें मेरे साथ सनी देवल एवम् मिथुन चक्रवर्ती थे।

७.  प्रश्न,  सनी देवल और मिथुन चक्रवर्ती दोनों ही बड़े कलाकार है इन लोगो ने आपसे पारिश्रमिक लिया था?
उत्तर, ये दोनों ही मेरे दोस्त है, पारिश्रमिक लेना तो दूर उल्टे मदद की थी जैसे कि इनके घर में, इनकी गाड़ी में शूटिंग करना। इन लोगो ने मेरी पूरी यूनिट को खाना भी खिलाया। बहुत ही अच्छे इंसान है।

८.  प्रश्न बॉलीवुड और टॉलीवुड में क्या अंतर है ?
उत्तर , सबसे बड़ा अंतर पैसे का है , दूसरा अंतर है नए विषय पर पिक्चर बनाना जैसे बधाई हो, अंधाधुन, आर्टिकल १५  आदि. इस मामले में   बंगाल थोड़ा पीछे है.  जिंदगी में  बहुत से इशू है जिन पर काम होना चाहिए सिर्फ नर और नारी का संपर्क ही सब कुछ नहीं है।  फैज अहमद फैज साहब की एक नज्म है, " और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा , राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा।"   
  
९.प्रश्न,  अभी आप निर्देशक के रूप में किस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे है और ये  बंगाली में है या हिंदी में ?
ऊपर ,सुपर नेचुरल पावर के ऊपर अभी हमारी  काम करने की योजना है , एक और प्रोजेक्ट दिमाग में चल रहा है।  अब सवाल आपने पूछा है की बंगाली या हिंदी में तो हमारे प्रोड्यूसर साहब  बंगाली में बनाने की सलाह दे रहे है जबकि हम चाहते है कि वो हिंदी में बने। 

१०, प्रश्न , टॉलीवुड की कौनसी बात आपको सबसे ज्यादा प्रभावित करती है और बंगाल में  बंगाली  लोग अपने कल्चर के प्रति कितना समर्पित है उस पर आपकी क्या राय है  ?
उत्तर, यहां लोग मन से मिलते है, उनमे  आत्मीयता होती है वे आपके साथ आपकी जरुरत में भी खड़े रहते है। हिंदी फिल्मों में वो काम को ज्यादा तवज्जो देते है।   रही बात कल्चर की तो  बंगाली कही खोता जा रहा है, उसकी पहचान धूमिल हो ती जा रही है वो अब अपनी जड़ों से दूर जा रहे है जबकि महाराष्ट्रियन, गुजराती , दक्षिण भारतीय, पंजाबी  आज भी अपनी संस्कृति को संजो कर सहेज कर चल रहा है। 

११ , प्रश्न  आप युवाओं को क्या सन्देश देना चाहते है ?
उत्तर , धैर्य न खोये , जो भी काम करे मन से और ईमानदारी से करे , सफलता एक दिन में नहीं मिलती उसके लिए जल्दबाजी न दिखाए।  राजनीती से दूर रहे  और  राजनीतिज्ञों के हाथ की  कठपुतली  न बने। अपनी क्षमता पहचान कर आगे बढ़े. हिंसा का हिस्सा न बने।  

विभिन्न प्रकार के  फूलों  के  गमलों से सुसज्जित
अपने   फ्लैट की छत पर  एक्टर अर्जुन चक्रबर्ती 
 द  वेक पत्रिका की संपादिका शकुन त्रिवेदी के साथ 

शुक्रवार, 13 मार्च 2020

"THE WAKE" : मायादेवी आर्यल,  म्यूजियम अधिकारी, हनुमान दरबार ...

"THE WAKE" :

मायादेवी आर्यल,  म्यूजियम अधिकारी, हनुमान दरबार  नेपाल ...
: मायादेवी आर्यल,  म्यूजियम अधिकारी, हनुमान दरबार ढोका  नेपाल  १ प्रश्न,  अभी हाल ही में आप ने हिमालय की कुछ चोटियों को नापा है...


मायादेवी आर्यल,  म्यूजियम अधिकारी, हनुमान दरबार ढोका  नेपाल 


प्रश्न,  अभी हाल ही में आप ने हिमालय की कुछ चोटियों को नापा है आपको नहीं लगता कि आप बहुत ही साहसी महिला है?
उत्तर, मैंने कभी खुद को साहसी नहीं समझा मै तो बस इतना जानती हूँ की मुझे प्राकृतिक सुंदरता बहुत आकर्षित करती है और ईश्वर ने नेपाल को इतनी खूबसूरती दी है जिसे देखने के लिए मै बार -बार कोशिश करती हूँ पहाड़ों की चोटियों के करीब जाने के लिए।  मै सबसे पहले  2010 में 15 दिन के लिए  ट्रेकिंग के लिए गई थी  जहाँ  पहाड़ों की अप्रतिम सुंदरता  ने मुझे वशीभूत कर दिया। वहां मैंने  प्राचीनतम मंदिर मुक्तिनाथ के दर्शन किए  ये  भगवान विष्णु का मंदिर है और यहां  विष्णु भगवान 
शालिग्राम  के रूप में विराजमान है ये हिन्दू और बौद्ध समुदाय के लिए बहुत ही पवित्र जगह है और नेपाल के चार धाम में से एक है।  लगभग १३ हजार फीट की ऊंचाई पर  पैगोडा शैली में बना ये मंदिर सिर्फ  नेपाल में ही नहीं पू रे विश्व  में अपनी पहचान बनाये हुए है।  यहां  प्रकृति के विभिन्न रूपों की छवि  स्वतः ही आपके मन  पर अपनी अमिट छाप छोड़ ती है। मुक्तिनाथ घाटी में मैंने बहुत सारी गुफाएं देखी। उसी दौरान सुना कि 2500 पुराना  एक बच्चे का मृत शरीर  जो भूस्खलन के कारण दब गया  था बिल्कुल सही अवस्था में मिला है  जिसे नेपाल के राष्ट्रीय अभिलेखागार में रखा गया है।  यही वजह है कि मै ऊँची चोटियों को नापने के लिए अक्सर निकल जाती हूँ। 

प्रश्न,  हा ल ही में आपने  लगभग १६००० फीट ऊँचे ऐमाडबलम  बेस केम्प तक ट्रैकिंग की, आपको डर नहीं लगा ?
उत्तर, मै नेपाल म्यूजियम में संपर्क अधिकारी हूँ।  जो लोग ट्रैकिंग करना चाहते है उनके फॉर्म पर मुझे साइन करना होता है. लगभग ३० विदेशियों का समूह एमडब्लॉम बेस केम्प तक जाने वाला था।  मेरी बेटी बहुत दिनों से ट्रेकिंग के लिए कह रही थी तो मुझे लगा कि ये सही अवसर है हम दोनों के जाने के लिए ।  रही बात डर की तो नेपालियों में  पहाड़ों पर चढ़ने का गुण  जन्मजात होता है वे ऊंचाइयों से नहीं डरते। 

३ प्रश्न ,कितने किलोमीटर रोज  पैदल चलना होता था खाने -पीने की क्या व्यवस्था रहती है, आप अपना सामान ले कर  कैसे चढ़ाई कर पाती थी ?
उत्तर, लगभग ११-१२ किलोमीटर  रोज पैदल चलना होता था। एक निश्चित दूरी के बाद  अच्छे होटल मिलते है जहाँ  रुकने की व्यवस्था  रहती है।  खाना -पीना  और विश्राम के लिए हम लोग  वहां ठहरते थे।  सामान ले जाने के लिए हमने लोडर भाड़े पर  ले लिए थे. अपने साथ सूखी मेवा और पानी रखते थे।  पहाड़ों पर चढ़ने के लिए दो डंडी का सहाराअत्यंत  आवश्यक होता है. इससे चढ़ने में सुविधा रहती है। 

४ प्रश्न, आपके पति ने आपके अकेले जाने पर ऐतराज नहीं किया ?
उत्तर, किया था ठीक वैसे ही जैसे केयरिंग हस्बेंड करते है जब हमने समझाया तो शांत हो गए। 

५प्रश्न,   इस यात्रा के दौरान आपने क्या देखा और क्या अनुभव किया?
उत्तर,   काठमांडू से लुकला तक हम प्लेन से गए वहां से नाम चे  बाजार। नामचे बाजार एक व्यावसायिक शहर है। यहां शेरपा म्यूजियम है जो नेपाल की पुरानी संस्कृति को दर्शाता है। यहीं से भाड़े पर लोडर या पिट्ठू मिलते है। एमा डबलाम बेस कैंप के रूट पर  ही सागरमाथा नेशनल पार्क है । इस नेशनलपार्क में   दूर - दूर से विदेशी सैलानी माउंट एवरेस्ट की चोटी को पास से देखने के लिए  आते है। यहां विभिन्न प्रकार के जीव और वनस्पति पाई जाती है। इनके बारे में जानना ही अनोखा अनुभव है। एम डा ब्लम चोटी नेपाल की तीन खूबसूरत चोटियों में से एक है। यहां तक पहुंचना और इसे करीब से देखना स्वर्ग से कम नहीं है। विश्व का सबसे ऊंचा होटल माउंट एवरेस्ट भी इसी रूट पर  बनाया गया है ।
लक्ष्य के करीब 

3,962m( लगभग -12998.69 फीट)
की ऊंचाई पर 
स्थित
 माउन्ट एवेरेस्ट होटल 


6 प्रश्न, नेपाल की कौनसी संस्कृति आपको बहुत प्रभावित करती है?
उत्तर, जीवित कन्या पूजन आज भी नेपाली संस्कृति का अभिन्न अंग है इस पूजन द्वारा कन्याओं को सम्मान देना स्वतः ही हमारे अंदर जन्म लेता है जिसके चलते हम लोग कन्याओं को बोझ नहीं समझते।

7  प्रश्न, आपने भारत के कई प्रदेशों का भ्रमण किया है, ऐतिहासिक इमारतें भी देखी है। नेपाल और भारत के आर्किटेक्चर  ( वास्तु शिल्प)  में आपको क्या अंतर नजर आया?
उत्तर, नेपाल  में टाउन प्लानिंग नहीं है।  आये दिन वहां ऊँची और बड़ी इमारतों का निर्माण होता रहता है जो नेपाल के भविष्य के लिए ठीक नहीं है।   नेपाल का आर्किटेक्चर भारत जैसा नहीं है। भारत के दक्षिण का वास्तु शिल्प बहुत ही सुन्दर है उनकी नक्काशी अद्भुत है। एक पत्थर को काट कर जिस तरह से मंदिरों  और मूर्तियों का निर्माण दक्षिण भारत में हुआ है वैसा नेपाल में नहीं है। एक बात जो गौर करने वाली है कि  जब कभी कोई ऐतिहासिक ईमारत सौ वर्ष पूरे कर लेती है तब उसे  यूनेस्को की तरफ से धरोहर घोषित कर दिया जाता है।  इन धरोहरों को सहेजने के लिए बीच -बीच में  इनकी मरम्मत आवश्यक होती है साथ ही हमें यह भी ध्यान रखना होता है की जिस सामग्री का उपयोग इनको बनाने में किया गया है उसी सामग्री का प्रयोग इनकी मरम्मत के दौरान करना चाहिए अन्यथा ये अपने वास्तविक स्वरूप को  खो देंगे ।  लेकिन इन नियमों की अनदेखी बहुत होती है इसका परिणाम उत्कृष्ट कलाकारी वाली इमारते  अपनी खूबसूरती को खो देती  है। 

8प्रश्न, 2015 में नेपाल में जबरदस्त भूकंप आया था जिसने भयंकर तबाही मचाई थी। जब भूकंप आया तब आप कहां थी? 
उत्तर, हनुमान ढोक दरबार पैलेस में मेरा आफिस है और उस समय  मै अपने आफिस में ही थी जब भूकंप आया।  तो  आंखों के सामने ही हमारे आफिस के सामने की बीस बिल्डिंग धाराशाई हो गई। आफिस की बिल्डिंग भी क्षतिग्रस्त हो गई ।  दिमाग शून्य में चला गया बस एक ही विचार जो फिलॉस्फी में पढ़ा गूंज रहा था " ब्रह्म सत्य, जगत मिथ्य।" जब चेतना आई तो सबसे पहले बच्चों को फोन लगाया जानने के लिए कि वे सुरक्षित है। मेरे पति का फोन आया हमलोगो की  खैरियत जानने के लिए।  चूंकि मेरे पति उस समय नेपाल में बड़े अधिकारी थे अतः उनके ऊपर जिम्मेदारी ज्यादा थी। भूकंप के चार दिन बाद मेरी उनसे मुलाकात हुई थी। और मुझे भूकंप के दूसरे ही दिन आफिस से ये जानने के लिए भेजा  गया कि कितनी इमारतें  पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गई है और कितनी इमारतें  थोड़ी बहुत मरम्मत करवाने के बाद ठीक हो जाएगी। उस समय नेपाल बहुत बुरे दौर से गुजर रहा था हर किसी की चेष्टा थी ज्यादा से ज्यादा मदद पहुंचाने की। घर - परिवार छोड़ कर सभी बचाव कार्य में लगे हुए थे।

9 प्रश्न, नेपाल की पारंपरिक खाद्य सामग्री जिसका इस्तेमाल प्रत्येक शुभ अवसर पर होता हो? 
उत्तर, नेपाल में दूध की बर्फी और सेल रोटी प्रत्येक शुभकार्य में अनिवार्य है।




ऐमाडबलम बेस कैम्प
के मार्ग में पड़ने वाली  फूल -पत्ती 

प्रकृति  को निहारते हुए  मायादेवी अर्याल