सोमवार, 4 अप्रैल 2011

Nizamuddin Butt MLA (PDP) Kashmir

निजामुद्दीन बट्ट  विधायक बांदीपोरा   कश्मीर ,,,,,,,
१. क्या ये सही है की जो लोग कश्मीर में शांति से रहना चाहते है उन लोगो को चाहे वो हिन्दू हो या मुस्लिम उन्हें कश्मीर से भगाया जा रहा है ?
*बिलकुल गलत है .जो लोग इस तरह के इल्जामत लगा रहे है वे गलत कर रहे है .उनकी क्या मंशा है इसके बारे में कुछ नही कहा जा सकता .लेकिन हमने नहीं सुना की कोई हुर्रियत कांफेरेंस या militant के डर से कश्मीर छोड़ कर भाग रहा है .हमारी उनकी पार्टिया अलग है वे हमारे बारे में बहुत कुछ बोलते रहते है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि अगर कोई उनपर गलत इल्जाम लगाये तो हम उसका साथ दे .ये भगाने वाली बात जो उठ रही है ये सही नहीं है इसके पीछे जरुर कोई बदनीयती है .
2. कश्मीरी हिन्दुओ को कश्मीर से भगाया गया उसके लिए घाटी के लोग व आपकी पार्टी क्या कर रही है ?
*हम लोग उनको वापस बुलाना  चाहते है .हम सभी चाहते है की कश्मीरी पंडित वापस आ जाये .फिर से हम सब एक साथ मिलजुल कर रहे जैसे की पहले रहते थे .लेकिन उनके अन्दर इतना डर समाया हुआ है कि वे वापस नहीं आना चाहते .
३. आप लोग उन्हें वापस बुलाना चाहते है ,लेकिन बिना सुरक्षा , सुविधा और रोजगार  के वे वापस आकर क्या करेंगे ?
*देखिये सुरक्षा का ठिकाना यहाँ किसी का नहीं है ,कोई भी कश्मीर में सुरक्षित नहीं है .वैसे भी  सुरक्षा सुविधा और रोजगार देने का काम सरकार का है हम तो यही कह सकते है कि आम मुस्लिम बिरादरी उनका समर्थन कर रही है .
४.क्या अभी भी militancy  है ?
*है लेकिन बहुत कम. हम जिस जगह रहते है वहा अभी भी थोड़े हिन्दू है हम सभी एकसाथ आराम से रह रहे है .दिल का खौफ तभी निकलेगा जब आप रहेंगे .आप गुजरात को देखिये गोधरा कांड के बाद वहा दंगा हुआ लेकिन क्या मुस्लिम समाज ने वहा रहना छोड़ दिया ,वे आज भी रह रहे है और शांति से रह रहे है .आज की तारीख में गुजरात सबसे अधिक विकसित राज्य है .
५.इन्हें वापस बुलाने के लिए क्या करना चाहिए .
*इनके संगठन के लोगो को तय करना चाहिए की  वे  वापस जाकर अपने घर में रहे.मुस्लिम समुदाय की तरफ से इन्हें पूरा सहयोग व समर्थन मिलेंगा.
६. बीस वर्षो के बाद भी लगभग चालीस हजार कश्मीरी हिन्दू कैम्पों में खस्ताहाल हालत में  रहने के लिए मजबूर है क्योकि उनके लिए कुछ किया नहीं जा रहा है .ऐसा क्यों ?
* ये दोष केंद्र सरकार का है .उन्हें घर केंद्र सरकार देंगी न की राज्य सरकार लेकिन केंद्र सरकार राज्य पर दबाव बनाती है की राज्य सरकार उनके लिए घर की व्यवस्था करे .
७.आप उन हिन्दुओ के लिए क्या कहना  चाहते है जिन्हें जबरदस्ती डरा धमका के पलायन करने के लिए मजबूर किया गया .
*हम  मानते है की उनके साथ जो हुआ वो गलत था .लेकिन हम यही विश्वास दिलाना चाहेंगे कि दिल हमारे खुले हुए है ,हम उनका स्वागत करेंगे और चाहेंगे कि वे लोग आकर यंहा सुख शांति से मेल मिलाप के साथ रहे, काम करे. देश उन्नति करे .हमारी पार्टी ने कैंसर विशेषग्य डा. समीर कौल को  पार्टी प्रवक्ता बनाया है .हम लोगो कि यही चेष्टा है कि सब एक साथ रहे .


निराशा हाथ लगी ये कहना है कुछ कश्मीरी मुस्लिम का ........

खुले आसमान के नीचे भोजन की व्यवस्था 


अस्थायी ठिकाना 
कुछ महीने पहले कश्मीर से तक़रीबन हजार लोग कोलकाता आये .उन्होंने   शाल ,  शलवार सूट और कालीन बेचने का काम आरम्भ किया .किन्तु कोलकाता  में गर्मी अधिक होने के कारण उनका काम ठीक से चल नहीं सका .कोई ठोस व्यवस्था व् स्थायी रोजगार न होने की वजह से उन्हें खाने पीने की परेशानी  का सामना करना पड़ा .उनकी खस्ता हालत  देख कर अगल बगल में रहने वालो ने  उनकी मदद की और उन्हें सलाह दी की वे ऍन जिओ (गैर सरकारी संगठन ) के पास जाये और उनसे मदद मांगे .वे लोग कई एनजीओ के पास मदद के लिए गए  .उन्हें मदद भी मिली .प्रेस वालो ने भी उनकी बाते सुनी ,कुछ ने छापा भी .फिर पता चला की उनमे से काफी लोग कश्मीर वापस चले गए .जो बच गए है वे भी जा रहे है .हमने भी उनसे मुलाकात की .तो उनमे से कुछ लोगो ने बताया की वे बारामुला के रहने वाले है .उनको अपना देश इस लिए छोड़ना पड़ा क्योकि उन्हें वहा हुर्रियत कांफ्रेंस के लोग और पाकिस्तान से आने वाले militant  परेशान कर रहे थे उनको वहा जान का खतरा था इसलिए लगभग १०,००० लोग कश्मीर से निकल कर बड़े बड़े शहरो में बस गए ..जब उनसे पूछा की अब वे अगर वापस जायेंगे तो क्या उन्हें जान मॉल का खतरा नहीं होगा .इसपर उन्होंने जवाब दिया की कश्मीर के मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला ने उनके रहने के लिए घरऔर काम की व्यवस्था की है .जहा वे लोग जाकर शांति से रहेंगे बात करते समय वे बार बार पूछ रहे थे की आप प्रेस से तो नहीं आप इसे कही छापेंगे तो नहीं क्योकि ये उन्हें परेशानी में डाल सकता है और हो सकता है की इससे उनकी जान पर भी बन आये .
उनके साथ हुयी मुलाकात ने कुछ सवाल खड़े कर दिए की क्या ये जो कह रहे है सही है , अगर ऐसा है तो कश्मीर में सुरक्षित कौन है .और अगर १०,००० लोग कश्मीर से निकले तो इसकी खबर मिडिया में क्यों नहीं आई .उन्ही सवालों के जवाब के लिए कश्मीर के बांदीपुरा जिले के विधायक  निजामुद्दीन बट  से बात की उनसे हुयी बात के कुछ अंश यहाँ प्रस्तुत है ......






रविवार, 3 अप्रैल 2011

Bengal in the mirror of History

इतिहास के आईने में बंगाल .....
१. डा. विधानचंद्र राय 'मुख्य मंत्री बंगाल (१९४७-६२) के समय में भयंकर अकाल पड़ा था .
२. "बंगला कांग्रेस से अजय कुमार मुख़र्जी १९६७ में मुख्य मंत्री बने .
३. १९६७ में नाक्साल्बरी गाँव से विद्रोह आरम्भ हुआ जिसका चारू मजुमदार व् कानू सान्याल (सिपिआइअम ) ने नेतृत्व किया .किन्तु उस समय की बंगाल सरकार ने  इस सख्ती से दबा दिया .
४. १९६९ के चुनाव में सी पी एम बड़ी पार्टी के रूप में उभरी .अजय कुमार मुख़र्जी को फिर से मुख्य मंत्री बना दिया गया .१६ मार्च १९७० में उन्होंने इस्तीफा दे दिया और बंगाल में प्रेसिडेंट रूल लागु कर दिया गया .
५. सिद्धार्थ शंकर राय (कांग्रेस १९७२-१९७७  )१९७२ में मुख्यमंत्री बने ,मुख्य विपक्षी दल सी पी आई एम ने शपथ समारोह का बहिष्कार किया ये कहते हुए की चुनाव में धांधली हुयी है .
६.१९७५ ,में इंदिरा गाँधी ने पुरे देश में इमरजेंसी लागु कर दी .१९७५-१९७७ तक पुलिस व्  नक्सलियो के बीच में में जबरदस्त हिंसा .
७. १९७७ के चुनाव में सी पी एम ने २४३ सीट  जीत  कर विशाल जीत दर्ज की .स्व. ज्योति बासु मुख्य मंत्री बने .१९७७-२०००.
८. २००० से अभी तक बुद्धदेब भट्टाचार्य मुख्यमंत्री के रूप में अभी तक शासन की कमान सम्हाले हुए है .
सी पी एम की कुछ भूले जिसने त्रिनमुल कांग्रेस के अस्तित्व को रौशनी दी .
१. सिंगुर : पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के सिंगुर ग्राम में टाटा नैनो कार के कारखाने को लगाने की योजना को अमली जमा पहनाने के लिए बंगाल सरकार ने ९९७ एकर जमीन किसानो से खरीदना चाही जिसका जमीन मालिको ने विरोध किया उनके इस आन्दोलन में त्रिनमुल कांग्रेस की अध्यक्षा ममता बनर्जी ने साथ दिया . अंत में रतन टाटा को सिंगुर छोड़ कर गुजरात जाना पड़ा .
२. १४ मार्च २००७ में बंगाल सरकार ने स्पेशल इकोनोमिक जोन (सेज) इंडोनेशिया में रहने वाले सलीम ग्रुप के साथ मिलकर केमिकल हब बनाने की योजना को वास्तविक रूप देने के लिए १०.००० एकर जमीन किसानो से खरीदने की कोशिश की जिसका विरोध बड़े पैमाने पर हुआ .इस विरोध को दबाने के लिए ३,००० की संख्या में पुलिस फ़ोर्स उतारी गयी जिसमे जम कर हिंसा हुयी १४ लोगो की मौत हो गयी ७० के लगभग लोग घायल हो गए .इसने वामपंथियो की छवि को बहुत जायदा ख़राब कर दिया .अंत में इस योजना को भी ठन्डे बस्ते  में ड़ाल दिया गया .
३. १९४८-१९६२ में पश्चिम बंगाल उद्योगों की नगरी कहा जाता था .बंगाल के प्रथम मुख्यमंत्री विधानचंद्र राय ने बड़े बड़े उद्योग ,दुर्गापुर, आसनसोल ,कल्याणी ,howrah  और कोलक़ता में लगवाये थे .१९६० -७० के दशक में उद्योगों की संख्या कम होने लगी जिसका  कारण नक्सली हिंसा ,बंगलादेश युद्ध व् सी पी एम की नीतिया बताई जाती है.