रविवार, 18 सितंबर 2011

शहरयार कबीर

 १. आपने अब तक  70 से ऊपर किताबे लिखी है,उनमें से कौन सी पुस्तक ज्यादा पसंद की गयी ? 
*मै अबतक अस्सी से ऊपर किताबे लिख चुका हूँ, जिनमे से पांच किताबो को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर काफी पसंद किया गया.
२. आपके लेखन ने हमेशा गलत नीतियों व् कट्टरपंथियों का विरोध किया है, जिसके कारण आप विवादित भी रहे और आपको इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी?
*ये सही है की मैंने इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकाई है,कितनी बार मेरे ऊपर जानलेवा हमला हुआ .दो बार जेल भी गया. आज मै जिस छड़ी के सहारे चल रहा हूँ ये उसी की दें है.
३.आपने कभी हिम्मत नहीं हारी क्यों?
*हिम्मत हारने का सवाल ही नहीं उठता. क्योकिं मै जो भी कर रहा हूँ अपने देश के लिए कर रहा हूँ ,जनता के अधिकारों के लिए कर रहा हूँ. 
४. आपकों कभी कट्टरपंथियों ने बांग्लादेश से निकालने की चेष्टा नहीं की?
*वे ऐसा नहीं कर सकते थे क्योकिं उनपर अंतराष्ट्रीय  दबाव था.
५.बांग्लादेश के कट्टरपंथियों ने अब तक २८ पत्रकार और एक साहित्यकार कों मौत के घाट उतार दिया एवं अनगिनत पत्रकारों को यंत्रनाये दी गयी ,जिन लोगो ने उनकी नीतियों का विरोध किया ऐसी स्थिति में क्या उम्मीद की जाये की आने वाले दिनों में कट्टरपंथियों की ही हुकूमत चलेगी. 
*बांग्लादेश की जनता ने उन कट्टरपंथियों को चुनाव में हराकर जवाब दे दिया की उनके साथ नहीं है.वहां के लोगो ने आवामी लीग के पक्ष में वोट दिया जिसका परिणाम शेख हसीना आज बांग्लादेश की प्रधानमंत्री है.
६.आप पत्रकारिता से जुड़े हुए है,मानवाधिकार के लिए कार्य करते है.कट्टरपंथियों के खिलाफ लड़ाई लड़ते है, क्या भविष्य में आप चुनाव लड़ना चाहते है?
*मै चुनाव लड़ कर पार्टी के कामों के लिए बंधना नहीं चाहता. मेरा उद्देश्य  समाजसेवा है पार्टी सेवा नहीं .
७.क्या कट्टरपंथी विश्व के लिए खतरा है ?
*बिलकुल खतरा है. इसीलिए हमलोग चाहते है की ऐसे लोगों को पनपने न दिया जाएँ जो मानवता का उन्मूलन करना चाहते है?
८.भारत के बारे में बांग्लादेश के लोगों की राय बहुत अच्छी नहीं है क्यों?
*भारत में जब बाबरी मस्जिद ध्वस्त की गयी थी तो बांग्लादेश में ३५०० मंदिर तोंडे गए.पाकिस्तान में भी १०० से ज्यादा मंदिरों को नष्ट कर दिया गया. इस तरह की घटनाएँ जब कही भी जन्म लेती है तो पडोसी देशो में इनकी प्रित्क्रिया अवश्य होती है जो दूरी और द्वेष कों जन्म देती है.
९.तसलीमा नसरीन के बारे में आपकी क्या राय है ?
*वो एक साहसी लेखिका है .उसे अपनी भावनाओं कों व्यक्त करने का पूरा अधिकार है. मैंने उनका साक्षात्कार भी अपनी पत्रिका के लिए लिया था हालाँकि उनके और हमारे विचारों में बहुत भिन्नता है .
१०. आपने स्वतन्त्र पत्रकारिता की थी या किसी समूह से जुड़कर ?
*मैंने १९७२ से लेकर १९9२ तक विचित्र नामक पत्रिका के लिए लिखना आरंभ किया था. बाद में मै इसका प्रधान संपादक बन गया था. यही नहीं मै  बहुत से दैनिक अख़बारों के लिए भी नियमित स्तम्भ लिखता था साथ ही विवादों के घेरे में भी रहता था.
११.आप documentary  फिल्म बनाते है? 
*मैंने 'WAR CRIMES 71' बनायीं थी जिसका premier  लन्दन में १६ अक्तूबर को  हुआ था.अभी भी मै एक documentary  पर काम कर रहा हूँ जिसके सिलसिले में आजकल  भारत आना हो रहा है .
१२. भारत के बारे में आपका क्या ख्याल है ?
* भारत दुनियां का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है, उसे धर्मनिरपेक्षता के क्षेत्र में अभी और काम करने की आवश्यकता है .

शनिवार, 17 सितंबर 2011

SHAHRIAR KABIR

Shahriar Kabir 

 a Bangladesh Awamileague Supported  BANGLADESH journalist, filmmaker,  HUMAN RIGHTS activist, and author of more than 70 books focusing on human rights, communalism, fundamentalism, history, and the Bangladesh war of independence.
Mr. Kabir after completing his schooling in 1968 with Higher Secondary Certificate in 1968 and formal education in 1971 Mr. Kabir began his journalist career. As a freedom fighter he participated in our liberation-war against the Pakistani occupation force in 1971. After liberation of Bangladesh from Pakistani occupation force Shahriar joined ‘Vichitra’ group- a left leaning Marxism based liberal group formed centering a popular Weekly Magazine called ‘Vichitra’ in 1972. There he served as a member of the editorial board ending with Executive Editor in 1992. He was a regular contributor not only of his own Magazine of all important dailies and earned reputation as an analytical and critical columnist. His critical articles created a host friends amongst the humanist liberal and secular circles but equal number of enemies in the establishment as well as among the fundamentalists and communalists.
  • As Shahriar was exposing himself as a BAL supported humanist and activist against human rights violation through his writings exposing the ugly desire and design of seizing power by fundamentalist forces to turn secular-liberal democratic Bangladesh into a theocratic state based on fundamental Islamic principles he became one of the principal target of the Islamite force in Bangladesh. Consequentsty as the part of government side to tackle Bangladesh Jammat Islami, a traditional and democratic political party, started Championing.
  •         This action of trying the accused collaborators in a public tribunal by passing the government system of judiciary antagonized the government of Khaleda Begum. This is because the party in power BNP since its formation in early eighties by late Zia ur Rahman, an army general of Bangladesh army, and sector commander in our liberation war in 1972 was harbouring good relations with the Islamic parties including the Jamaat e Islami. In fact General Zia after assuming power rehabilitated the fundamentalists in the body politic of Bangladesh. Golum Azam was brought back by his initiative, and later on the government of Khaleda Begum did everything to return citizenship to Mr. Azam. It was therefore no wonder that public trial of Mr. Azam was taken seriously by the Khaleda government, which was at that time trying to protect the interest of the Jamat chief. All elite of the society involved in the proceedings of the trial including Mr. Shahriar Kabir were arrested by Khaleda government in nineties with sedition charge- all of them were termed as anti-state elements. Al though these elite citizens were harassed in public but were not put behind the bar as the learned high court granted bails to them. The case was finally dropped after a couple of years when a new caretaker government came to power under a retired chief justice replacing the BNP government which was forced to resign because of mass uprising against it.




सोमवार, 8 अगस्त 2011

Prakash Javdekar " Spokes person BJP"

  प्रकाश जावडेकर "प्रवक्ता भाजपा "

1. ब्रह्मपुत्र पर बनाया जाने वाला बांध आजकल बहुत चर्चा में है ,आपकी इस विषय में क्या राय है ?
* चीन हमेशा से आक्रामक रहा है ,वह भारत के विरुद्ध कुछ न कुछ खुराफात करता रहता है ,जैसे अलगाववादियों को सहयोग ,तिब्बत पर दबाव ,यंहा तक की उसने भारत का जो नक्शा बना है उसमे कश्मीर को अलग दिखाया है.ब्रह्पुत्र पर बांध भी उसकी नई साजिशों  में से एक है.भारत सरकार को उसकी साजिशों का दो टूक जवाब देना चाहिए जो वो नहीं दे रहा है. 
२. भारतीय जनता पार्टी इस दिशा में क्या कर रही है?
*भाजपा हमेशा ही देश हित में कम करती है.ब्रह्मपुत्र के ऊपर बांध  बनाने  की खबर जबसे राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय मीडीया के दवारा लोगो के बीच में आई है ,हमलोगों ने तुरंत इस बारे में पत्र लिख कर प्रधानमंत्री से पूछा ,जिस पर उन्होंने कहा की ऐसी कोई बात नहीं है . हमलोग पहले भी संसद में इस विषय पर चर्चा कर चुके है .आगे भी हम सदन में मांग रखेंगे की चीन कुछ कर रहा है या नहीं उस पर स्पष्टीकरण दिया जाये .
३. आप ब्रह्मपुत्र के बारे में क्या सोचते है ?
*ब्रह्मपुत्र से हमारा इतिहास व् संस्कृति जुडी हुयी है, जिस तरह भागीरथ गंगा को पृथ्वी पर लाये थे उसी तरह ब्रह्मपुत्र भी भारत में आई है .पौराणिक कथाओ के अनुसार ब्रह्मपुत्र,  सृष्टि का सृजन करने वाले देवता ब्रह्मा जी  का पुत्र है, इस नाते उससे भारतीयों की धार्मिक आस्थाये जुडी हुयी है .अगर ब्रह्मपुत्र के पानी का  रुख  चीन बदलने की कोशिश करेंगा तो भारत पर इसका बहुत बुरा असर पड़ेंगा .भारत की तबाही भी हो सकती है .
४. भारत ने भी फरक्का बांध ' भारत-बंगलादेश सीमा पर बनाया है क्या इसका यही मतलब निकला जाये की बड़ी मछली ,छोटी मछली को खाती है?
*बिलकुल गलत है ,भारत ने बांध बनाया संधि के तहत .उसने अपनी संधि में जितना पानी छोड़ने की बात की वह उसे बराबर दे रहा है.फरक्का बांध की चीन के बांध से तुलना ही नहीं की जा सकती.
५.अगर चीन बांध बनाता है (जैसा की सुना जा रहा है ) तो भारत सरकार क्या करेगी ?

* बांध को रोकने के लिए भारत के पास अनेक मार्ग है .भारत भी उस पर बांध को रोकने के लिए चीन पर दबाव डालेंगा .
६.चीन पर दबाव डालने के लिए सबसे पहले भारत कौन सा मार्ग अपनाएगा ?
 *प्रत्येक देश  एक- दुसरे के ऊपर किसी न किसी माध्यम से निर्भर होता है .चाइना का भी भारत के साथ व्यावसायिक सम्बन्ध है ,इसलिए वो ऐसा नहीं कर सकता है .आज चाइना के 45 हजार मेगावाट पावर पॉइंट भारत में लग रहे है अगर चीन ऐसा करेगा तो उसके पावर पॉइंट भारत में कैसे लग पाएंगे .

२००९ दिसंबर में 
"बांध पर विवाद "   के लिए दिया गया साक्षात्कार 



























गुरुवार, 21 जुलाई 2011

निरंजन मलिक ,लेफ्टिनेंट जनरल (पीवीएसएम् )

 निरंजन मलिक ,लेफ्टिनेंट जनरल (पीवीएसएम् )

प्रश्न , आपका जन्म कहा हुआ और आप आर्मी में कैसे आये .किसी प्रेरणा से या पारिवारिक प्रष्ठभूमि के कारण ?
  मेरा जन्म उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में एक कृषक परिवार में हुआ था मेरे पिताजी कृषक के साथ - साथ सैनिक भी थे .ये हमारे परिवार की परंपरा है की जितने लड़के होंगे  वे आर्मी में जायेंगे .हमारे तीनो भाई आर्मी में अफसर है .और चचेरा भाई भी आर्मी में ही है.
२. आपने  स्कूली शिक्षा  कहा से प्राप्त की ?
*मैंने अपनी प्राम्भिक शिक्षा आर्मी के नामी स्कूल में पाई थी. कालेज की शिक्षा मैंने प्रिंसे ऑफ़ वेल्स रायल इन्डियन मिलिट्री कालेज में जिसे आज " राष्ट्रीय इन्डियन मिलिट्री कालेज देहरादून" के नाम से जाना जाता है वहा से प्राप्त की .इस कालेज में एडमिशन पाने के लिए परीक्षा देनी पड़ती है.मैंने दिल्ली से परीक्षा दी थी उस समय उसमे मात्र एक ही सीट थी, ये जानकर आपको आश्चर्य होगा ,जैसा की मुझे हुआ था की परीक्षा का  रिजल्ट निकलने के बाद मै अकेला ही था जो दिल्ली से पास हुआ था .बाद में मेरे प्रिंसिपल एच सी कैचपाल ने मुझे बताया कि  maithmatics   में मैंने  २००  नंबर में से १९८ पाए थे .जिसके कारण  मुझे अडमिशन मिला था हलाकि मै अंग्रेजी में फेल हो गया था .
३. तब आपने अंग्रेजी सुधारने के लिए क्या किया ?
*ये  बहुत  ही दिलचस्प न भूलने वाली स्मृति है .कालेज के standard   की अंग्रेजी जानने के लिए हमें बहुत मेहनत करनी पड़ी .जंहा कालेज में सभी मस्ती करते थे वहा मै खली समय में अंग्रेजी के नावेल पढ़ा करता था .क्योकि मेरे सेक्शन के टीचर मिस्टर वाटसन जो साइंस पढ़ाते थे और बहुत ही अच्छे इन्सान थे उन्होंने मुझसे कहा की अंग्रेजी सीखने के लिए नावेल पढना आवश्यक है और साथ ही निर्देश दिया की प्रत्येक सप्ताह तुम्हे एक नया नावेल पढना है और रविवार को मेरे साथ उस पर चर्चा करनी है .तब मुझे ये किसी सजा से कम नहीं लगता था कि मै खाली समय में नावेल लेकर बैठा हूँ .जबकि मेरे साथ के केडेट  खेलते थे किन्तु इसका फायदा ये हुआ कि मै किताबे पढने का शौकीन हो गया .इसके बाद जब मैंने  सीनियर  cambridge फायनल परीक्षा दी तब मुझे तीन विषयो  गणित,इतिहास ,अंग्रेजी में distinction  मिली जिसका श्रेय मै आजतक अपने प्रिंसिपल और टीचर को देता हूँ. 
४. आपके अनुसार stratgic  blunder  क्या है?
भारत वो देश है जिसने मोर्याँ और गुप्ता पीरियड का स्वर्णकाल देखा है. भारत कि गौरवपूर्ण परंपरा में शासक सुचारू रूप से शासन चलने में सक्षम थे .इनकी शासन प्रणाली सुन्दर इमारतो का निर्माण, वैज्ञानिक पद्धति, साफ-सफाई सभ्यता ने पुरे संसार में भारत कि पहचान करायी थी. किन्तु लम्बे समय की  गुलामी ने एक प्रश्न  चिन्ह लगा दिया था कि "क्या भारत सक्षम होगा एक राष्ट्र के रूप में पहचान बनाने में ?" और आज साथ वर्षो बाद भी एक प्रश्न लोगो को मैथ रहा है कि "क्या भारत सुपर पावर बन जायेगा ?" हालाँकि आज भारत में कुटनीतिक दृष्टिकोण में कमी आई है .राष्ट्र के प्रति लोगो में लगाव नहीं रह गया .सुरक्षा व्यवस्था ठीक नहीं है और न ही सही योजनाये क्रियान्वित कि गयी है .खस्ता सुरक्षा के चलते हमारे पडोसी राज्यों ने हमारे ऊपर प्रेशर दल कर रखा है .उनके द्वारा भारत को दिए गए घाव रिस रहे है .गजनी के समय से जब उसने सत्रह बार आक्रमण कर देश को लुटा था और रक्तपात किया था आज तक भारत विदेशी आक्रमण रोकने में या जवाब देने में असमर्थ है.
५. जिस असुरक्षा कि आप बात कर रहे है ,क्या उसका कारण सेना का सशक्त न होना है.? 
* नहीं हमारी सेना बहुत सशक्त है,लेकिन नई रणनीति के तहत जिस तरह का संग्राम द्वीपों में दिख रहा है ,उसके लिए सेना तैयार नहीं है .
६. आपके अनुसार क्या केंद्र सरकार दोषी है जिसे सेना की समस्याये और देश की सुरक्षा नहीं दिख रही है ?
*बिलकुल हमारी केंद्र सरकार सुरक्षा के प्रति लापरवाह है .किन्तु जब श्री अटल बिहारी बाजपई जी प्रधानमंत्री बने थे तब उन्होंने देश की सुरक्षा को सबसे अधिक प्राथमिकता दी थी .पोखरण परमाणु परीक्षण   हमारी सैन्य शक्ति में इजाफा किया था.
७. आपको सबसे अधिक क्या बात दुखित करती है ?
*मै  अवकाश प्राप्त सैनिक हूँ और जब अपने चारो तरफ देखता हूँ तो पाता हूँ कि राजनेता हमारे देश कि सुरक्षा के लिए कुछ भी नहीं सोच रहे है . बदले हुए माहौल  में हमें अत्याधुनिक हथियारों की आवश्यकता है जिससे कि हम अपने शत्रुओ से निपटने में उनसे एक कदम आगे रह सके .इसके अतिरिक्त हमें अपने शत्रु को पहचानना होगा और उनके कार्य करने के तरीके को चाहे वे पाकिस्तानी हो या चीनी .सिर्फ राजनीतिग  तरीके से बात  करके और पेपरों में लिख क्र ,आश्वासन देकर अपने कार्य को समाप्त कर देना सही नहीं है .जिस तरह से पाकिस्तान कभी भी अपनी बात पर कायम नहीं रहता .इधर चीन भी भारत के साथ सही तरीके से पेश नहीं आ रहा है और अरुणाचल पर अपना दावा जाता रहा है .उससे पाकिस्तान और चीन दोनों के इरादे स्पष्ट समझ में आ रहे है .किन्तु हम सच्चाई से मुहं मोड़ कर एक झूठे सवर्ग में रहते है जिसकी बहुत बड़ी कीमत हमें भविष्य में चुकानी पद सकती है .
८.क्या आप अपने देशवासियों को कोई सन्देश देना चाहेंगे ?
* जरुर , मै कहना चाहूँगा मेरे भारतवासियों ये समय सोने का नहीं वरन होश में आने का है .हमारे देश को बहर और भीतर दोनों तरफ से खतरा है ,उसे धमकिया मिल रही है और जिस सरकार को लोक्तार्न्त्रिक तरीके से आप चुनकर लाये है वो बहुत गहरी नींद में है .हमें ये नही भूलना चाहिए कि जब तक आपका देश सैन्य शक्ति में सबसे ऊपर नहीं होगा कोई भी देश आपसे भय नहीं खायेगा .कहा भी गया है कि " भय बिन होए न प्रीत "आर्थिक दृष्टिकोण से सक्षम बन्ने से आप ऊपर नहीं उठ सकते .पैसा ऐश करा सकता है लेकिन सुरक्षा नहीं दे सकता .इसलिए कही ऐसा न हो कि हमारी गलतियाँ हमें फिर से गुलामी का इतिहास दोहराने के लिए मजबूर कर दे

शनिवार, 18 जून 2011

SMRITI IRANI "POLITICIAN"

राष्ट्रीय महिला मोर्चा   अध्यक्ष  "भारतीय जनता पार्टी " 
१.आप टी. वी. के विभिन्न कार्यक्रमों से जुडी हुयी है ,आपकी खुद की   प्रोडक्शन कंपनी भी है साथ ही राजनीति में भी है . क्या राजनीति जनता तक अपनी बात पहुचाने का बेहतर माध्यम है ?
*निसंदेह राजनीति बेहतर माध्यम है अपनी बात जनता तक पहुचाने का क्योकि इसमें हमारा नेटवर्क जमीनी स्तर से लेकर ऊपर तक है . लोग इससे जुड़े   रहते है ,उनके माध्यम से हम अपनी बात जनता के बीच में ले जाते है .आवश्यकता पड़ने पर आन्दोलन भी करते है .
२. क्या जनता तक बात टी. वी. सीरियलों के माध्यम से नहीं पहुचाई जा सकती .क्योकि लोग टी.वी. ज्यादा देखते है ?
* सीरियल के माध्यम से कोई भी  मुद्दा  जनता तक नहीं पहुच सकता क्योकि मेरा मानना है कि  गंभीर मुद्दों पर नौटंकी अच्छी नहीं लगती .
३. आपने टी. वी ,के माध्यम से देश -विदेश में अपनी पहचान बनाई है ,राजनितिक क्षेत्र से आपकी क्या अपेक्षाए है? 
*मै राजनीति में अपनी पहचान बनाने नहीं आई हूँ बल्कि संगठन से जुड़ कर एक कार्यकर्ता की  हैसियत से काम  करने आई हूँ .
४.क्या महिलाओ में जागरूकता का अभाव है ?
* जो लोग ये कहते है कि महिलाओ में जागरूकता का अभाव है वे कही न कही हमारी बहनों का अपमान कर रहे है .  आज की  महिला  हर  क्षेत्र में BANKING  ,ENGINEERING ,MEDICAL , ETC  में अपनी  पकड़    मजबूत  कर  रही  है . इस कारण वह महिलाओ से जुडी  समस्त समस्याओ को जानती है  . वह घर हो या बाहर   प्रत्येक क्षेत्र में इनके लिए बेहतर सोच सकती है .ऐसे बहुत से उदाहरण है जब पुरुष नशा करके अपनी पत्नियों को पीटते है और इन्होने इससे तंग आकर शराब के ठिकानो को ख़त्म कर दिया . सही न्याय न मिलने पर थाने का घेराव किया एवम आवश्यकता पड़ने पर लोकल स्तर पर आन्दोलन भी किये .महिला राजनीति से जुडी हो या गैर राजनीतिक ,उसे अपने हक़ के लिए लड़ना आता है .
५. झारखण्ड के एक छोटे से जिले में ४ औरतो ने मिलकर अपनी सास की अर्थी को कन्धा दिया जिस पर वहा के लोगो ने उन्हें प्रोत्साहन देने के बजाय  उन पर ९ हजार का जुर्माना ठोक दिया .आपका इस बारे में क्या विचार है ?
* महिला जब भी कोई ठोस कदम उठाती है समाज उसे प्रोत्साहन नहीं देता बल्कि प्रताड़ित करता है लेकिन महिला कभी पीछे नहीं हटती . उस महिला में बेटे का कर्त्तव्य निभाने की क्षमता थी जिसे  उसने साबित कर दिया.
६. आपका अपना एनजीओ है , "PEOPLE फॉर CHANGE "  . उस एनजीओ के माध्यम से आप गाँवो में पीने का पानी उपलब्ध कराती है जबकि महाराष्ट्र में बहुत से गाँव है जंहा लोग भुखमरी की वजह से दम तोड़ रहे है . क्या आपने कभी उन लोगो के लिए भी कोई मदद भेजी ?
*मैंने विदर्भ में मरने वाले किसानो के परिवार के लिए अपनी संस्था की तरफ से १ करोड़ की राशी भेजी क्योकि उनकी पत्नी व बच्चो के लिए कोई आर्थिक मदद न किसी राजनीतिक दल ने और न ही किसी संस्था ने पहुचाई थी .इसके अतिरिक्त मैंने अस्पताल भी बनाया है जिसमे आर्थिक रूप से कमजोर लोगो का इलाज होता है .समाज सेवा से जुड़े हुए अनेक काम किये है .चूँकि इनकी चर्चा  मीडिया में करना मै उचित नहीं समझती हूँ इसलिए किसी को पता नहीं चला .
७. महिलाये राजनीति में नहीं आना चाहती क्यों ?
* ऐसी बात नहीं है हमारी बहुत सी बहने देश की राजनीत में आना चाहती है ,वे इससे जुड़ भी रही है .ज्यादा से जयादा महिलाओ को राजनीती से जोड़ने के लिए ही भाजपा ने ३३% आरक्षण की  मांग  की है.
८. महिला के चुनाव लड़ने पर कभी कोई बंदिश नहीं थी  .फिर महिलाओ के लिए ३३% आरक्षण की मांग क्यों ?
* महिलाओ के लिए ३३% आरक्षण की मांग सुषमा स्वराज जी ने की थी क्योकि उन जैसी बहने जो अपने दम पर  राजनीति में आई थी उन्होंने अनुभव किया की अगर ज्यादा से जयादा महिलाये जुड़ेगी तो वे अपने अधिकारों के प्रति सजग हो सकेगी .अपने देश की  उन्नति के लिए कार्य करेगी गलत बातो के खिलाफ सुगमता से अवाज उठा सकेगी  .देश की राजनीती में सक्रीय भूमिका निभा सकेगी .राजनीती की राह में उनकी यात्रा सुविधा जनक हो इसी लिए उन्होंने संसद में ३३% आरक्षण की मांग की .
९. क्या आज की समस्त महिलाये सक्षम है ?
* अधिकतर महिलाये सक्षम है वे  समाज  का नेतृत्व कर सकती है .जिस महिला को सहारे की आवश्यकता है उस तक हम लोग पहुचते है और सहारा देने का प्रयास करते है .
१०.महिलाओ के नाम से कोई सन्देश ?
* महिलाओ के लिए  किसी सन्देश की आवश्यकता नहीं है उनका व्यक्तित्व उनकी जागरूकता, क्षमता स्वयं  एक सन्देश है . वो अपने अधिकारों के प्रति सजग है .महिला एक क्रांति है .

कोलकाता  में मंहगाई के विरुद्ध आन्दोलन करती हुयी


रविवार, 12 जून 2011

"VIR SAVARKAR " Dr. HARINDRA SHRIVASTAVA


                                         व्  वीर सावरकर पर शोध.....
१.भारत में बहुत से देशभक्त है ,उनमे से कितने ही शहीद हुए किन्तु आपने वीर सावरकर को ही क्यों चुना ?
* मुझे बचपने से ही पुस्तके पढने के लिए दी जाती थी ,इसलिए मैंने देश -विदेश के प्रसिद्ध लोगो के बारे में गहन अध्यन किया जैसे भगत सिंह ,चंद्रशेखर , तिलक व् नेपोलियन, मुसोलिनी, स्टालिन आदि | किन्तु जितना प्रभावशाली व् प्रेरक चरित्र वीर सावरकर का है उतना किसी का नहीं |
२. आपने सावरकर के ऊपर सीरियल बनाया लेकिन वो दिखाया नहीं गया क्यों?


डॉ. हरिंद्र श्रीवास्तव वीर सावरकर के ऊपर लिखी अपनी पुस्तक सिंह गर्जना के साथ
 
* मैंने सिर्फ सीरयल ही नहीं बनाया बल्कि उनके जीवन पर आधारित  documentary  व् फिल्म भी बनाई किन्तु तत्कालीन सरकार ने ये कहकर की "ये युवाओ को सांप्रदायिक बनाएगी एवम आतंकवाद को बढ़ावा मिलेगा" इसे दिखाने की अनुमति नहीं दी | इतना ही नहीं उस समय के  नव- निर्वाचित मंडल के अनुसार  मेरी पुस्तक " कालजयी वीर सावरकर" को ये कहकर अस्वीकार कर दिया की ये प्रकाशन के योग्य नहीं है .
३.| सीरियल बनाने के लिए आपको क्या -क्या परेशानी झेलनी पड़ी?
* मुझे जमीन-जायदाद बेचनी पड़ी .दिसम्बर के महीने में इंग्लेंड जाकर पिक्चर की  शूटिंग करनी पड़ी तकलीफे तो बहुत आई लेकिन घर वालो ने पूरा सहयोग दिया इसलिए आसानी से सब कुछ होता चला गया .
४.आपके अन्दर सावरकर को लेकर बहुत कुछ करने की इच्छा है इससे आपको ये  अवश्य लगता होगा कि आपके अन्दर एक ऐसी आग है जो आपको शांति से बैठने नहीं देती ?  
* ये जुनून ही पागलपन की निशानी है और मेरा मानना है की जब तक कोई पागल न हो तब तक कोई उसके घर को नहीं पहचानता .
५.आप ने सावरकर के ऊपर गहन अध्यन किया है लेकिन सावरकर के ऊपर जो पिक्चर बनी है उसमे आपका नाम कही नहीं है ?
*मेरी पीएचडी व् डीलिट सावरकर के ऊपर है .मैंने इसके ऊपर शोध किया है ,संवाद लेखन ,पटकथा सभी कुछ मैंने लिखा लेकिन मै उस समय दिल्ली  युनिवर्सिटी में अंग्रेजी का प्राध्यापक था इसलिए अपना नाम नही दे सकता था .
६. सावरकर के ऊपर कम करना मतलब निराशा व् उपेक्षा को अपनाना फिर भी आपने इस पर इतना कम किया क्यों ?
* मैंने इन सबकी कभी परवाह नहीं की जब सावरकर को, जिसने देश के लिए इतना कष्ट झेला उसे उपेक्षा ,घृणा, तिरस्कार मिला तो मै कौन हूँ .ये तो तभी सोच लिया था जब सावरकर से लौ लगाई थी कि जिसके अन्दर  बिजली का  नंगातार पकड़ने का साहस होगा वही इस दिशा में कार्य कर सकेगा .
७. कोई ऐसी घटना जिसने आपको बहुत मर्माहत किया हो ?
* २६ फरवरी १९६६ को जब सावरकर का  देहांत  हुआ तब इंदिरा गाँधी ने संसद में मौन इसलिए नहीं रखा क्योकि वो सांसद नहीं थे किन्तु  उसी जगह   लेनिन व् स्टालिन कि मृत्यु पर शोकसभा का आयोजन हुआ. क्यों ? क्या वे सांसद थे ?
८. विदेशो में सावरकर के प्रति क्या दृष्टिकोण है ?
*पाँच देश के विद्यार्थी  मेरे निर्देशन में पीएचडी कर रहे है "इंग्लॅण्ड, फ्रांस, हौलेंड, जर्मनी, अमेरिका |"  मर्सीलिज ,(फ्राँस) जंहा सावरकर १९१० में पानी के जहाज की छोटी सी खिड़की से कूदकर भागे थे और मर्सिलीज में पकडे गए वंहा उनके नाम से सड़क बन रही है | ब्रिटिश जिसके खिलाफ सावरकर ने आजादी की लड़ाई लड़ी वहा की संसद में १९८५ में उन्हें श्रधांजलि दी गयी वही मेरी पुस्तक का विमोचन भी हुआ और उनके ऊपर बनी हुयी पिक्चर भी दिखाई गयी | विदेश में लोग उनके साहस की सराहना मुक्त कंठ से करते है किन्तु हमारा देश उन्हें सम्मान देने से कतराता है .

अंडमान निकोबार का  काला  समुन्दर  
 ९.वीर सावरकर के जीवन की कौन सी घटनाये आपको ज्यादा मार्मिक तथा उत्साह वर्धक लगती है ?

 सेलुलर जेल में कैदी   को मारते हुए ...
 *जब सावरकर व् उनके बड़े भाई दोनों कालापानी की सजा  अंडमान  निकोबार में काट रहे थे तब उनकी पत्नियों को देखने वाला कोई भी नहीं था ऐसी  स्थिति में वे दोनों शमशान में पिंडदान खाकर व् वही सोकर अपना जीवन व्यतीत कर रही थी |  वही दूसरी ओर सावरकर अमानवीय नारकीय  परिस्थितियों में जेलर से छुपकर ग्यारह वर्ष के कारावास में बारह हज़ार ओजस्वी पंक्तिया जेल की दीवारों पर कीलों से लिखकर उन्हें कंठस्थ करते और सबेरे से पहले मिटा देते थे जिससे उन लिखी हुयी पंक्तियों को देखकर कोई उनकी शिकायंत न  कर दे  और उनकी सजा पहले से दूनी हो जाये .ये आसान बात नहीं है .बल्कि ऐसा  काम   विलक्षण  प्रतिभा के धनी लोग ही कर सकते है .




 सेलुलर जेल 


                                                  





शुक्रवार, 6 मई 2011

Renowned Classical Singer Girija Devi

पद्मश्री ,पद्मभूषण एवं तानसेन आदि पुरस्कारों से सम्मानित 
ख्याति प्राप्त स्वर सम्राज्ञी गिरिजा देवी
  के  जन्म दिन  '८ मई' पर  विशेष,

प्रसन्न मुद्रा में  गिरिजा देवी  

१.आपने गायन की शिक्षा उस समय ली जबकि लडकियो को गाने के लिए  प्रोत्साहित नहीं किया जाता था .ऐसे में आपने गायकी कैसे सीखी ?
*मेरे पिताजी का गायन के प्रति रुझान था .इसलिए उन्होंने गायन की शिक्षा भी ली ,मेरी गायकी में रूचि देख कर  मुझे बढ़ावा दिया  की मै  अपने आपको इस क्षेत्र में पूर्ण प्रशिक्षित करू .
२. आपने कितने वर्ष की उम्र में गाना, गाना आरम्भ किया और आपके गायन के प्रारंभिक गुरु कौन  थे ?
* मैंने पाँच वर्ष की उम्र में गाना -गाना आरंभ कर दिया था और पंद्रह -सोलह वर्ष की उम्र तक मैंने गायकी के अनेक गुर सीख लिए थे .मेरे प्रथम गुरु थे स्वर्गीय श्री सरजू प्रसाद जी मिश्र .जिन्होंने मुझे बहुत मन से संगीत सिखाया था .दुसरे गुरु थे श्री चन्द्र मिश्र जी ,इन्होने मुझे गायन की शिक्षा  मेरी  शादी हो जाने के बाद दी .
३. उस समय गायकी का इतना रिवाज तो था नहीं ,तब क्या आपके गायन के ऊपर भी बंदिशे लगाई गयी की लड़की है कल को इसे ससुराल जाना है या कभी ससुराल   में किसी ने  आपकी संगीत के प्रति रूचि को देखकर कुछ कहा ?
* गाना तो लडकिया तब भी गाती ही थी ,भजन ,कीर्तन ,कजरी चैती आदि  हाँ मेरी माँ मुझे कभी -कभी टोकती थी लेकिन पिताजी की इच्छा के आगे चुप हो जाती थी .बाद में उन्होंने समझ लिया कि इसका जीवन ही गायन है और ये इसके  पीछे पागल हो गयी है अब इसको बोलने से कोई फायदा नहीं है . ससुराल में मेरे पति गाने के बहुत  शौक़ीन  थे उन्होंने मुझे कभी रोका- टोका नहीं. इसलिए अपने शौक को पूरा करने में हमें किसी बाधा का सामना नहीं करना पड़ा .
४. आपकी गायन के क्षेत्र में सबसे पहली उपलब्धि क्या है ?
* अट्ठारह वर्ष कि उम्र तक मैंने बहुत रियाज किया .उसके बाद १९४९ में मेरा पहला गाना  एलाहाबाद  में रेडियो भवन से प्रसारित हुआ .ये मेरे लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं था .उसके बाद  गाने का  क्रम चालू ही हो गया. अनेक देश -विदेश के कार्यक्रमों में हिस्सा लिया एवम बड़े-बड़े गायकों के साथ गाने का मौका मिला  .इन सबके साथ रहकर बहुत कुछ सीखने  को मिला. 
5. आपके जीवन का कोई ऐसा अनुभव जिसने आपके दिल पर अमिट छाप छोड़ी हो ?
*करीब २५-३० वर्ष पहले की बात है की एक बार कुछ लोग दुर्गा पूजा के अवसर पर हमे दरभंगा  लेकर गए थे .जब मै पंडाल में पहुची तो वहा एक भी सुनने वाला नहीं था सिवाय दो चार मजदूरो के जो अपने कम के सिलसिले में वहा रुके हुए थे .पहले तो मुझे बड़ा अजीब लगा .फिर मैंने देखा की सामने में शंकर भगवन का मंदिर है तथा दुर्गा जी स्वयं उस पंडाल में मौजूद है .बस मैंने उनका ध्यान करके आँखे बंद की और गाना आरंभ कर दिया .थोड़ी देर में पंडाल  खचाखच  भर गया .तभी मैंने देखा की एक दुबला पतला गौर वर्ण का ब्रह्मण हाथ में गंगाजल लिए और एक गमछा पहने और एक गमछा ओढ़े  हुए उस पंडाल में आया. मेरे पास आकर बोला की बेटी तुझे देने के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं है बस ये  गंगाजली  और  गमछा है तू इसे ले ले .मैंने कहा   कि इसे मै कैसे ले सकती हु ,ये तो आपका है .मैंने अपने पर्स से दस  रुपये   निकाले  और जैसे ही मुड़ी उन्हें देने के लिए देखा वो ब्रह्मण गायब है .बहुत खोजने का प्रयास किया लेकिन वो कही नहीं मिला.तब मुझे महसूस हुआ कि साक्षात् शंकर भगवन ही मुझे दर्शन देने के लिए आये थे .
६. आपको सब अप्पा कहते है इसका क्या मतलब है ?
* इसका मतलब कुछ भी नहीं है ,बस परिवार के एक छोटे से बच्चे ने मुझे अप्पा कहना आरम्भ कर दिया उसकी देखा -देखी दुसरे भी कहने लगे .तभी से मै जगत अप्पा बन गयी .
७.आपने जिंदगी से बहुत कुछ पाया है ,नाम , सम्मान आदि .अभी भी ऐसी कोई इच्छा  जिसे  आप पूरा करना चाहती है ?  
* मेरी इच्छा शास्त्रीय संगीत का परचम पूरे विश्व में लहराने की है .मै चाहती हु की ये यु ही बहता  जाये और लोगो को मुग्ध करता रहे .मेरा मानना है कि शास्त्रीय संगीत ऐसा ध्यान है जो लोगो के  जीवन की दिशा ही बदल देता है .
८. आपको खाना बनाने का बहुत शौक है .इतनी विविधता वाला खाना  बनाना आपने कैसे सीखा.और सबसे अधिक आपके पकाये  खाने में क्या पसंद किया जाता है ? 
* मेरे पास जो भी कोई गाना सीखने आता  मै उससे एक ही बात पूछती कि तुम्हे खाना बनाना आता है ,अगर आता है   तब तो  मै  गाना sikhaungi   वरना नहीं .इसका फायदा ये हुआ कि मुझे कई नए व्यंजन बनाने आ गए .इसके अलावा मै अपने छात्रो को खाना बनाना सिखाती भी हूँ .ठीक वैसे ही जैसे आजकल किसी भी उत्पाद को खरीदने पर कुछ न कुछ मुफ्त दिया जाता है .मेरी बनाई मलाई पाग ,खड़े भुट्टे कि सब्जी ,चुडा मटर आदि बहुत पसंद किये जाते है .


अप्पा जी का पूजा स्थल



'आत्मीय क्षण'
बेटी सुधा दत्त 'ओडिसी नृत्यांगना' के साथ   
माँ हमेशा परफेक्शन में विश्वास   करती   है ,उनका हर काम सलीके से होना चाहिए, अनुशासन उनकी जिंदगी है और वैसी ही जिंदगी जीने के लिए  हम लोगो को प्रेरित  करती है. मझे अपने बचपन की एक घटना याद है, जब मे पाँच वर्ष की थी एक दिन मै अपने मामा के साथ माँ को बिना बताये घूमने चली गई बस फिर क्या था लौट कर जो डांट पड़ी की पूछो मत, तबसे आज तक माँ को बिना बताये जाने की कभी हिम्मत ही नहीं पड़ी. दूसरी खास बात, माँ को खाना बनाने का बड़ा शौक है. कभी -कभी तो हमें लगता है की अगर माँ संगीत के  क्षेत्र  में नहीं आती तो ये किसी होटल में बहुत बड़ी शेफ (खाना बनाने वाली) होती. कही से कोई भी नए  व्यंजन की विधि मिल  भर जाये  बस माँ किचिन में ही दिखेंगी. मै जितना खाना बनाने से दूर भागती हूँ उतना ही माँ को खाना बनाने में रूचि है. इसी वजह से इतनी उम्र होने के बावजूद भी मुझे उनसे खाना ठीक से न बना पाने के लिए डांट खानी पड़ती है. अभी कुछ दिन पहले की बात है, माँ ने मुझसे कहा की आलू की टिक्की मलाई डाल कर बनाओ.  बनारस में खूब मोटी-मोटी  मलाई मिलती है माँ का मन हो गया टिक्की खाने का. अब हम परेशान  की आलू में मलाई डालेंगे तो वो सकते समय पिघल जाएँगी. हमने अपनी परेशानी माँ को बताई बस वो बिगड़ गई बोली ' तुम्हे तो कुछ भी बनाना नहीं आता, चलो हटो, हम बनायेगे' फिर क्या था उन्होंने आलू के बीच में मलाई भरकर उसे तवे पर सेंका. टिक्की सिक भी गई और मलाई पिघली भी नहीं.
एक बात मै अवश्य बताउंगी  जिसे सुनकर सबको हंसी आएँगी की माँ जब कभी विदेश जाती है तो उनके नाम का विदेशी लोग मतलब समझ नहीं पाते  और वो गिरिजा को गिरिजाघर समझ कर हमें ईसाई समझ लेते .
अप्पा जी संजय बुधिया( Managing Director of Patton Group. ) को अपने बेटे की तरह  प्यार करती है और उनके बारे में बात करते समय  बहुत  खुश हो जाती है  


संजय बुधिया   

अप्पा जी हमलोगों के परिवार का हिस्सा है उनके बिना हमारे कार्यक्रम अधूरे होते है. अगर अप्पा जी कोलकाता में है तो ऐसा हो ही नहीं सकता की वो हमारे किसी आयोजन में शामिल न हो, कितनी बार तो वो बीमार होने के बावजूद भी शामिल हुई .उनकी खास बात जो किसी को भी प्रभावित कर सकती है वो ये है कि  इतनी बड़ी शख्सियत होने के बावजूद भी दिखावा बिल्कुल नहीं करती, जैसे अगर वो किसी आयोजन में शामिल होती है तो उन्हें  खोजना पड़ता है कि वो बैठी कहा है. क्योकि वो साधारण इन्सान कि तरह कही भी आकर बैठ जाती है न ही वो किसी से किसी प्रकार कि मदद लेने कि कोशिश करती है .उनकी सादगी ,सरलता और अपनापन इसी से समझ में आता है कि अधिकतर सेलिब्रिटी उपहार लेना पसंद करती है लेकिन अप्पा जी उन लोगो में से है जो दूसरों को उपहार देने में विश्वास करती है .  मेरी  शादी कि सालगिरह पर उन्होंने मेरी पत्नी के लिए खुबसूरत सी साड़ी बहुत ही आत्मीयता के साथ भेजी.


 अपनी पत्नी मीनू बुधिया व् अप्पा जी के साथ
 जब कभी भी फ़ोन पर बात करेंगी तो पहले आशीर्वाद देंगी फिर पूरे परिवार के बारे में पूछेंगी .उनका बड़प्पन उनके व्यक्तित्व में झलकता है, उनके इसी अपनत्व से हम सभी abhibhut  है. उनके बारे में जितना भी कहा जाये कम है .संगीत  उनकी जिंदगी  है ,सादगी उनका व्यक्तित्व . उन्होंने शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में जो योगदान दिया है वो अभूतपूर्व है. इसे बचाने के लिए उन्होंने अपना   सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर  दिया .आज वो हमारे देश का गौरव है. उनके जैसी विभूति का वरदहस्त हमलोगों के साथ है ये सोचकर ही हम गौरवान्वित होते है और स्वयं को सुरक्षित महसूस करते है. 


 गिरिजा देवी जी के  जन्मदिन पर बुधिया हाउस में सम्मान करते हुए
चेयरमेन एच. पी. बुधिया एवं संजय बुधिया  









सोमवार, 2 मई 2011

Gen. Shankar Roy Chowdhury

General Shankar Roychowdhury ,

 कश्मीर की समस्याओ पर अपनी बेबाक राय देते हुए

१. कश्मीर में आजादी की मांग बहुत जोर शोर से उठाई जा रही है क्यों ?
*आजादी की मांग कश्मीर में नहीं उठाई जा रही है ,कश्मीर बोलना गलत है क्योकि इसमें जम्मू व् लद्दाख का क्षेत्र भी आता है ,जंहा शांति है .ये मांग कश्मीर घाटी की है .उस घाटी में अलग अलग लोग निवास करते है जैसे गुजर व् बकरवाल आदि इनमे से बहुत से लोग इस तरह की मांग में शामिल नहीं है.वंहा पर कश्मीरी सुन्नी मुस्लिम विभिन्न पार्टियों या जेहादियों के बहकावे में आकर इस प्रकार की मांग कर रहे है .
२.आजादी का मतलब क्या है ,ये किस प्रकार की आजादी की मांग कर रहे है ,भारत से अलग होकर स्वतन्त्र अस्तित्व की मांग या पाकिस्तान में मिलना चाह रहे है.
* ये प्रत्येक दल के नेता के ऊपर निर्भर होता है की वह क्या चाहता है .जैसे तहरीक -ऐ -हुर्रियत के नेता गिलानी की मांग पाकिस्तान के साथ जाने की है .प़ीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती सेल्फ रुल (हिंदुस्तान व् पाकिस्तान के प्रभाव से अलग  अपना वजूद) चाहती है .जमात -ऐ -इस्लामी के नेता मीरवायज उमर फारुख अब्दुल्ला की मांग 'आजादी' भारत से अलग होना है .वो पाकिस्तान के साथ जा भी सकते है और स्वंतंत्र भी रह सकते है .नेशनल कांफेरेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला व् कश्मीर के  मुख्य  मंत्री उमर अब्दुल्ला भारत के साथ है .
३. लेकिन आजादी की मांग आज घाटी के बड़े से लेकर बच्चे तक कर रहे है क्यों ?
*रोज रोज की होने वाली हिंसा से तंग आकर आम जनता शांति चाहती है ,वो शांति सुकून से कमाना खाना चाहती है .उनकी आजादी की मांग का मतलब होने वाली हिंसा से मुक्ति की चाह है .
४. नेशनल कांफेरेंस के नेता औटोनामी 'स्वायत्ता' की मांग कर रहे है. क्यों ?
*नेशनल कांफेरेंस के नेता औटोनामी की मांग कर रहे है ठीक है ,उन्हें जो भी कुछ चाहिए संविधान के अन्दर रहकर ही उसकी मांग कर
 सकते है और सरकार जो भी कुछ देना चाह रही है संविधान के तहत ही दे .
५. क्या कश्मीर घाटी का मुद्दा बहुत गंभीर है ,इसलिए इसे यु ऐ ऍन को सौपा गया है?
*   भारत ने कई गलतिया की है जिसमे से एक कश्मीर घाटी के मुद्दे को सौपना  भी है .ये भारत के अन्दर की समस्या थी तो इसे भारत को ही सुलझाना चाहिए था .
६. आपके अनुसार भारत ने कई गलतिया की है क्या आप उनमे से एक दो बता सकते है ?
*बाकी की गलतियों की बात छोड़ दीजिये वर्तमान में वो जो गलती कर रहा है वो ये है की अलगाववादी नेताओ को बार- बार पाकिस्तान भेज कर कश्मीर की समस्या को बात चीत के माध्यम से सुलझाने की कोशिश. भारत सरकार को तो ऐसे लोगो का पासपोर्ट जब्त कर लेना चाहिए था जो पाकिस्तान इस समस्या को सुलझाने के लिए नहीं जाते, वरन वंहा से नए -नए फार्मूले कश्मीर में उपद्रव मचाने के लिए सीख कर आते है.
७. कश्मीर घाटी से फ़ौज हटाने की बात करते है क्या फ़ौज हटाना समस्या का समाधान है ?
* फ़ौज पाकिस्तान या घाटी के हुक्म से तो हटेगी नहीं .अगर पार्लियामेंट समझती है की कश्मीर की समस्या का समाधान फ़ौज हटाना है तो वो इस बारे में चर्चा करेगी .
८. कश्मीर घाटी से फ़ौज हटाना क्या इतिहास दोहराना नहीं होगा .जिस प्रकार अक्टूबर १९४७ में कश्मीर के राजा हरी सिंह को हराकर कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने के उद्देश्य से पाकिस्तान ने गोरिल्ला युद्ध किया था वो भी तब जब राजा हरी सिंह स्वयम बटवारे के समय पाकिस्तान के साथ जाने वाले थे .इसका नतीजा  ये हुआ की वो पाकिस्तान की हरकत देखकर भारत के साथ आ गए और तब उन्होंने पाकिस्तान को खदेड़ने के लिए भारतीय फ़ौज की मदद ली ?
*ये बिल्कुल सही है अगर वहा से फ़ौज हटती है तो पाकिस्तान कश्मीर को ही नहीं बहुत कुछ खा जायेगा .
९. सी आर पी एफ जो कश्मीर में तैनात है उसके बारे में आपकी कोई राय ?
* सी आर पी एफ व् उसके कमान्डेंट को और ट्रेनिंग की आवश्यकता है इसके अतिरिक्त उन्हें आराम देने की भी जरुरत है .क्योकि कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक जहा कही भी झमेला होता है सी आर पी एफ भेज दी जाती है .यही वजह है की उनलोगों ने अपना बंद बनाया है जिसकी धुन है 'चलते रहो प्यारे ' इसलिए मेरा मानना है कि उन्हें आराम कि आवश्यकता है वो बहुत खींचे हुए है .
१०.  इन सबका समाधान क्या है?
*इन सबका एक ही समाधान है जो भी मांग है आजादी ,औटोनामी इनकी पूर्ति संविधान के अन्दर ही रहकर होनी चाहिए .constitution  के बहर कुछ भी नहीं .दूसरी बात दिल्ली सरकार का रुख बहुत नरम है जो सही नहीं है. उसमे सुधार होना चाहिए .
जनरल शंकर राय चौधुरी अपनी पत्नी के साथ  'द वेक ' मैगजीन   के लिए interview  देते हुए.






Gen. Shankar Roy Chowdhury

 


General Shankar Roychowdhury (General S. Roychowdhury) (born September 6, 1937, Kolkata) served as 18th Chief of Army Staff of the Indian Army from 22 November 1994 to 30 September 1997.
An alumnus of St. Xavier's Collegiate School, Kolkata, he has received the Param Vishisht Seva Medal for distinguished service to the Indian Army and to the nation.
He also became member of Rajya Sabha after his retirement

सोमवार, 4 अप्रैल 2011

Nizamuddin Butt MLA (PDP) Kashmir

निजामुद्दीन बट्ट  विधायक बांदीपोरा   कश्मीर ,,,,,,,
१. क्या ये सही है की जो लोग कश्मीर में शांति से रहना चाहते है उन लोगो को चाहे वो हिन्दू हो या मुस्लिम उन्हें कश्मीर से भगाया जा रहा है ?
*बिलकुल गलत है .जो लोग इस तरह के इल्जामत लगा रहे है वे गलत कर रहे है .उनकी क्या मंशा है इसके बारे में कुछ नही कहा जा सकता .लेकिन हमने नहीं सुना की कोई हुर्रियत कांफेरेंस या militant के डर से कश्मीर छोड़ कर भाग रहा है .हमारी उनकी पार्टिया अलग है वे हमारे बारे में बहुत कुछ बोलते रहते है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि अगर कोई उनपर गलत इल्जाम लगाये तो हम उसका साथ दे .ये भगाने वाली बात जो उठ रही है ये सही नहीं है इसके पीछे जरुर कोई बदनीयती है .
2. कश्मीरी हिन्दुओ को कश्मीर से भगाया गया उसके लिए घाटी के लोग व आपकी पार्टी क्या कर रही है ?
*हम लोग उनको वापस बुलाना  चाहते है .हम सभी चाहते है की कश्मीरी पंडित वापस आ जाये .फिर से हम सब एक साथ मिलजुल कर रहे जैसे की पहले रहते थे .लेकिन उनके अन्दर इतना डर समाया हुआ है कि वे वापस नहीं आना चाहते .
३. आप लोग उन्हें वापस बुलाना चाहते है ,लेकिन बिना सुरक्षा , सुविधा और रोजगार  के वे वापस आकर क्या करेंगे ?
*देखिये सुरक्षा का ठिकाना यहाँ किसी का नहीं है ,कोई भी कश्मीर में सुरक्षित नहीं है .वैसे भी  सुरक्षा सुविधा और रोजगार देने का काम सरकार का है हम तो यही कह सकते है कि आम मुस्लिम बिरादरी उनका समर्थन कर रही है .
४.क्या अभी भी militancy  है ?
*है लेकिन बहुत कम. हम जिस जगह रहते है वहा अभी भी थोड़े हिन्दू है हम सभी एकसाथ आराम से रह रहे है .दिल का खौफ तभी निकलेगा जब आप रहेंगे .आप गुजरात को देखिये गोधरा कांड के बाद वहा दंगा हुआ लेकिन क्या मुस्लिम समाज ने वहा रहना छोड़ दिया ,वे आज भी रह रहे है और शांति से रह रहे है .आज की तारीख में गुजरात सबसे अधिक विकसित राज्य है .
५.इन्हें वापस बुलाने के लिए क्या करना चाहिए .
*इनके संगठन के लोगो को तय करना चाहिए की  वे  वापस जाकर अपने घर में रहे.मुस्लिम समुदाय की तरफ से इन्हें पूरा सहयोग व समर्थन मिलेंगा.
६. बीस वर्षो के बाद भी लगभग चालीस हजार कश्मीरी हिन्दू कैम्पों में खस्ताहाल हालत में  रहने के लिए मजबूर है क्योकि उनके लिए कुछ किया नहीं जा रहा है .ऐसा क्यों ?
* ये दोष केंद्र सरकार का है .उन्हें घर केंद्र सरकार देंगी न की राज्य सरकार लेकिन केंद्र सरकार राज्य पर दबाव बनाती है की राज्य सरकार उनके लिए घर की व्यवस्था करे .
७.आप उन हिन्दुओ के लिए क्या कहना  चाहते है जिन्हें जबरदस्ती डरा धमका के पलायन करने के लिए मजबूर किया गया .
*हम  मानते है की उनके साथ जो हुआ वो गलत था .लेकिन हम यही विश्वास दिलाना चाहेंगे कि दिल हमारे खुले हुए है ,हम उनका स्वागत करेंगे और चाहेंगे कि वे लोग आकर यंहा सुख शांति से मेल मिलाप के साथ रहे, काम करे. देश उन्नति करे .हमारी पार्टी ने कैंसर विशेषग्य डा. समीर कौल को  पार्टी प्रवक्ता बनाया है .हम लोगो कि यही चेष्टा है कि सब एक साथ रहे .


निराशा हाथ लगी ये कहना है कुछ कश्मीरी मुस्लिम का ........

खुले आसमान के नीचे भोजन की व्यवस्था 


अस्थायी ठिकाना 
कुछ महीने पहले कश्मीर से तक़रीबन हजार लोग कोलकाता आये .उन्होंने   शाल ,  शलवार सूट और कालीन बेचने का काम आरम्भ किया .किन्तु कोलकाता  में गर्मी अधिक होने के कारण उनका काम ठीक से चल नहीं सका .कोई ठोस व्यवस्था व् स्थायी रोजगार न होने की वजह से उन्हें खाने पीने की परेशानी  का सामना करना पड़ा .उनकी खस्ता हालत  देख कर अगल बगल में रहने वालो ने  उनकी मदद की और उन्हें सलाह दी की वे ऍन जिओ (गैर सरकारी संगठन ) के पास जाये और उनसे मदद मांगे .वे लोग कई एनजीओ के पास मदद के लिए गए  .उन्हें मदद भी मिली .प्रेस वालो ने भी उनकी बाते सुनी ,कुछ ने छापा भी .फिर पता चला की उनमे से काफी लोग कश्मीर वापस चले गए .जो बच गए है वे भी जा रहे है .हमने भी उनसे मुलाकात की .तो उनमे से कुछ लोगो ने बताया की वे बारामुला के रहने वाले है .उनको अपना देश इस लिए छोड़ना पड़ा क्योकि उन्हें वहा हुर्रियत कांफ्रेंस के लोग और पाकिस्तान से आने वाले militant  परेशान कर रहे थे उनको वहा जान का खतरा था इसलिए लगभग १०,००० लोग कश्मीर से निकल कर बड़े बड़े शहरो में बस गए ..जब उनसे पूछा की अब वे अगर वापस जायेंगे तो क्या उन्हें जान मॉल का खतरा नहीं होगा .इसपर उन्होंने जवाब दिया की कश्मीर के मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला ने उनके रहने के लिए घरऔर काम की व्यवस्था की है .जहा वे लोग जाकर शांति से रहेंगे बात करते समय वे बार बार पूछ रहे थे की आप प्रेस से तो नहीं आप इसे कही छापेंगे तो नहीं क्योकि ये उन्हें परेशानी में डाल सकता है और हो सकता है की इससे उनकी जान पर भी बन आये .
उनके साथ हुयी मुलाकात ने कुछ सवाल खड़े कर दिए की क्या ये जो कह रहे है सही है , अगर ऐसा है तो कश्मीर में सुरक्षित कौन है .और अगर १०,००० लोग कश्मीर से निकले तो इसकी खबर मिडिया में क्यों नहीं आई .उन्ही सवालों के जवाब के लिए कश्मीर के बांदीपुरा जिले के विधायक  निजामुद्दीन बट  से बात की उनसे हुयी बात के कुछ अंश यहाँ प्रस्तुत है ......






रविवार, 3 अप्रैल 2011

Bengal in the mirror of History

इतिहास के आईने में बंगाल .....
१. डा. विधानचंद्र राय 'मुख्य मंत्री बंगाल (१९४७-६२) के समय में भयंकर अकाल पड़ा था .
२. "बंगला कांग्रेस से अजय कुमार मुख़र्जी १९६७ में मुख्य मंत्री बने .
३. १९६७ में नाक्साल्बरी गाँव से विद्रोह आरम्भ हुआ जिसका चारू मजुमदार व् कानू सान्याल (सिपिआइअम ) ने नेतृत्व किया .किन्तु उस समय की बंगाल सरकार ने  इस सख्ती से दबा दिया .
४. १९६९ के चुनाव में सी पी एम बड़ी पार्टी के रूप में उभरी .अजय कुमार मुख़र्जी को फिर से मुख्य मंत्री बना दिया गया .१६ मार्च १९७० में उन्होंने इस्तीफा दे दिया और बंगाल में प्रेसिडेंट रूल लागु कर दिया गया .
५. सिद्धार्थ शंकर राय (कांग्रेस १९७२-१९७७  )१९७२ में मुख्यमंत्री बने ,मुख्य विपक्षी दल सी पी आई एम ने शपथ समारोह का बहिष्कार किया ये कहते हुए की चुनाव में धांधली हुयी है .
६.१९७५ ,में इंदिरा गाँधी ने पुरे देश में इमरजेंसी लागु कर दी .१९७५-१९७७ तक पुलिस व्  नक्सलियो के बीच में में जबरदस्त हिंसा .
७. १९७७ के चुनाव में सी पी एम ने २४३ सीट  जीत  कर विशाल जीत दर्ज की .स्व. ज्योति बासु मुख्य मंत्री बने .१९७७-२०००.
८. २००० से अभी तक बुद्धदेब भट्टाचार्य मुख्यमंत्री के रूप में अभी तक शासन की कमान सम्हाले हुए है .
सी पी एम की कुछ भूले जिसने त्रिनमुल कांग्रेस के अस्तित्व को रौशनी दी .
१. सिंगुर : पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के सिंगुर ग्राम में टाटा नैनो कार के कारखाने को लगाने की योजना को अमली जमा पहनाने के लिए बंगाल सरकार ने ९९७ एकर जमीन किसानो से खरीदना चाही जिसका जमीन मालिको ने विरोध किया उनके इस आन्दोलन में त्रिनमुल कांग्रेस की अध्यक्षा ममता बनर्जी ने साथ दिया . अंत में रतन टाटा को सिंगुर छोड़ कर गुजरात जाना पड़ा .
२. १४ मार्च २००७ में बंगाल सरकार ने स्पेशल इकोनोमिक जोन (सेज) इंडोनेशिया में रहने वाले सलीम ग्रुप के साथ मिलकर केमिकल हब बनाने की योजना को वास्तविक रूप देने के लिए १०.००० एकर जमीन किसानो से खरीदने की कोशिश की जिसका विरोध बड़े पैमाने पर हुआ .इस विरोध को दबाने के लिए ३,००० की संख्या में पुलिस फ़ोर्स उतारी गयी जिसमे जम कर हिंसा हुयी १४ लोगो की मौत हो गयी ७० के लगभग लोग घायल हो गए .इसने वामपंथियो की छवि को बहुत जायदा ख़राब कर दिया .अंत में इस योजना को भी ठन्डे बस्ते  में ड़ाल दिया गया .
३. १९४८-१९६२ में पश्चिम बंगाल उद्योगों की नगरी कहा जाता था .बंगाल के प्रथम मुख्यमंत्री विधानचंद्र राय ने बड़े बड़े उद्योग ,दुर्गापुर, आसनसोल ,कल्याणी ,howrah  और कोलक़ता में लगवाये थे .१९६० -७० के दशक में उद्योगों की संख्या कम होने लगी जिसका  कारण नक्सली हिंसा ,बंगलादेश युद्ध व् सी पी एम की नीतिया बताई जाती है.