शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2013

Film maker ,Director Ashoke Vishvanathan.

Film maker ,Director  Ashoke Vishvanathan.
 प्रश्न : आप तमिलनाडु से है , कोलकाता  आना कैसे हुआ ?
उत्तर : दरअसल मेरे पिता तमिलनाडु से है जबकि माँ बंगाली । पिता थियेटर आर्टिस्ट होने के साथ -साथ फिल्मो से भी जुड़े हुए है और उन्होंने सत्यजित रे के साथ कंचन जंघा फिल्म बनायीं थी और भी फिल्मों में काम किया है। मृणाल सेन के साथ "पुनश्च" फिल्म में काम किया। हमने उन्हें इस लाईन में कम करते देखा तो अपना मन भी बना लिया कि हमें फिम्ल जगत में ही काम करना है। इसके लिए हमने पूना से ट्रेनिग ली ।
प्रश्न: आपने बहुत कम समय में लोकप्रियता हासिल की है इसका क्या कारण है ?
उत्तर : ये सब ऊपर वाले की  है  मेहरबानी है ।मैंने अब तक नौ फीचर फिल्म की है जिसमे से दो को अन्तराष्ट्रीय अवार्ड व् तीन को नेशनल अवार्ड मिला । पाँच बार इंडियन पेनोरमा में भी शामिल हुयी । 1994,1998,2001,2002 और 2006 ।
प्रश्न: आप किसी खास सन्देश को समाज में पहुचाने के लिए फिल्म बनाते है या कोई विषय पसंद आ जाने पर उस पर काम  करते है। 
उत्तर: फिल्मस हमेशा ही समाज में सन्देश पहुचाने का माध्यम होती है।बहुत बार किसी ज्वलंत समस्या के हल के रूप में फिल्मे बनती है तो कई बार किसी खास विषय को केन्द्रित करके बनायीं जाती है। मेरी कोशिश भी यही रहती है की जिस किसी प्रोजेक्ट पर काम करू वो समाज में चेतना लाने वाला हो या समाज को सही रास्ता दिखने वाला हो।
प्रश्न: आपने किन बड़े कलाकारों के साथ काम किया है?
उत्तर: विक्टर बेनर्जी , जयाप्रदा ,जैकी श्राफ के साथ 'शेष संघर्ष ' नमक फिल्म में काम किया है । रजत कपूर ,प्रियांशु चटर्जी ,सीमोन सिंह ,चिरंजीत ,प्रसन्नजीत आदि के साथ 'ब्लाइंड लेन 'सीरियल में काम किया है जिसका प्रसारण जी टीवी बंगला में होता था ।
प्रश्न: क्या आपने हिंदी में भी पिक्चर या धारावाहिक बनाये है ?
उत्तर : हिंदी में भी हमने काफी काम किया है ,'तरकश ' नामक धारावाहिक बनाया था जिसका प्रसारण 2000में जी टीवी पर हुआ था ।इसमें मीता वसिष्ठ ,अंजन दत्त आदि थे । रितुपर्ना सेन गुप्ता के साथ फिल्म भी बनायीं । हाल ही में गुमशुदा फिल्म बनायी ये हिंदी के साथ -साथ तीन भाषाओ में भी इस फिल्म की डबिंग हुयी है ।
प्रश्न: आपके पसंदीदा कलाकार कौन से है ।जिनके साथ काम करने में आनंद आया ?
उत्तर: रिदिमान चटर्जी ,रूपा गांगुली, नंदिता दस, स्वस्तिका मुख़र्जी, जैकी श्रॉफ , विस्तार बनर्जी, प्रसंजित आदि   लेकिन सबसे ज्यादा  सीखने  को मिला जयाप्रदा के साथ काम करके ।
प्रश्न: काम करने में सबसे ज्यादा परेशानी का सामना कब करना पड़ता है ?
उत्तर:जब आप किसी मशहूर कलाकार के साथ काम करते है तब बहुत बार भीड़ को सम्हालना मुश्किल हो जाता है। मैंने ये परेशानी रिदिमान चटर्जी के साथ बहुत बार झेली है । एक बार मेरी फिल्म " शून्यो थेके शुरू " में रिदिमान चटर्जी को भिखारी का किरदार निभाना था लेकिन परेशानी ये थी की जहा कही भी शूटिंग के लिए कैमरे लगाये जाते वही भीड़ आ जाती इससे तंग आकर हम लोगो ने रिदिमान चटर्जी को हावड़ा स्टेशन पर भिखारी के वेश में छोड़ दिया और कैमरे गाड़ी के अन्दर लगा दिए । गाड़ी में ही बैठकर हमलोगों ने शूटिंग की । सबसे दिलचस्प बात तो ये थी कि कोई भी उन्हें पहचान नहीं सका यहाँ तक की कितने लोगो ने उन्हें भिखारी समझ कर पैसे भी दे दिए ।
प्रश्न: क्या कारण है कि आपकी फिल्म " शून्य थेके शुरू" को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला? इसकी कहानी के बारे में बताइए ?
उत्तर: इसकी कहानी 70 के दशक वाले अंडर ग्राउंड नक्सलवाद के ऊपर थी । जिसमे  कोलकाता  विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र पढ़ाने वाले प्रोफ़ेसर जो समाज की उन्नति के बारे में सोचा करते थे , इस आन्दोलन में शामिल हो जाते है । जिसके फलस्वरूप उन्हें बीस साल की जेल होती है । जेल की यंत्रणाओं के कारण वे अपना मानसिक संतुलन खो देते है । जब जेल से छूटते है तो उनका दोस्त उसे अपने घर लाता है ।इलाज करवाता है । वंहा उसे उसकी बेटी से प्यार हो जाता है । एक दिन उसका दोस्त हार्ट अटैक में चल बस्ता है इधर ये सोचकर की उसके दोस्त की बेटी उम्र में उससे काफी छोटी है और उसके साथ शादी करना ठीक नहीं होगा वो घर छोड़कर चला जाता है। 
प्रश्न: जिंदगी के बारे में आपका क्या नजरियाँ है ?
      उत्तर : जिंदगी एक अँधेरी सुरंग है जिसमें खुशी  नामक  रौशनी कुछेक सेकेंड्स के लिए आती है ।





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