भारत आज भी अथाह सम्पदा का मालिक है .उसके गर्भ में अनेक बेशकीमती खनिज पदार्थ समाये हुए है . उन्ही में से कोयला भी है जो करोडो -अरबो की सम्पति है ,जिसकी देख-रेख के लिए, सही उत्खनन के लिए कितने वैध खदान बनाये गए है जहा समस्त सुविधाओ का ध्यान रखने की कोशिश की जाती है .किन्तु लूट्ने वाली मानसिकता के शिकार लोग वंहा भी सेंध मारने से बाज नहीं आते और तो और बड़े -बड़े अवैध कोयला खदान ,अवैध उत्खनन ,,अवैध डिपो इतने धड़ल्ले से चल रहे है कि जिन्हें देख कर अपने आप ही समझा जा सकता है कि इतना बड़ा काम बिना ऊपर तक पहुँच बनाये सुचारू रूप से चलाना संभव नहीं है . जहा अधिकतर लोग पैसा बनाने में विश्वास रखते हो वंहा अवैध कारोबार करना कौन सा मुश्किल काम है.,फिर वो कोयला ,भू ,पेर्टोलियम,वन ,जीव -जंतु कुछ भी हो , क्या फर्क पड़ता है . यही वजह है जितने वैध कोयला खदान नहीं है उससे तीन गुना ज्यादा अवैध खदाने है जिनकी न कोई गिनती है न कोई गिनने वाला .जहा दुर्घटनाये होना आम बात है किन्तु उनकी पुष्टि बिना साक्ष्य के करना मुश्किल.और हो भी कैसे जिस अवैध धन को उगाहने का ये ताना -बाना है उसी ताने-बाने के शिकार अधिकतर पत्र -पत्रिकाए ,पत्रकार ,प्रशासन एवं कुछ RAJNITIGY भी है ,जिनकी जेब में माल दुर्घटना होने के साथ ही पहुँच जाता है और वे माल रूपी स्वर्गीय सुख को प्राप्त करने के लिए किसी भी हद तक समझौते कर लेते है .वैसे इसमें बुराई क्या है सभी तो यही कर रहे है तो वे क्यों न बहती गंगा में हाथ धो ले इसी सोच के साथ वे इसे सहर्ष स्वीकार करते है और मन में उपजी ग्लानी बोध से मुक्ति पा लेते है .दूसरी ओर उस दुर्घटना स्थल में हादसे के शिकार मजदूर या तो कल का ग्रास बन जाते है या फिर उस भयानक कई सौ मीटर बिना हवा की लंबी गुफा में दब कर मरने को विवश हो जाते है ,आस -पास के लोग कोयला माफिया के खौफ से डर कर अपनी इंसानियत को कुचलता हुआ देखते रहते है ,उन मृतक मजदूरो के परिवार के लोग रुपयों का बड़ा बण्डल देख आपने आंसू पोंछ लेते है और करे भी क्या ,क्योकि जिन अवैध खदानों में उनके परिजन हादसे का शिकार हुए है ,उन खदानों में काम करना गैर क़ानूनी है . ऐसी स्थिति में उनकी शिकायत न पुलिस सुनेगी और न मदद मिलेगी फिर इन पचड़ो में बेवजह पड़ने से क्या फायदा .बस यही मूल मंत्र है जिसके बल पर गैर कानूनन काम बेफिक्री से चल रहा है .किन्तु दुःख होता है ये देखकर कि हमारे देश का दुर्भाग्य है कि पहले उसकी अपार सम्पति को लूट्ने महमूद गजनवी से लेकर नादिरशाह तक आये और बाद में लगभग दो सौ वर्षो तक अंग्रजो ने जी भरकर लूटा ,अब उसके अपने लोग अपनी अतृप्त धन कि प्यास को बुझाने लिए अपने ही देश को लूट्ने में लगे हुए है ,जिसको जहा भी कुछ नजर आ रहा है वो उसे हड़पने में लगा है ,बिना ये सोचे कि वो अपने ही देश को खोखला कर रहा है .कानून ,अनुशासन ,ईमानदारी ,देशप्रेम जीवित होते हुए भी अपने को अकेला व् लाचार पा रहे है .माफियाओ के हिमालय रूपी कद के सामने वे अपने को बौना महसूस कर रहे है किन्तु जिस दिन उन्हें अपनी ताकत का अहसास होगा उस दिन वे चींटी के सामान होते हुए भी हाथी को मरने में सक्षम होगे और रौंद डालेंगे भ्रष्ट ,लालची जमात को जो जनता कि मेहनत और मजदूरी पर अपने सुख की ईमारत को बनाने और सजाने में लगी है .
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