मंगलवार, 27 मार्च 2012

Babu lal Marandi , (born 11 January 1958) was the first Chief Minister of Jharkhand.


बाबूलाल मरांडी भूतपूर्व मुख्यमंत्री (झारखण्ड) 



प्रश्न १ : आप झारखण्ड के पहले मुख्यमंत्री है ,इसके लिए आप सबसे ज्यादा किसके आभारी है.
* कोई भी इन्सान जब जमीनी स्तर से उठकर ऊंचाई पर  पहुँचता है तो सबसे पहले वो उनलोगों का आभारी होता है जिन्होंने उसे इस लक्ष्य तक पहुचने में मदद की मैंने भी अपने सभी सहयोगियों का आभार दिल से व्यक्त किया किन्तु जिसका मै सबसे ज्यादा आभारी हूँ वो उस   स्कूल के क्लर्क का जंहा कभी मै खुद शिक्षक था .
प्रश्न २:ऐसी क्या बात है जिसके लिए आप उस क्लर्क के अत्यधिक आभारी है ?
*जब मै शिक्षक था तो उस कलर्क ने मेरे साथ दुर्व्यवहार किया था जिससे व्यथित होकर मैंने उस स्कूल की नौकरी छोड़ दी.किन्तु जब मै मुख्यमंत्री बना तब मैंने महसूस किया की आज मै जो भी कुछ हूँ उसकी वजह वो क्लर्क है .तब मैंने निश्चय किया की मुझे उस क्लर्क का आभार व्यक्त करने जाना चाहिए और मैंने ऐसा किया भी.
प्रश्न ३: आप बहुत कम समय (२८ महीने)  के लिए मुख्यमंत्री के पद पर आसीन  रहे ,इस दौरान आपने जनता के लिए  कौन -कौन से  कार्य किये जिससे आपको संतोष और सराहना दोनों ही मिली ?
* मैंने सबसे पहले आदिवासी लड़कियों के लिए छात्रावास बनवाया जिसमे सौ से  अधिक छात्राए रह सकती है.उनके समुचित खान-पान की सही व्यवस्था की क्योकि आदिवासी कन्यायें इन सुविधाओ से वंचित थी.स्कूल का आवागमन सुविधायुक्त बनाने के लिए आदिवासी लड़कियों को साईकिल दिलाई .गरीबी रेखा से नीचे के तबके को यथासंभव मदद मुहैया करायी.योग्य छात्रो को बहार भेज कर पायलट की शिक्षा दिलवाने की व्यवस्था की.
प्रश्न ४: सबसे ज्यादा किस कार्य ने आपको परेशान किया ?
* मफियायो की उपस्थिति ने .गाँव के बाजारों पर माफियाओ का अधिकार था उनके चंगुल से बाजार को मुक्त करवाने में थोड़ी परेशानी अवश्य आई किन्तु धीरे -धीरे सब ठीक हो गया .और बाजार माफिया मुक्त हो गए .जिसका परिणाम लोगो की आमदनी में बढ़ोतरी हुयी. लोगो के आवागमन को सुचारू रूप से चलने के लिए बसों की गिनती बढाई ,बसों  के लिए सब्सिडी दी गयी .ऐसे अनेक कार्यो की लम्बी सूची है जिन्हें पूरा करने के लिए आज भी समर्पित हूँ .
प्रश्न ५ : ऐसी कौनसी बात है जिससे आपको क्षोभ होता है ?
* नक्सलियों की बढती संख्या को देखकर.जिसके लिए अनेक राजनितिक पार्टिया जिम्मेदार है.जो सत्ता में रहने के लिए इनकी आतंकित करने वाली गतिविधियों को अंजाम दिलवाते है.अपने स्वार्थ के लिए ये देश को खोखला कर रहे है. और इन्हें नजर भी नहीं आ रहा की वे देश के साथ धोखा कर रहे है.
प्रश्न ६: आपके प्रिय शौक क्या है?
*मुझे खुद भी नहीं मालूम की मेरे प्रिय शौक क्या है .किन्तु एकांत प्रिय है,और एकांत में संगीत सुनना अच्छा लगता है.जीवन के प्रत्येक अच्छे -बुरे समय को विधाता का आशीर्वाद समझ कर ग्रहण करता हूँ .
प्रश्न ७: आप युवाओं के लिए क्या सन्देश देना चाहते है?
* आज का युवा अपनी इच्छाओं को पूरा करने के चक्कर में बहुत जल्दी हतोत्साहित हो जाता है ,जो की गलत है.क्योकि इससे उसकी शक्ति घटती है. उसे अपने लक्ष्य को सामने रख कर कार्य करना चाहिए ,देर -सबेर हो सकती है.किन्तु लक्ष्य तक अवश्य पहुचेंगा. 

ये साक्षात्कार २००६ अप्रैल में 'डी वेक' हिंदी मासिक पत्रिका के लिए लिया गया था .
Babu Lal Marandi (born 11 January 1958) was the first Chief Minister of jharkhand  He is the founder and national president of jharkhand vikas Morcha. (Prajatantrik). He is the Member of Parliament from Koderma Lok Sabha constituency. He was the Minister of State, Forests & Environment, Govt. of India in the Atal Bihari Vajpayee government.

Early life :

Babulal was born in a remote Kodia Bank village under Tisri block of Giridih district of the now Jharkhand province.
After passing high school, he moved to Giridih College from where he did his intermediate and graduation. It was there that he came in contact with theRashtriya Swayamsevak Sangh.  
He worked as a teacher in a village primary school for a year before giving up the job to work for the Sangh Parivar. He served as the organising secretary of the Jharkhand region of Vishwa Hindu Parishad. 
In 1983, he moved to Dumka and worked in the Santhal Parganas division, which he toured extensively. In those days, he used to live in the RSS office in Dumka.

Political career:

In 1991, the BJP gave him the ticket to contest from the Dumka (reserved) Lok Sabha seat, but he lost. In 1996, he lost to Shibu Soren  by just 5,000 odd votes. The BJP, in the meantime, made him president of the party's Jharkhand unit.
It was under Marandi's leadership that the party won 12 out of 14 Lok Sabha seats in Jharkhand region in the  1998  election. Marandi, a Santhal, led the tally by defeating Jharkhand Mukti Morcha supremo Shibu Soren, another Santhal.

रविवार, 18 सितंबर 2011

शहरयार कबीर

 १. आपने अब तक  70 से ऊपर किताबे लिखी है,उनमें से कौन सी पुस्तक ज्यादा पसंद की गयी ? 
*मै अबतक अस्सी से ऊपर किताबे लिख चुका हूँ, जिनमे से पांच किताबो को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर काफी पसंद किया गया.
२. आपके लेखन ने हमेशा गलत नीतियों व् कट्टरपंथियों का विरोध किया है, जिसके कारण आप विवादित भी रहे और आपको इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी?
*ये सही है की मैंने इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकाई है,कितनी बार मेरे ऊपर जानलेवा हमला हुआ .दो बार जेल भी गया. आज मै जिस छड़ी के सहारे चल रहा हूँ ये उसी की दें है.
३.आपने कभी हिम्मत नहीं हारी क्यों?
*हिम्मत हारने का सवाल ही नहीं उठता. क्योकिं मै जो भी कर रहा हूँ अपने देश के लिए कर रहा हूँ ,जनता के अधिकारों के लिए कर रहा हूँ. 
४. आपकों कभी कट्टरपंथियों ने बांग्लादेश से निकालने की चेष्टा नहीं की?
*वे ऐसा नहीं कर सकते थे क्योकिं उनपर अंतराष्ट्रीय  दबाव था.
५.बांग्लादेश के कट्टरपंथियों ने अब तक २८ पत्रकार और एक साहित्यकार कों मौत के घाट उतार दिया एवं अनगिनत पत्रकारों को यंत्रनाये दी गयी ,जिन लोगो ने उनकी नीतियों का विरोध किया ऐसी स्थिति में क्या उम्मीद की जाये की आने वाले दिनों में कट्टरपंथियों की ही हुकूमत चलेगी. 
*बांग्लादेश की जनता ने उन कट्टरपंथियों को चुनाव में हराकर जवाब दे दिया की उनके साथ नहीं है.वहां के लोगो ने आवामी लीग के पक्ष में वोट दिया जिसका परिणाम शेख हसीना आज बांग्लादेश की प्रधानमंत्री है.
६.आप पत्रकारिता से जुड़े हुए है,मानवाधिकार के लिए कार्य करते है.कट्टरपंथियों के खिलाफ लड़ाई लड़ते है, क्या भविष्य में आप चुनाव लड़ना चाहते है?
*मै चुनाव लड़ कर पार्टी के कामों के लिए बंधना नहीं चाहता. मेरा उद्देश्य  समाजसेवा है पार्टी सेवा नहीं .
७.क्या कट्टरपंथी विश्व के लिए खतरा है ?
*बिलकुल खतरा है. इसीलिए हमलोग चाहते है की ऐसे लोगों को पनपने न दिया जाएँ जो मानवता का उन्मूलन करना चाहते है?
८.भारत के बारे में बांग्लादेश के लोगों की राय बहुत अच्छी नहीं है क्यों?
*भारत में जब बाबरी मस्जिद ध्वस्त की गयी थी तो बांग्लादेश में ३५०० मंदिर तोंडे गए.पाकिस्तान में भी १०० से ज्यादा मंदिरों को नष्ट कर दिया गया. इस तरह की घटनाएँ जब कही भी जन्म लेती है तो पडोसी देशो में इनकी प्रित्क्रिया अवश्य होती है जो दूरी और द्वेष कों जन्म देती है.
९.तसलीमा नसरीन के बारे में आपकी क्या राय है ?
*वो एक साहसी लेखिका है .उसे अपनी भावनाओं कों व्यक्त करने का पूरा अधिकार है. मैंने उनका साक्षात्कार भी अपनी पत्रिका के लिए लिया था हालाँकि उनके और हमारे विचारों में बहुत भिन्नता है .
१०. आपने स्वतन्त्र पत्रकारिता की थी या किसी समूह से जुड़कर ?
*मैंने १९७२ से लेकर १९9२ तक विचित्र नामक पत्रिका के लिए लिखना आरंभ किया था. बाद में मै इसका प्रधान संपादक बन गया था. यही नहीं मै  बहुत से दैनिक अख़बारों के लिए भी नियमित स्तम्भ लिखता था साथ ही विवादों के घेरे में भी रहता था.
११.आप documentary  फिल्म बनाते है? 
*मैंने 'WAR CRIMES 71' बनायीं थी जिसका premier  लन्दन में १६ अक्तूबर को  हुआ था.अभी भी मै एक documentary  पर काम कर रहा हूँ जिसके सिलसिले में आजकल  भारत आना हो रहा है .
१२. भारत के बारे में आपका क्या ख्याल है ?
* भारत दुनियां का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है, उसे धर्मनिरपेक्षता के क्षेत्र में अभी और काम करने की आवश्यकता है .

शनिवार, 17 सितंबर 2011

SHAHRIAR KABIR

Shahriar Kabir 

 a Bangladesh Awamileague Supported  BANGLADESH journalist, filmmaker,  HUMAN RIGHTS activist, and author of more than 70 books focusing on human rights, communalism, fundamentalism, history, and the Bangladesh war of independence.
Mr. Kabir after completing his schooling in 1968 with Higher Secondary Certificate in 1968 and formal education in 1971 Mr. Kabir began his journalist career. As a freedom fighter he participated in our liberation-war against the Pakistani occupation force in 1971. After liberation of Bangladesh from Pakistani occupation force Shahriar joined ‘Vichitra’ group- a left leaning Marxism based liberal group formed centering a popular Weekly Magazine called ‘Vichitra’ in 1972. There he served as a member of the editorial board ending with Executive Editor in 1992. He was a regular contributor not only of his own Magazine of all important dailies and earned reputation as an analytical and critical columnist. His critical articles created a host friends amongst the humanist liberal and secular circles but equal number of enemies in the establishment as well as among the fundamentalists and communalists.
  • As Shahriar was exposing himself as a BAL supported humanist and activist against human rights violation through his writings exposing the ugly desire and design of seizing power by fundamentalist forces to turn secular-liberal democratic Bangladesh into a theocratic state based on fundamental Islamic principles he became one of the principal target of the Islamite force in Bangladesh. Consequentsty as the part of government side to tackle Bangladesh Jammat Islami, a traditional and democratic political party, started Championing.
  •         This action of trying the accused collaborators in a public tribunal by passing the government system of judiciary antagonized the government of Khaleda Begum. This is because the party in power BNP since its formation in early eighties by late Zia ur Rahman, an army general of Bangladesh army, and sector commander in our liberation war in 1972 was harbouring good relations with the Islamic parties including the Jamaat e Islami. In fact General Zia after assuming power rehabilitated the fundamentalists in the body politic of Bangladesh. Golum Azam was brought back by his initiative, and later on the government of Khaleda Begum did everything to return citizenship to Mr. Azam. It was therefore no wonder that public trial of Mr. Azam was taken seriously by the Khaleda government, which was at that time trying to protect the interest of the Jamat chief. All elite of the society involved in the proceedings of the trial including Mr. Shahriar Kabir were arrested by Khaleda government in nineties with sedition charge- all of them were termed as anti-state elements. Al though these elite citizens were harassed in public but were not put behind the bar as the learned high court granted bails to them. The case was finally dropped after a couple of years when a new caretaker government came to power under a retired chief justice replacing the BNP government which was forced to resign because of mass uprising against it.




सोमवार, 8 अगस्त 2011

Prakash Javdekar " Spokes person BJP"

  प्रकाश जावडेकर "प्रवक्ता भाजपा "

1. ब्रह्मपुत्र पर बनाया जाने वाला बांध आजकल बहुत चर्चा में है ,आपकी इस विषय में क्या राय है ?
* चीन हमेशा से आक्रामक रहा है ,वह भारत के विरुद्ध कुछ न कुछ खुराफात करता रहता है ,जैसे अलगाववादियों को सहयोग ,तिब्बत पर दबाव ,यंहा तक की उसने भारत का जो नक्शा बना है उसमे कश्मीर को अलग दिखाया है.ब्रह्पुत्र पर बांध भी उसकी नई साजिशों  में से एक है.भारत सरकार को उसकी साजिशों का दो टूक जवाब देना चाहिए जो वो नहीं दे रहा है. 
२. भारतीय जनता पार्टी इस दिशा में क्या कर रही है?
*भाजपा हमेशा ही देश हित में कम करती है.ब्रह्मपुत्र के ऊपर बांध  बनाने  की खबर जबसे राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय मीडीया के दवारा लोगो के बीच में आई है ,हमलोगों ने तुरंत इस बारे में पत्र लिख कर प्रधानमंत्री से पूछा ,जिस पर उन्होंने कहा की ऐसी कोई बात नहीं है . हमलोग पहले भी संसद में इस विषय पर चर्चा कर चुके है .आगे भी हम सदन में मांग रखेंगे की चीन कुछ कर रहा है या नहीं उस पर स्पष्टीकरण दिया जाये .
३. आप ब्रह्मपुत्र के बारे में क्या सोचते है ?
*ब्रह्मपुत्र से हमारा इतिहास व् संस्कृति जुडी हुयी है, जिस तरह भागीरथ गंगा को पृथ्वी पर लाये थे उसी तरह ब्रह्मपुत्र भी भारत में आई है .पौराणिक कथाओ के अनुसार ब्रह्मपुत्र,  सृष्टि का सृजन करने वाले देवता ब्रह्मा जी  का पुत्र है, इस नाते उससे भारतीयों की धार्मिक आस्थाये जुडी हुयी है .अगर ब्रह्मपुत्र के पानी का  रुख  चीन बदलने की कोशिश करेंगा तो भारत पर इसका बहुत बुरा असर पड़ेंगा .भारत की तबाही भी हो सकती है .
४. भारत ने भी फरक्का बांध ' भारत-बंगलादेश सीमा पर बनाया है क्या इसका यही मतलब निकला जाये की बड़ी मछली ,छोटी मछली को खाती है?
*बिलकुल गलत है ,भारत ने बांध बनाया संधि के तहत .उसने अपनी संधि में जितना पानी छोड़ने की बात की वह उसे बराबर दे रहा है.फरक्का बांध की चीन के बांध से तुलना ही नहीं की जा सकती.
५.अगर चीन बांध बनाता है (जैसा की सुना जा रहा है ) तो भारत सरकार क्या करेगी ?

* बांध को रोकने के लिए भारत के पास अनेक मार्ग है .भारत भी उस पर बांध को रोकने के लिए चीन पर दबाव डालेंगा .
६.चीन पर दबाव डालने के लिए सबसे पहले भारत कौन सा मार्ग अपनाएगा ?
 *प्रत्येक देश  एक- दुसरे के ऊपर किसी न किसी माध्यम से निर्भर होता है .चाइना का भी भारत के साथ व्यावसायिक सम्बन्ध है ,इसलिए वो ऐसा नहीं कर सकता है .आज चाइना के 45 हजार मेगावाट पावर पॉइंट भारत में लग रहे है अगर चीन ऐसा करेगा तो उसके पावर पॉइंट भारत में कैसे लग पाएंगे .

२००९ दिसंबर में 
"बांध पर विवाद "   के लिए दिया गया साक्षात्कार 



























गुरुवार, 21 जुलाई 2011

निरंजन मलिक ,लेफ्टिनेंट जनरल (पीवीएसएम् )

 निरंजन मलिक ,लेफ्टिनेंट जनरल (पीवीएसएम् )

प्रश्न , आपका जन्म कहा हुआ और आप आर्मी में कैसे आये .किसी प्रेरणा से या पारिवारिक प्रष्ठभूमि के कारण ?
  मेरा जन्म उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में एक कृषक परिवार में हुआ था मेरे पिताजी कृषक के साथ - साथ सैनिक भी थे .ये हमारे परिवार की परंपरा है की जितने लड़के होंगे  वे आर्मी में जायेंगे .हमारे तीनो भाई आर्मी में अफसर है .और चचेरा भाई भी आर्मी में ही है.
२. आपने  स्कूली शिक्षा  कहा से प्राप्त की ?
*मैंने अपनी प्राम्भिक शिक्षा आर्मी के नामी स्कूल में पाई थी. कालेज की शिक्षा मैंने प्रिंसे ऑफ़ वेल्स रायल इन्डियन मिलिट्री कालेज में जिसे आज " राष्ट्रीय इन्डियन मिलिट्री कालेज देहरादून" के नाम से जाना जाता है वहा से प्राप्त की .इस कालेज में एडमिशन पाने के लिए परीक्षा देनी पड़ती है.मैंने दिल्ली से परीक्षा दी थी उस समय उसमे मात्र एक ही सीट थी, ये जानकर आपको आश्चर्य होगा ,जैसा की मुझे हुआ था की परीक्षा का  रिजल्ट निकलने के बाद मै अकेला ही था जो दिल्ली से पास हुआ था .बाद में मेरे प्रिंसिपल एच सी कैचपाल ने मुझे बताया कि  maithmatics   में मैंने  २००  नंबर में से १९८ पाए थे .जिसके कारण  मुझे अडमिशन मिला था हलाकि मै अंग्रेजी में फेल हो गया था .
३. तब आपने अंग्रेजी सुधारने के लिए क्या किया ?
*ये  बहुत  ही दिलचस्प न भूलने वाली स्मृति है .कालेज के standard   की अंग्रेजी जानने के लिए हमें बहुत मेहनत करनी पड़ी .जंहा कालेज में सभी मस्ती करते थे वहा मै खली समय में अंग्रेजी के नावेल पढ़ा करता था .क्योकि मेरे सेक्शन के टीचर मिस्टर वाटसन जो साइंस पढ़ाते थे और बहुत ही अच्छे इन्सान थे उन्होंने मुझसे कहा की अंग्रेजी सीखने के लिए नावेल पढना आवश्यक है और साथ ही निर्देश दिया की प्रत्येक सप्ताह तुम्हे एक नया नावेल पढना है और रविवार को मेरे साथ उस पर चर्चा करनी है .तब मुझे ये किसी सजा से कम नहीं लगता था कि मै खाली समय में नावेल लेकर बैठा हूँ .जबकि मेरे साथ के केडेट  खेलते थे किन्तु इसका फायदा ये हुआ कि मै किताबे पढने का शौकीन हो गया .इसके बाद जब मैंने  सीनियर  cambridge फायनल परीक्षा दी तब मुझे तीन विषयो  गणित,इतिहास ,अंग्रेजी में distinction  मिली जिसका श्रेय मै आजतक अपने प्रिंसिपल और टीचर को देता हूँ. 
४. आपके अनुसार stratgic  blunder  क्या है?
भारत वो देश है जिसने मोर्याँ और गुप्ता पीरियड का स्वर्णकाल देखा है. भारत कि गौरवपूर्ण परंपरा में शासक सुचारू रूप से शासन चलने में सक्षम थे .इनकी शासन प्रणाली सुन्दर इमारतो का निर्माण, वैज्ञानिक पद्धति, साफ-सफाई सभ्यता ने पुरे संसार में भारत कि पहचान करायी थी. किन्तु लम्बे समय की  गुलामी ने एक प्रश्न  चिन्ह लगा दिया था कि "क्या भारत सक्षम होगा एक राष्ट्र के रूप में पहचान बनाने में ?" और आज साथ वर्षो बाद भी एक प्रश्न लोगो को मैथ रहा है कि "क्या भारत सुपर पावर बन जायेगा ?" हालाँकि आज भारत में कुटनीतिक दृष्टिकोण में कमी आई है .राष्ट्र के प्रति लोगो में लगाव नहीं रह गया .सुरक्षा व्यवस्था ठीक नहीं है और न ही सही योजनाये क्रियान्वित कि गयी है .खस्ता सुरक्षा के चलते हमारे पडोसी राज्यों ने हमारे ऊपर प्रेशर दल कर रखा है .उनके द्वारा भारत को दिए गए घाव रिस रहे है .गजनी के समय से जब उसने सत्रह बार आक्रमण कर देश को लुटा था और रक्तपात किया था आज तक भारत विदेशी आक्रमण रोकने में या जवाब देने में असमर्थ है.
५. जिस असुरक्षा कि आप बात कर रहे है ,क्या उसका कारण सेना का सशक्त न होना है.? 
* नहीं हमारी सेना बहुत सशक्त है,लेकिन नई रणनीति के तहत जिस तरह का संग्राम द्वीपों में दिख रहा है ,उसके लिए सेना तैयार नहीं है .
६. आपके अनुसार क्या केंद्र सरकार दोषी है जिसे सेना की समस्याये और देश की सुरक्षा नहीं दिख रही है ?
*बिलकुल हमारी केंद्र सरकार सुरक्षा के प्रति लापरवाह है .किन्तु जब श्री अटल बिहारी बाजपई जी प्रधानमंत्री बने थे तब उन्होंने देश की सुरक्षा को सबसे अधिक प्राथमिकता दी थी .पोखरण परमाणु परीक्षण   हमारी सैन्य शक्ति में इजाफा किया था.
७. आपको सबसे अधिक क्या बात दुखित करती है ?
*मै  अवकाश प्राप्त सैनिक हूँ और जब अपने चारो तरफ देखता हूँ तो पाता हूँ कि राजनेता हमारे देश कि सुरक्षा के लिए कुछ भी नहीं सोच रहे है . बदले हुए माहौल  में हमें अत्याधुनिक हथियारों की आवश्यकता है जिससे कि हम अपने शत्रुओ से निपटने में उनसे एक कदम आगे रह सके .इसके अतिरिक्त हमें अपने शत्रु को पहचानना होगा और उनके कार्य करने के तरीके को चाहे वे पाकिस्तानी हो या चीनी .सिर्फ राजनीतिग  तरीके से बात  करके और पेपरों में लिख क्र ,आश्वासन देकर अपने कार्य को समाप्त कर देना सही नहीं है .जिस तरह से पाकिस्तान कभी भी अपनी बात पर कायम नहीं रहता .इधर चीन भी भारत के साथ सही तरीके से पेश नहीं आ रहा है और अरुणाचल पर अपना दावा जाता रहा है .उससे पाकिस्तान और चीन दोनों के इरादे स्पष्ट समझ में आ रहे है .किन्तु हम सच्चाई से मुहं मोड़ कर एक झूठे सवर्ग में रहते है जिसकी बहुत बड़ी कीमत हमें भविष्य में चुकानी पद सकती है .
८.क्या आप अपने देशवासियों को कोई सन्देश देना चाहेंगे ?
* जरुर , मै कहना चाहूँगा मेरे भारतवासियों ये समय सोने का नहीं वरन होश में आने का है .हमारे देश को बहर और भीतर दोनों तरफ से खतरा है ,उसे धमकिया मिल रही है और जिस सरकार को लोक्तार्न्त्रिक तरीके से आप चुनकर लाये है वो बहुत गहरी नींद में है .हमें ये नही भूलना चाहिए कि जब तक आपका देश सैन्य शक्ति में सबसे ऊपर नहीं होगा कोई भी देश आपसे भय नहीं खायेगा .कहा भी गया है कि " भय बिन होए न प्रीत "आर्थिक दृष्टिकोण से सक्षम बन्ने से आप ऊपर नहीं उठ सकते .पैसा ऐश करा सकता है लेकिन सुरक्षा नहीं दे सकता .इसलिए कही ऐसा न हो कि हमारी गलतियाँ हमें फिर से गुलामी का इतिहास दोहराने के लिए मजबूर कर दे

शनिवार, 18 जून 2011

SMRITI IRANI "POLITICIAN"

राष्ट्रीय महिला मोर्चा   अध्यक्ष  "भारतीय जनता पार्टी " 
१.आप टी. वी. के विभिन्न कार्यक्रमों से जुडी हुयी है ,आपकी खुद की   प्रोडक्शन कंपनी भी है साथ ही राजनीति में भी है . क्या राजनीति जनता तक अपनी बात पहुचाने का बेहतर माध्यम है ?
*निसंदेह राजनीति बेहतर माध्यम है अपनी बात जनता तक पहुचाने का क्योकि इसमें हमारा नेटवर्क जमीनी स्तर से लेकर ऊपर तक है . लोग इससे जुड़े   रहते है ,उनके माध्यम से हम अपनी बात जनता के बीच में ले जाते है .आवश्यकता पड़ने पर आन्दोलन भी करते है .
२. क्या जनता तक बात टी. वी. सीरियलों के माध्यम से नहीं पहुचाई जा सकती .क्योकि लोग टी.वी. ज्यादा देखते है ?
* सीरियल के माध्यम से कोई भी  मुद्दा  जनता तक नहीं पहुच सकता क्योकि मेरा मानना है कि  गंभीर मुद्दों पर नौटंकी अच्छी नहीं लगती .
३. आपने टी. वी ,के माध्यम से देश -विदेश में अपनी पहचान बनाई है ,राजनितिक क्षेत्र से आपकी क्या अपेक्षाए है? 
*मै राजनीति में अपनी पहचान बनाने नहीं आई हूँ बल्कि संगठन से जुड़ कर एक कार्यकर्ता की  हैसियत से काम  करने आई हूँ .
४.क्या महिलाओ में जागरूकता का अभाव है ?
* जो लोग ये कहते है कि महिलाओ में जागरूकता का अभाव है वे कही न कही हमारी बहनों का अपमान कर रहे है .  आज की  महिला  हर  क्षेत्र में BANKING  ,ENGINEERING ,MEDICAL , ETC  में अपनी  पकड़    मजबूत  कर  रही  है . इस कारण वह महिलाओ से जुडी  समस्त समस्याओ को जानती है  . वह घर हो या बाहर   प्रत्येक क्षेत्र में इनके लिए बेहतर सोच सकती है .ऐसे बहुत से उदाहरण है जब पुरुष नशा करके अपनी पत्नियों को पीटते है और इन्होने इससे तंग आकर शराब के ठिकानो को ख़त्म कर दिया . सही न्याय न मिलने पर थाने का घेराव किया एवम आवश्यकता पड़ने पर लोकल स्तर पर आन्दोलन भी किये .महिला राजनीति से जुडी हो या गैर राजनीतिक ,उसे अपने हक़ के लिए लड़ना आता है .
५. झारखण्ड के एक छोटे से जिले में ४ औरतो ने मिलकर अपनी सास की अर्थी को कन्धा दिया जिस पर वहा के लोगो ने उन्हें प्रोत्साहन देने के बजाय  उन पर ९ हजार का जुर्माना ठोक दिया .आपका इस बारे में क्या विचार है ?
* महिला जब भी कोई ठोस कदम उठाती है समाज उसे प्रोत्साहन नहीं देता बल्कि प्रताड़ित करता है लेकिन महिला कभी पीछे नहीं हटती . उस महिला में बेटे का कर्त्तव्य निभाने की क्षमता थी जिसे  उसने साबित कर दिया.
६. आपका अपना एनजीओ है , "PEOPLE फॉर CHANGE "  . उस एनजीओ के माध्यम से आप गाँवो में पीने का पानी उपलब्ध कराती है जबकि महाराष्ट्र में बहुत से गाँव है जंहा लोग भुखमरी की वजह से दम तोड़ रहे है . क्या आपने कभी उन लोगो के लिए भी कोई मदद भेजी ?
*मैंने विदर्भ में मरने वाले किसानो के परिवार के लिए अपनी संस्था की तरफ से १ करोड़ की राशी भेजी क्योकि उनकी पत्नी व बच्चो के लिए कोई आर्थिक मदद न किसी राजनीतिक दल ने और न ही किसी संस्था ने पहुचाई थी .इसके अतिरिक्त मैंने अस्पताल भी बनाया है जिसमे आर्थिक रूप से कमजोर लोगो का इलाज होता है .समाज सेवा से जुड़े हुए अनेक काम किये है .चूँकि इनकी चर्चा  मीडिया में करना मै उचित नहीं समझती हूँ इसलिए किसी को पता नहीं चला .
७. महिलाये राजनीति में नहीं आना चाहती क्यों ?
* ऐसी बात नहीं है हमारी बहुत सी बहने देश की राजनीत में आना चाहती है ,वे इससे जुड़ भी रही है .ज्यादा से जयादा महिलाओ को राजनीती से जोड़ने के लिए ही भाजपा ने ३३% आरक्षण की  मांग  की है.
८. महिला के चुनाव लड़ने पर कभी कोई बंदिश नहीं थी  .फिर महिलाओ के लिए ३३% आरक्षण की मांग क्यों ?
* महिलाओ के लिए ३३% आरक्षण की मांग सुषमा स्वराज जी ने की थी क्योकि उन जैसी बहने जो अपने दम पर  राजनीति में आई थी उन्होंने अनुभव किया की अगर ज्यादा से जयादा महिलाये जुड़ेगी तो वे अपने अधिकारों के प्रति सजग हो सकेगी .अपने देश की  उन्नति के लिए कार्य करेगी गलत बातो के खिलाफ सुगमता से अवाज उठा सकेगी  .देश की राजनीती में सक्रीय भूमिका निभा सकेगी .राजनीती की राह में उनकी यात्रा सुविधा जनक हो इसी लिए उन्होंने संसद में ३३% आरक्षण की मांग की .
९. क्या आज की समस्त महिलाये सक्षम है ?
* अधिकतर महिलाये सक्षम है वे  समाज  का नेतृत्व कर सकती है .जिस महिला को सहारे की आवश्यकता है उस तक हम लोग पहुचते है और सहारा देने का प्रयास करते है .
१०.महिलाओ के नाम से कोई सन्देश ?
* महिलाओ के लिए  किसी सन्देश की आवश्यकता नहीं है उनका व्यक्तित्व उनकी जागरूकता, क्षमता स्वयं  एक सन्देश है . वो अपने अधिकारों के प्रति सजग है .महिला एक क्रांति है .

कोलकाता  में मंहगाई के विरुद्ध आन्दोलन करती हुयी


रविवार, 12 जून 2011

"VIR SAVARKAR " Dr. HARINDRA SHRIVASTAVA


                                         व्  वीर सावरकर पर शोध.....
१.भारत में बहुत से देशभक्त है ,उनमे से कितने ही शहीद हुए किन्तु आपने वीर सावरकर को ही क्यों चुना ?
* मुझे बचपने से ही पुस्तके पढने के लिए दी जाती थी ,इसलिए मैंने देश -विदेश के प्रसिद्ध लोगो के बारे में गहन अध्यन किया जैसे भगत सिंह ,चंद्रशेखर , तिलक व् नेपोलियन, मुसोलिनी, स्टालिन आदि | किन्तु जितना प्रभावशाली व् प्रेरक चरित्र वीर सावरकर का है उतना किसी का नहीं |
२. आपने सावरकर के ऊपर सीरियल बनाया लेकिन वो दिखाया नहीं गया क्यों?


डॉ. हरिंद्र श्रीवास्तव वीर सावरकर के ऊपर लिखी अपनी पुस्तक सिंह गर्जना के साथ
 
* मैंने सिर्फ सीरयल ही नहीं बनाया बल्कि उनके जीवन पर आधारित  documentary  व् फिल्म भी बनाई किन्तु तत्कालीन सरकार ने ये कहकर की "ये युवाओ को सांप्रदायिक बनाएगी एवम आतंकवाद को बढ़ावा मिलेगा" इसे दिखाने की अनुमति नहीं दी | इतना ही नहीं उस समय के  नव- निर्वाचित मंडल के अनुसार  मेरी पुस्तक " कालजयी वीर सावरकर" को ये कहकर अस्वीकार कर दिया की ये प्रकाशन के योग्य नहीं है .
३.| सीरियल बनाने के लिए आपको क्या -क्या परेशानी झेलनी पड़ी?
* मुझे जमीन-जायदाद बेचनी पड़ी .दिसम्बर के महीने में इंग्लेंड जाकर पिक्चर की  शूटिंग करनी पड़ी तकलीफे तो बहुत आई लेकिन घर वालो ने पूरा सहयोग दिया इसलिए आसानी से सब कुछ होता चला गया .
४.आपके अन्दर सावरकर को लेकर बहुत कुछ करने की इच्छा है इससे आपको ये  अवश्य लगता होगा कि आपके अन्दर एक ऐसी आग है जो आपको शांति से बैठने नहीं देती ?  
* ये जुनून ही पागलपन की निशानी है और मेरा मानना है की जब तक कोई पागल न हो तब तक कोई उसके घर को नहीं पहचानता .
५.आप ने सावरकर के ऊपर गहन अध्यन किया है लेकिन सावरकर के ऊपर जो पिक्चर बनी है उसमे आपका नाम कही नहीं है ?
*मेरी पीएचडी व् डीलिट सावरकर के ऊपर है .मैंने इसके ऊपर शोध किया है ,संवाद लेखन ,पटकथा सभी कुछ मैंने लिखा लेकिन मै उस समय दिल्ली  युनिवर्सिटी में अंग्रेजी का प्राध्यापक था इसलिए अपना नाम नही दे सकता था .
६. सावरकर के ऊपर कम करना मतलब निराशा व् उपेक्षा को अपनाना फिर भी आपने इस पर इतना कम किया क्यों ?
* मैंने इन सबकी कभी परवाह नहीं की जब सावरकर को, जिसने देश के लिए इतना कष्ट झेला उसे उपेक्षा ,घृणा, तिरस्कार मिला तो मै कौन हूँ .ये तो तभी सोच लिया था जब सावरकर से लौ लगाई थी कि जिसके अन्दर  बिजली का  नंगातार पकड़ने का साहस होगा वही इस दिशा में कार्य कर सकेगा .
७. कोई ऐसी घटना जिसने आपको बहुत मर्माहत किया हो ?
* २६ फरवरी १९६६ को जब सावरकर का  देहांत  हुआ तब इंदिरा गाँधी ने संसद में मौन इसलिए नहीं रखा क्योकि वो सांसद नहीं थे किन्तु  उसी जगह   लेनिन व् स्टालिन कि मृत्यु पर शोकसभा का आयोजन हुआ. क्यों ? क्या वे सांसद थे ?
८. विदेशो में सावरकर के प्रति क्या दृष्टिकोण है ?
*पाँच देश के विद्यार्थी  मेरे निर्देशन में पीएचडी कर रहे है "इंग्लॅण्ड, फ्रांस, हौलेंड, जर्मनी, अमेरिका |"  मर्सीलिज ,(फ्राँस) जंहा सावरकर १९१० में पानी के जहाज की छोटी सी खिड़की से कूदकर भागे थे और मर्सिलीज में पकडे गए वंहा उनके नाम से सड़क बन रही है | ब्रिटिश जिसके खिलाफ सावरकर ने आजादी की लड़ाई लड़ी वहा की संसद में १९८५ में उन्हें श्रधांजलि दी गयी वही मेरी पुस्तक का विमोचन भी हुआ और उनके ऊपर बनी हुयी पिक्चर भी दिखाई गयी | विदेश में लोग उनके साहस की सराहना मुक्त कंठ से करते है किन्तु हमारा देश उन्हें सम्मान देने से कतराता है .

अंडमान निकोबार का  काला  समुन्दर  
 ९.वीर सावरकर के जीवन की कौन सी घटनाये आपको ज्यादा मार्मिक तथा उत्साह वर्धक लगती है ?

 सेलुलर जेल में कैदी   को मारते हुए ...
 *जब सावरकर व् उनके बड़े भाई दोनों कालापानी की सजा  अंडमान  निकोबार में काट रहे थे तब उनकी पत्नियों को देखने वाला कोई भी नहीं था ऐसी  स्थिति में वे दोनों शमशान में पिंडदान खाकर व् वही सोकर अपना जीवन व्यतीत कर रही थी |  वही दूसरी ओर सावरकर अमानवीय नारकीय  परिस्थितियों में जेलर से छुपकर ग्यारह वर्ष के कारावास में बारह हज़ार ओजस्वी पंक्तिया जेल की दीवारों पर कीलों से लिखकर उन्हें कंठस्थ करते और सबेरे से पहले मिटा देते थे जिससे उन लिखी हुयी पंक्तियों को देखकर कोई उनकी शिकायंत न  कर दे  और उनकी सजा पहले से दूनी हो जाये .ये आसान बात नहीं है .बल्कि ऐसा  काम   विलक्षण  प्रतिभा के धनी लोग ही कर सकते है .




 सेलुलर जेल