बुधवार, 5 दिसंबर 2012

FARZANA AALAM , DEPUTY MAYOR ,KOLKATA

 जिंदादिल  ,खुशमिजाज ,लोकप्रिय, कर्मठ 
 उपमेयर, फरजाना आलम 
प्रश्न: आप अपने सफल जीवन यात्रा के बारे में बताये ?
उत्तर: मेरे पिताजी जमींदार परिवार से थे हम लोगो की बिहारशरीफ में बहुत बड़ी हवेली है । वो जमींदार थे इसलिए उनका लोगो से मिलना कम ही होता था जबकि मेरे पिताजी को समाज सेवा बहुत पसंद थी ।यही नहीं मेरे पिताजी ने वकालत पास की और उन्होंने पढाई का महत्त्व समझा इसलिए हम सभी भाई -बहन  ने अपनी रूचि के अनुसार शिक्षा ग्रहण की । हमने बीएड  और   पालसाईंस में ऍम .ऐ किया ,वकालत पास की ।चूँकि पिताजी राजनीति में थे इसलिए बचपन से ही राजनीतिक माहौल घर में था । उनके चुनाव के समय हम लोग औटो में बैठकर प्रचार करते ,वोट मांगने जाते .मीटिंग में भाषण देते ।भाषण देना हमें बहुत अच्छा लगता था ।
प्रश्न: आप जिस समुदाय से आई है ,उसमे इतना खुलापन कम ही देखने को मिलता है । क्या आपको भी कभी खिलाफत झेलनी पड़ी ?
उत्तर:देखिये किसी भी महिला को आगे दो ही व्यक्ति बढ़ाते है , पिता या पति ? मै खुशनसीब हूँ की मुझे दोनों का ही सहयोग मिला । हमारे पिताजी ने हमें छूट दी । इसका कुछ लोगोने विरोध भी किया की कैसे लड़की होकर ऑटो में बैठकर प्रचार कर रही है या मीटिंग्स में  जा रही है लेकिन पिताजी ने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया । मेरे पति जो पेशे से वकील है ,शादी के बाद वो हमें खुद लेकर मीटिंग में जाया करते थे इस लिए लोगो को ज्यादा बोंलने का मौका नहीं मिल सका । लेकिन ये सच है की एक महिला वो भी मुस्लिम , के लिए अपनी दम पर इतना आगे जाना नामुमकिन है ।
प्रश्न:आपका बंगाल में आना कैसे हुआ ?
उत्तर : मेरी माँ बीरभूम की रहने वाली थी । हम लोग साल में एक बार नानी के घर आते । मेरी माँ की आन्तरिक इच्छा थी की मेरी शादी बंगाल में हो वर्ना बंगाल से रिश्ता ही ख़त्म हो जायेगा क्योकि मेरे बाकि के भाई -बहन बिहार में है ।किस्मत से मेरे पति का घर बोलपुर (बंगाल) में है । इस तरह से 1996 में  शादी करके हम बंगाल में आ गए ।
प्रश्न: चुनाव का अनुभव आपका कैसा रहा ?
उत्तर : मैंने पहला चुनाव 2000 में राजाबाजार 29 नम्बर वार्ड से लड़ा था जबरदस्ती ढाई हजार वोट से हराया । 2005 में फिर चुनाव लडा फिर हारे  लेकिन इस बार अपनी हार पर भरोसा ही नहीं हो रहा था की हम हारे है। क्योंकि हमने  मेहनत बहुत की थी और हमें जबरदस्ती हराया गया था ।चूँकि संघर्ष करना हमने बचपन से सीखा था अपने पिता को देखकर  बाद में ममता दीदी को संघर्ष करते देखा इसलिए हिम्मत नहीं टूटी ।
प्रश्न : आपने इतना काम किया ,क्या आपकी कर्मठता को पहचानते  हुए आपको कोई सम्मान मिला ?
उत्तर, हमने कोई काम पुरस्कार या सम्मान पाने के लिए नहीं किया न कभी इस दिशा में सोचा लेकिन  हाल ही में मुझे दो बड़े  सम्मानों से सम्मानित किया गया है ये मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है । 2010 में मदर टेरेसा इंटर नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया ।2011 में माइकल मधुसूदन  इंटर नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया ।
प्रश्न: आप माँ है ,क्या आपका बच्चा आपके कार्य से संतुष्ट है? 
उत्तर : मेरा बेटा नौ वर्ष का है वो जनता है की उसकी माँ को बहुत कार्य करना पड़ता है लेकिन बच्चा होने के नाते वो अक्सर रोता है ।उसे लगता है की  दूसरे बच्चों की माओं की तरह उसकी माँ भी उसे स्कूल लेने आये या घुमाने ले जाये ।
प्रश्न: आपको   अपने बच्चे को समय न देने के कारण  ग्लानी तो बहुत होती होगी ।
उत्तर: मेरा बच्चा बड़े अरमान वाला है क्योकिं वो शादी के सात सालो के बाद पैदा हुआ ।  जब वो नौ महीने का था तभी हमें वर्धमान एक सम्मलेन में शामिल होने के लिए जाना पड़ा । हमने अपने बेटे को  अपनी ननद  के पास छोड दिया और सम्मलेन में  चले गए। वही  से  कुछ लोग हमें जबरदस्ती दूसरी मीटिंग्स में ले  गए । उस दिन पता नहीं क्यों मेरा बेटा बहुत रोया । ये देखकर मेरी ननद की सास गुस्से से लाल हो गयी और दरवाजे पर ही मेरा इंतजार करने लगी ।हम जब घर पहुंचे   उस समय  रात का नौ बज रहा था | मुझे देखते ही बोली " सुना है तुम्हारा बेटा बड़े अरमान वाला है ( मन्नत ) और तुम  उस बच्चें की माँ हो जिसे उसकी क़द्र ही नहीं।   पूरा दिन उसे छोड़कर घूम रही हो पता है की आज वो कितना रोया है।"  ऐसे एक दो नहीं वरन अनेक किस्से है ।
प्रश्न : तब तो आप जब घर पर  रह ती होगी तो उसके लिए किसी त्यौहार से कम नहीं होता होगा ?
 उत्तर : बिलकुल वो मेरे पास ही घूमता रहता है ।बार-बार पूछेगा मम्मी क्या चाहिए । उसे चिकिन बिरयानी और पुलाव बहुत पसंद है मेरी कोशिश होती है की मै उसे उस दिन उसकी पसंद का खाना बना कर  खिलाऊ ।
प्रश्न: आप ने बीएड़ किया है ,वकालत भी पास की । फिर भी आप राजनीति में ही क्यों आयी ?
उत्तर : मै चाहती तो टीचर या वकील बन सकती थी लेकिन राजनीति का क्षेत्र समाज सेवा के लिए सबसे बड़ा और बेहतर क्षेत्र है मै बचपन से ही   समाजसेवा करना चाहती थी ( स्वयम सेवा नहीं ,जैसा की आज के अधिकतर नेता कर रहे है )  इसलिए मैंने इस क्षेत्र को चुना । मै लोगो को भी यही सन्देश देना चाहती हूँ की पहले देश सेवा करना आवश्यक है जब देश बनेगा तभी आपकी तरक्की होगी ।





मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

Dr. Sarla Birla & business tycoon Mr. B.K.Birla / Ideal & inspiring couple.

 आशा और उत्साह का संगम है जिंदगी गर सोच सही है. 
हर राह पर मिलता है मुकाम गर राह नही   है.
शत -शत स्वर्ण उषाओं से अभिषिक्त किये जाने के अधिकारी 
'द वेक' पत्रिका के साक्षात्कार
 के दौरान लिया गया चित्र 
प्रश्न १,  सुना है आप लोगो को घुमने का बहुत शौक है और आप ने केदारनाथ एवं बद्रीनाथ की यात्रा अनेक बार की ?
* हाँ ये सही है की हम लोग घुमने के शौक़ीन है विशेष कर तीर्थयात्राओ के . हम लोगो ने सत्रह बार केदारनाथ की यात्रा की ,जबकि दस बार बद्रीनाथ  गए  ,और दो बार अमरनाथ की दुर्गम यात्रा  तय की .
प्रश्न 2, ऐसी क्या वजह थी की आप सत्रह बार केदारनाथ गए ?
* प्रकति की अनुपम छटा हमें खीच कर वहा बार -बार ले गयी .वहा की सुन्दरता है ही ऐसी जिसे  देखकर मन भरता ही नहीं .
प्रश्न 3. आपकी दिनचर्या क्या है? 
* कुछ खास नहीं, हम लोग प्रातः चार बजे उठ जाते है. दैनिक क्रिया से निवृत होने के बाद  हम दोनों लोग साथ में भगवान का भजन करते है . 



आदर्श एवं प्रेरणाप्रद जोड़ी.
प्रश्न  4. आप दोनों लोग साथ में भगवान की पूजा करते है?
 * बाबू (बी.के.बिरला जी ) हारमोनियम बजाते है और हम  प्रार्थना  गाते है .उसके बाद सुबह की सैर यही बगीचे में करते है.  नाश्ता करने के बाद बिरला जी आफिस चले जाते है ,हम लोगो से मिलते है.किताबे पढ़ा करते है.हमें फ्रेंच सिखाने वाली टीचर आ जाती है उससे एक घंटे फ्रेच सीखते है. दो बजे तक ये वापस आ जाते है दिन का खाना  खाने के  पाश्चात्य थोड़े  बहुत इधर -उधर के  काम निपटाए लोगो से मिले .रात का खाना सात बजे तक खा लेते है और आठ बजने तक हम लोग सो जाते है.


     ध्यान पूर्वक बातो को सुनते हुए .
प्रश्न 5 . आपको फोटोग्राफी का बहुत शौक  रहा है,आपका ये शौक विरासत में किसे मिला है?
* मेरा पपौत्र ( कुमार मंगलम के बेटे )आर्यन विक्रम फोटो बहुत अच्छी खीचता है.वो क्रिकेट खेलने का   भी बहुत शौक़ीन है. 
जिंदगी जिन्दादिली का नाम है. 

प्रश्न ,6 आप फ्रेंच सीख रही है , ये तो बहुत बड़ी बात है वो भी इस उम्र में ?
*  अगर  दिमाग को व्यस्त नही रखा जाये तो ये अपना कार्य उतनी तेजी  से नहीं करता जिस तेजी से करना चाहिए, यानि की शिथिल होने लगता है. इसे तेज रखने के लिए ही हम फ्रेंच सीख रहे है.वैसे भी मेरा मानना है कुछ न कुछ नया करते रहना चाहिए .ये शरीर और दिमाग को हमेशा तरो- ताज़ा रखता है.
प्रश्न  7  , टीवी का आपके जीवन में क्या महत्त्व है?
*सिर्फ खबर देखते है.वो भी एक निश्चित समय पर .
प्रश्न  8 ,  आपको पुस्तके पढने का बहुत शौक है.
*हाँ हमें पुस्तके पढना बहुत अच्छा लगता है.मराठी ,हिंदी अंग्रेजी की अधिकतर पुस्तके हमने पढ़ी है.मुंशी प्रेमचंद का गोदान हमें बहुत पसंद है.
प्रश्न  9. आजकल लडकिया अपनीशिक्षा के साथ -साथ अपने अधिकारों के प्रति भी जागरूक है.जिसके लिए तलाक भी ज्यादा हो रहे है.अधिकतर लोग इसके लिए लड़कियों की शिक्षा को दोष देते है उनके अनुसार लड़कियों में सामंजस्य की कमी है.आप इस बारे में क्या सोचती है?
 * मेरे अनुसार  हमारा पहला कर्तव्य  परिवार के  प्रति है,हमें उसे ठीक रखने के लिए ज्यादा समय और ध्यान देना चाहिए.ये अच्छी बात है की आजकल लड़कियां शिक्षा पर ज्यादा ध्यान दे रही है और शिक्षा ही उन्हें आगे बढ़ने में मदद देगी . 


'द वेक' पत्रिका के साथ
डॉ. सरला बिरला एवं उद्योगपति श्रीमान बसंत कुमार   बिरला .
       'द वेक' पत्रिका की संपादक शकुन त्रिवेदी एवं
समाचार संपादक राजेश मिश्र  के साथ  बिरला दम्पती .

मंगलवार, 27 मार्च 2012

Babu lal Marandi , (born 11 January 1958) was the first Chief Minister of Jharkhand.


बाबूलाल मरांडी भूतपूर्व मुख्यमंत्री (झारखण्ड) 



प्रश्न १ : आप झारखण्ड के पहले मुख्यमंत्री है ,इसके लिए आप सबसे ज्यादा किसके आभारी है.
* कोई भी इन्सान जब जमीनी स्तर से उठकर ऊंचाई पर  पहुँचता है तो सबसे पहले वो उनलोगों का आभारी होता है जिन्होंने उसे इस लक्ष्य तक पहुचने में मदद की मैंने भी अपने सभी सहयोगियों का आभार दिल से व्यक्त किया किन्तु जिसका मै सबसे ज्यादा आभारी हूँ वो उस   स्कूल के क्लर्क का जंहा कभी मै खुद शिक्षक था .
प्रश्न २:ऐसी क्या बात है जिसके लिए आप उस क्लर्क के अत्यधिक आभारी है ?
*जब मै शिक्षक था तो उस कलर्क ने मेरे साथ दुर्व्यवहार किया था जिससे व्यथित होकर मैंने उस स्कूल की नौकरी छोड़ दी.किन्तु जब मै मुख्यमंत्री बना तब मैंने महसूस किया की आज मै जो भी कुछ हूँ उसकी वजह वो क्लर्क है .तब मैंने निश्चय किया की मुझे उस क्लर्क का आभार व्यक्त करने जाना चाहिए और मैंने ऐसा किया भी.
प्रश्न ३: आप बहुत कम समय (२८ महीने)  के लिए मुख्यमंत्री के पद पर आसीन  रहे ,इस दौरान आपने जनता के लिए  कौन -कौन से  कार्य किये जिससे आपको संतोष और सराहना दोनों ही मिली ?
* मैंने सबसे पहले आदिवासी लड़कियों के लिए छात्रावास बनवाया जिसमे सौ से  अधिक छात्राए रह सकती है.उनके समुचित खान-पान की सही व्यवस्था की क्योकि आदिवासी कन्यायें इन सुविधाओ से वंचित थी.स्कूल का आवागमन सुविधायुक्त बनाने के लिए आदिवासी लड़कियों को साईकिल दिलाई .गरीबी रेखा से नीचे के तबके को यथासंभव मदद मुहैया करायी.योग्य छात्रो को बहार भेज कर पायलट की शिक्षा दिलवाने की व्यवस्था की.
प्रश्न ४: सबसे ज्यादा किस कार्य ने आपको परेशान किया ?
* मफियायो की उपस्थिति ने .गाँव के बाजारों पर माफियाओ का अधिकार था उनके चंगुल से बाजार को मुक्त करवाने में थोड़ी परेशानी अवश्य आई किन्तु धीरे -धीरे सब ठीक हो गया .और बाजार माफिया मुक्त हो गए .जिसका परिणाम लोगो की आमदनी में बढ़ोतरी हुयी. लोगो के आवागमन को सुचारू रूप से चलने के लिए बसों की गिनती बढाई ,बसों  के लिए सब्सिडी दी गयी .ऐसे अनेक कार्यो की लम्बी सूची है जिन्हें पूरा करने के लिए आज भी समर्पित हूँ .
प्रश्न ५ : ऐसी कौनसी बात है जिससे आपको क्षोभ होता है ?
* नक्सलियों की बढती संख्या को देखकर.जिसके लिए अनेक राजनितिक पार्टिया जिम्मेदार है.जो सत्ता में रहने के लिए इनकी आतंकित करने वाली गतिविधियों को अंजाम दिलवाते है.अपने स्वार्थ के लिए ये देश को खोखला कर रहे है. और इन्हें नजर भी नहीं आ रहा की वे देश के साथ धोखा कर रहे है.
प्रश्न ६: आपके प्रिय शौक क्या है?
*मुझे खुद भी नहीं मालूम की मेरे प्रिय शौक क्या है .किन्तु एकांत प्रिय है,और एकांत में संगीत सुनना अच्छा लगता है.जीवन के प्रत्येक अच्छे -बुरे समय को विधाता का आशीर्वाद समझ कर ग्रहण करता हूँ .
प्रश्न ७: आप युवाओं के लिए क्या सन्देश देना चाहते है?
* आज का युवा अपनी इच्छाओं को पूरा करने के चक्कर में बहुत जल्दी हतोत्साहित हो जाता है ,जो की गलत है.क्योकि इससे उसकी शक्ति घटती है. उसे अपने लक्ष्य को सामने रख कर कार्य करना चाहिए ,देर -सबेर हो सकती है.किन्तु लक्ष्य तक अवश्य पहुचेंगा. 

ये साक्षात्कार २००६ अप्रैल में 'डी वेक' हिंदी मासिक पत्रिका के लिए लिया गया था .
Babu Lal Marandi (born 11 January 1958) was the first Chief Minister of jharkhand  He is the founder and national president of jharkhand vikas Morcha. (Prajatantrik). He is the Member of Parliament from Koderma Lok Sabha constituency. He was the Minister of State, Forests & Environment, Govt. of India in the Atal Bihari Vajpayee government.

Early life :

Babulal was born in a remote Kodia Bank village under Tisri block of Giridih district of the now Jharkhand province.
After passing high school, he moved to Giridih College from where he did his intermediate and graduation. It was there that he came in contact with theRashtriya Swayamsevak Sangh.  
He worked as a teacher in a village primary school for a year before giving up the job to work for the Sangh Parivar. He served as the organising secretary of the Jharkhand region of Vishwa Hindu Parishad. 
In 1983, he moved to Dumka and worked in the Santhal Parganas division, which he toured extensively. In those days, he used to live in the RSS office in Dumka.

Political career:

In 1991, the BJP gave him the ticket to contest from the Dumka (reserved) Lok Sabha seat, but he lost. In 1996, he lost to Shibu Soren  by just 5,000 odd votes. The BJP, in the meantime, made him president of the party's Jharkhand unit.
It was under Marandi's leadership that the party won 12 out of 14 Lok Sabha seats in Jharkhand region in the  1998  election. Marandi, a Santhal, led the tally by defeating Jharkhand Mukti Morcha supremo Shibu Soren, another Santhal.