शनिवार, 18 जून 2011

SMRITI IRANI "POLITICIAN"

राष्ट्रीय महिला मोर्चा   अध्यक्ष  "भारतीय जनता पार्टी " 
१.आप टी. वी. के विभिन्न कार्यक्रमों से जुडी हुयी है ,आपकी खुद की   प्रोडक्शन कंपनी भी है साथ ही राजनीति में भी है . क्या राजनीति जनता तक अपनी बात पहुचाने का बेहतर माध्यम है ?
*निसंदेह राजनीति बेहतर माध्यम है अपनी बात जनता तक पहुचाने का क्योकि इसमें हमारा नेटवर्क जमीनी स्तर से लेकर ऊपर तक है . लोग इससे जुड़े   रहते है ,उनके माध्यम से हम अपनी बात जनता के बीच में ले जाते है .आवश्यकता पड़ने पर आन्दोलन भी करते है .
२. क्या जनता तक बात टी. वी. सीरियलों के माध्यम से नहीं पहुचाई जा सकती .क्योकि लोग टी.वी. ज्यादा देखते है ?
* सीरियल के माध्यम से कोई भी  मुद्दा  जनता तक नहीं पहुच सकता क्योकि मेरा मानना है कि  गंभीर मुद्दों पर नौटंकी अच्छी नहीं लगती .
३. आपने टी. वी ,के माध्यम से देश -विदेश में अपनी पहचान बनाई है ,राजनितिक क्षेत्र से आपकी क्या अपेक्षाए है? 
*मै राजनीति में अपनी पहचान बनाने नहीं आई हूँ बल्कि संगठन से जुड़ कर एक कार्यकर्ता की  हैसियत से काम  करने आई हूँ .
४.क्या महिलाओ में जागरूकता का अभाव है ?
* जो लोग ये कहते है कि महिलाओ में जागरूकता का अभाव है वे कही न कही हमारी बहनों का अपमान कर रहे है .  आज की  महिला  हर  क्षेत्र में BANKING  ,ENGINEERING ,MEDICAL , ETC  में अपनी  पकड़    मजबूत  कर  रही  है . इस कारण वह महिलाओ से जुडी  समस्त समस्याओ को जानती है  . वह घर हो या बाहर   प्रत्येक क्षेत्र में इनके लिए बेहतर सोच सकती है .ऐसे बहुत से उदाहरण है जब पुरुष नशा करके अपनी पत्नियों को पीटते है और इन्होने इससे तंग आकर शराब के ठिकानो को ख़त्म कर दिया . सही न्याय न मिलने पर थाने का घेराव किया एवम आवश्यकता पड़ने पर लोकल स्तर पर आन्दोलन भी किये .महिला राजनीति से जुडी हो या गैर राजनीतिक ,उसे अपने हक़ के लिए लड़ना आता है .
५. झारखण्ड के एक छोटे से जिले में ४ औरतो ने मिलकर अपनी सास की अर्थी को कन्धा दिया जिस पर वहा के लोगो ने उन्हें प्रोत्साहन देने के बजाय  उन पर ९ हजार का जुर्माना ठोक दिया .आपका इस बारे में क्या विचार है ?
* महिला जब भी कोई ठोस कदम उठाती है समाज उसे प्रोत्साहन नहीं देता बल्कि प्रताड़ित करता है लेकिन महिला कभी पीछे नहीं हटती . उस महिला में बेटे का कर्त्तव्य निभाने की क्षमता थी जिसे  उसने साबित कर दिया.
६. आपका अपना एनजीओ है , "PEOPLE फॉर CHANGE "  . उस एनजीओ के माध्यम से आप गाँवो में पीने का पानी उपलब्ध कराती है जबकि महाराष्ट्र में बहुत से गाँव है जंहा लोग भुखमरी की वजह से दम तोड़ रहे है . क्या आपने कभी उन लोगो के लिए भी कोई मदद भेजी ?
*मैंने विदर्भ में मरने वाले किसानो के परिवार के लिए अपनी संस्था की तरफ से १ करोड़ की राशी भेजी क्योकि उनकी पत्नी व बच्चो के लिए कोई आर्थिक मदद न किसी राजनीतिक दल ने और न ही किसी संस्था ने पहुचाई थी .इसके अतिरिक्त मैंने अस्पताल भी बनाया है जिसमे आर्थिक रूप से कमजोर लोगो का इलाज होता है .समाज सेवा से जुड़े हुए अनेक काम किये है .चूँकि इनकी चर्चा  मीडिया में करना मै उचित नहीं समझती हूँ इसलिए किसी को पता नहीं चला .
७. महिलाये राजनीति में नहीं आना चाहती क्यों ?
* ऐसी बात नहीं है हमारी बहुत सी बहने देश की राजनीत में आना चाहती है ,वे इससे जुड़ भी रही है .ज्यादा से जयादा महिलाओ को राजनीती से जोड़ने के लिए ही भाजपा ने ३३% आरक्षण की  मांग  की है.
८. महिला के चुनाव लड़ने पर कभी कोई बंदिश नहीं थी  .फिर महिलाओ के लिए ३३% आरक्षण की मांग क्यों ?
* महिलाओ के लिए ३३% आरक्षण की मांग सुषमा स्वराज जी ने की थी क्योकि उन जैसी बहने जो अपने दम पर  राजनीति में आई थी उन्होंने अनुभव किया की अगर ज्यादा से जयादा महिलाये जुड़ेगी तो वे अपने अधिकारों के प्रति सजग हो सकेगी .अपने देश की  उन्नति के लिए कार्य करेगी गलत बातो के खिलाफ सुगमता से अवाज उठा सकेगी  .देश की राजनीती में सक्रीय भूमिका निभा सकेगी .राजनीती की राह में उनकी यात्रा सुविधा जनक हो इसी लिए उन्होंने संसद में ३३% आरक्षण की मांग की .
९. क्या आज की समस्त महिलाये सक्षम है ?
* अधिकतर महिलाये सक्षम है वे  समाज  का नेतृत्व कर सकती है .जिस महिला को सहारे की आवश्यकता है उस तक हम लोग पहुचते है और सहारा देने का प्रयास करते है .
१०.महिलाओ के नाम से कोई सन्देश ?
* महिलाओ के लिए  किसी सन्देश की आवश्यकता नहीं है उनका व्यक्तित्व उनकी जागरूकता, क्षमता स्वयं  एक सन्देश है . वो अपने अधिकारों के प्रति सजग है .महिला एक क्रांति है .

कोलकाता  में मंहगाई के विरुद्ध आन्दोलन करती हुयी


रविवार, 12 जून 2011

"VIR SAVARKAR " Dr. HARINDRA SHRIVASTAVA


                                         व्  वीर सावरकर पर शोध.....
१.भारत में बहुत से देशभक्त है ,उनमे से कितने ही शहीद हुए किन्तु आपने वीर सावरकर को ही क्यों चुना ?
* मुझे बचपने से ही पुस्तके पढने के लिए दी जाती थी ,इसलिए मैंने देश -विदेश के प्रसिद्ध लोगो के बारे में गहन अध्यन किया जैसे भगत सिंह ,चंद्रशेखर , तिलक व् नेपोलियन, मुसोलिनी, स्टालिन आदि | किन्तु जितना प्रभावशाली व् प्रेरक चरित्र वीर सावरकर का है उतना किसी का नहीं |
२. आपने सावरकर के ऊपर सीरियल बनाया लेकिन वो दिखाया नहीं गया क्यों?


डॉ. हरिंद्र श्रीवास्तव वीर सावरकर के ऊपर लिखी अपनी पुस्तक सिंह गर्जना के साथ
 
* मैंने सिर्फ सीरयल ही नहीं बनाया बल्कि उनके जीवन पर आधारित  documentary  व् फिल्म भी बनाई किन्तु तत्कालीन सरकार ने ये कहकर की "ये युवाओ को सांप्रदायिक बनाएगी एवम आतंकवाद को बढ़ावा मिलेगा" इसे दिखाने की अनुमति नहीं दी | इतना ही नहीं उस समय के  नव- निर्वाचित मंडल के अनुसार  मेरी पुस्तक " कालजयी वीर सावरकर" को ये कहकर अस्वीकार कर दिया की ये प्रकाशन के योग्य नहीं है .
३.| सीरियल बनाने के लिए आपको क्या -क्या परेशानी झेलनी पड़ी?
* मुझे जमीन-जायदाद बेचनी पड़ी .दिसम्बर के महीने में इंग्लेंड जाकर पिक्चर की  शूटिंग करनी पड़ी तकलीफे तो बहुत आई लेकिन घर वालो ने पूरा सहयोग दिया इसलिए आसानी से सब कुछ होता चला गया .
४.आपके अन्दर सावरकर को लेकर बहुत कुछ करने की इच्छा है इससे आपको ये  अवश्य लगता होगा कि आपके अन्दर एक ऐसी आग है जो आपको शांति से बैठने नहीं देती ?  
* ये जुनून ही पागलपन की निशानी है और मेरा मानना है की जब तक कोई पागल न हो तब तक कोई उसके घर को नहीं पहचानता .
५.आप ने सावरकर के ऊपर गहन अध्यन किया है लेकिन सावरकर के ऊपर जो पिक्चर बनी है उसमे आपका नाम कही नहीं है ?
*मेरी पीएचडी व् डीलिट सावरकर के ऊपर है .मैंने इसके ऊपर शोध किया है ,संवाद लेखन ,पटकथा सभी कुछ मैंने लिखा लेकिन मै उस समय दिल्ली  युनिवर्सिटी में अंग्रेजी का प्राध्यापक था इसलिए अपना नाम नही दे सकता था .
६. सावरकर के ऊपर कम करना मतलब निराशा व् उपेक्षा को अपनाना फिर भी आपने इस पर इतना कम किया क्यों ?
* मैंने इन सबकी कभी परवाह नहीं की जब सावरकर को, जिसने देश के लिए इतना कष्ट झेला उसे उपेक्षा ,घृणा, तिरस्कार मिला तो मै कौन हूँ .ये तो तभी सोच लिया था जब सावरकर से लौ लगाई थी कि जिसके अन्दर  बिजली का  नंगातार पकड़ने का साहस होगा वही इस दिशा में कार्य कर सकेगा .
७. कोई ऐसी घटना जिसने आपको बहुत मर्माहत किया हो ?
* २६ फरवरी १९६६ को जब सावरकर का  देहांत  हुआ तब इंदिरा गाँधी ने संसद में मौन इसलिए नहीं रखा क्योकि वो सांसद नहीं थे किन्तु  उसी जगह   लेनिन व् स्टालिन कि मृत्यु पर शोकसभा का आयोजन हुआ. क्यों ? क्या वे सांसद थे ?
८. विदेशो में सावरकर के प्रति क्या दृष्टिकोण है ?
*पाँच देश के विद्यार्थी  मेरे निर्देशन में पीएचडी कर रहे है "इंग्लॅण्ड, फ्रांस, हौलेंड, जर्मनी, अमेरिका |"  मर्सीलिज ,(फ्राँस) जंहा सावरकर १९१० में पानी के जहाज की छोटी सी खिड़की से कूदकर भागे थे और मर्सिलीज में पकडे गए वंहा उनके नाम से सड़क बन रही है | ब्रिटिश जिसके खिलाफ सावरकर ने आजादी की लड़ाई लड़ी वहा की संसद में १९८५ में उन्हें श्रधांजलि दी गयी वही मेरी पुस्तक का विमोचन भी हुआ और उनके ऊपर बनी हुयी पिक्चर भी दिखाई गयी | विदेश में लोग उनके साहस की सराहना मुक्त कंठ से करते है किन्तु हमारा देश उन्हें सम्मान देने से कतराता है .

अंडमान निकोबार का  काला  समुन्दर  
 ९.वीर सावरकर के जीवन की कौन सी घटनाये आपको ज्यादा मार्मिक तथा उत्साह वर्धक लगती है ?

 सेलुलर जेल में कैदी   को मारते हुए ...
 *जब सावरकर व् उनके बड़े भाई दोनों कालापानी की सजा  अंडमान  निकोबार में काट रहे थे तब उनकी पत्नियों को देखने वाला कोई भी नहीं था ऐसी  स्थिति में वे दोनों शमशान में पिंडदान खाकर व् वही सोकर अपना जीवन व्यतीत कर रही थी |  वही दूसरी ओर सावरकर अमानवीय नारकीय  परिस्थितियों में जेलर से छुपकर ग्यारह वर्ष के कारावास में बारह हज़ार ओजस्वी पंक्तिया जेल की दीवारों पर कीलों से लिखकर उन्हें कंठस्थ करते और सबेरे से पहले मिटा देते थे जिससे उन लिखी हुयी पंक्तियों को देखकर कोई उनकी शिकायंत न  कर दे  और उनकी सजा पहले से दूनी हो जाये .ये आसान बात नहीं है .बल्कि ऐसा  काम   विलक्षण  प्रतिभा के धनी लोग ही कर सकते है .




 सेलुलर जेल